आपको क्या लगता है की घुँघरू और घंटी निर्माण (Ghunghroo and Ghanti Manufacturing) कोई आसान प्रक्रिया है । लग सकता है क्योंकि आपने अपने गाँव और शहर में लुहार का काम करने वाले उद्यमी को लोहे को पिघलाकर अनेकों उपयोगी सामग्रियों में बदलते हुए देखा होगा । और आपको लगता है की घुँघरू और घंटी का निर्माण भी कुछ इसी तरह से किया जाता होगा । हो सकता है की प्राचीनकाल में कुछ आसान उपकरणों की मदद से इनका निर्माण कोई व्यक्तिगत व्यक्ति अपने घर से भी कर रहा हो। लेकिन सच्चाई यह है की आज भी उत्तर प्रदेश के जलेसर में घुँघरू और घंटी बनाने का बिजनेस कुटीर उद्योग के तौर पर किया जाता है ।(Ghunghroo and Ghanti Making Business Plan in Hindi)
घुँघरू और घंटी Making Business Plan in Hindi
इसमें कोई दो राय नहीं की भारतीय शिल्पकला पूरी दुनिया में विख्यात है, यहाँ पर ऐसे ऐसे शिल्प कारीगर विद्यमान हैं जो अनेक धातुओं सोने, चाँदी, पीतल, तांबे इत्यादि धातुओं से कई तरह की उपयोगी सामग्री का निर्माण आसानी से कर लेते हैं। जहाँ तक बात घुँघरू और घंटियों की है इनका उपयोग कला और धार्मिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया जाता है। दुनिया में भारत पीतल के बर्तन बनाने में सबसे अग्रणी यानिकी पहले स्थान पर है । और भारत देश में उत्तर प्रदेश राज्य पीतल से निर्मित बर्तनों को बनाने में सबसे पहले स्थान पर है। घुंघुरू का इस्तेमाल नृत्य, डांस और संगीत में किया जाता है, जबकि घंटियों का इस्तेमाल मंदिर के साथ साथ संगीत यंत्र के तौर पर भी किया जाता है।
कत्थक, भरतनाट्यम जैसे नृत्यों में घुंघुरू पहनना बेहद जरुरी होता है, घुंघुरू की झंकार दूर किसी व्यक्ति को भी इस बात का एहसास करा देती हैं की वहाँ पर कत्थक या भरतनाट्यम नृत्य हो रहा है । जहाँ तक घंटी की बात है मंदिर में जाते ही मंदिर के प्रवेश द्वार पर हमारा हाथ उस द्वार पर टंगी हुई घंटी बजाने पर ही जाता है। विभिन्न घंटियों का इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है । कहा यह जाता है की पीतल के बर्तन बनाने के उद्योग पहले मुरादाबाद में स्थित थे, और इन बर्तनों की पॉपुलैरिटी के कारण धीरे धीरे यह पूरे उत्तर प्रदेश में विस्तारित हो गए । आम तौर पर घुंघुरू और घंटी बनाने के लिए भी पीतल का ही इस्तेमाल किया जाता है।
घुँघरू और घंटी के उपयोग और बाज़ार
घुँघरू को एक प्रकार की संगीतमय पायल कह सकते हैं, क्योंकि इसे पैरों पर बाँधा जाता है और तब बांधा जाता है जब कोई नर्तकी नृत्य करने वाली होती है। संगीत की धुन में जैसे नर्तकी के पैर हिलते हैं वैसे वैसे ही लयबद्ध आवाज घुँघरू से बाहर आती है। ऐसे में नृत्य देखने वालों का मजा दुगुना हो जाता है।
आप किसी भी मंदिर में चले जाएँ इसके प्रवेश द्वार पर कम से कम एक घंटी तो अवश्य लटकी होगी, वह इसलिए क्योंकि हिन्दू मान्यताओं के हिसाब से घंटी की आवाज को शुभ माना जाता है। यही कारण है की मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्त घंटी बजा सकें, इसलिए मंदिर के मुख्य द्वार पर कम से कम एक घंटी तो लटकाई ही जाती है।
जानकारी के मुताबिक पीतल के बर्तनों का कारोबार भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के उत्तर पूर्वी भागों में मुख्य तौर पर एटा और मुरादाबाद क्षेत्रों में किया जाता है। देश में होने वाले कुल पीतल के बर्तनों के निर्माण में 80% तक का निर्माण उत्तर प्रदेश में ही होता है । और भारत से होने वाले बाहर देशों की ओर पीतल के बर्तनों के कुल निर्यात में इसकी 75% हिस्सेदारी है।
पूजा इत्यादि आयोजनों में इस्तेमाल में लायी जाने वाली घुँघरू और घंटी का प्रमुख उत्पादक नगर जलेसर है। जो अपने उत्पादों को अलीगढ़, हाथरस, आगरा, मथुरा, मुरादाबाद, कानपुर, दिल्ली, कलकत्ता, इत्यादि शहरों में बेचता है । और ये शहर इन सामग्रियों को पूरे देश में वितरित करते हैं।
इन मेट्रो शहरों में उपलब्ध कई व्यापारियों के सीधे संपर्क घंटी और घुँघरू का निर्माण करने वाली इकाइयों के साथ है। यद्यपि जलेसर उत्तर प्रदेश राज्य का उतना प्रख्यात शहर नहीं है जितना की अन्य, लेकिन फिर भी यह घंटी और घुँघरू का निर्माण करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यहाँ पर दो सौ से अधिक इकाइयाँ हैं जो पीतल के बर्तनों की असेम्बलिंग का कार्य कर रहे हैं। और ये सभी कुटीर उद्योग हैं ।
घुँघरू और घंटी बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें (How to Start Ghunghroo and Ghanti Making Business):
भारत में प्राचीनकाल से ही धातुओं से कई तरह की बर्तन और अन्य सामग्रियां बनाने का काम किया जा रहा है। लेकिन घुँघरू और घंटी को आम तौर पर पीतल धातु का इस्तेमाल करके बनाया जाता है, जिनका निर्माण उत्तर प्रदेश के जलेसर नामक नगर में बड़े पैमाने पर किया जाता है । ऐसे में यदि आप भी खुद का घुँघरू और घंटी बनाने का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको निम्नलिखित प्रक्रियाओं से होकर गुजरने की आवश्यकता हो सकती है।
घुँघरू और घंटी बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त करें
घुँघरू और घंटी का निर्माण भी भारतीय धातु शिल्पकला का एक जीवंत उदाहरण हैं। इसलिए यदि आप इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए गंभीर हैं, तो सर्वप्रथम आपको इस काम की बारीकी से जानकारी लेनी होगी।
इसके लिए आप चाहें तो पहले से स्थापित किसी ऐसी इकाई में नौकरी कर सकते हैं जो घुँघरू और घंटी बनाने का काम करती हो। इस तरह की इकाई में काम करने के आपको एक नहीं बल्कि कई फायदे होंगे जो आगे चलकर आपके बिजनेस को बढ़ाने में आपकी मदद करेंगे।
आप इस बात को तो जान ही पाएंगे की उस इकाई में घुँघरू और घंटी का निर्माण किस तरह से किया जाता है। इसके अलावा क्या कच्चा माल इस्तेमाल में लाया जाता है? कहाँ से मँगाया जाता है? मशीनरी कौन कौन सी इस्तेमाल होती है? निर्माण की लागत क्या आती है? और मार्किट में उत्पाद की किस कीमत पर बेचा जाता है? कहाँ बेचा जाता है? इत्यादि की भी जानकारी आपको हो जाती है ।
परियोजना रिपोर्ट तैयार करें
इसके बाद जब उद्यमी को घंटी और घुँघरू बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी हो जाती है, और उस इकाई में काम करते करते और भी जानकारी हो जाती है। उद्यमी चाहे तो छह महीने, एक साल में वहाँ से काम छोड़कर अपना बिजनेस शुरू करने पर विचार कर सकता है। इसके लिए उसे सबसे पहले एक परियोजना रिपोर्ट बनाने की आवश्यकता होती है।
जिसमें वह मार्किट रिसर्च से लेकर बिजनेस को शुरू करने में अनुमानित लागत और अनुमानित कमाई का पूरा व्यौरा लिखित रूप में प्रदान करता है। ताकि यदि कोई निवेशक उसके व्यवसाय में इन्वेस्ट करना भी चाहे तो वह आसानी से उसे उसकी बनाई हुई व्यवहारिक परियोजना रिपोर्ट दिखाकर अपनी प्रस्तावित योजना के बारे में अच्छे से समझा सके ।
वित्त का प्रबंध करें
परियोजना रिपोर्ट तैयार करके उद्यमी को उसके घुँघरू और घंटी बनाने के बिजनेस में आने वाली लागत का पता चल जाता है। अब उसका पूरा फोकस अपने व्यवसाय के लिए फण्ड एकत्रित करने का होना चाहिए, तभी वह अपने व्यवसाय को वास्तविक स्वरूप दे पाएगा ।
यद्यपि घंटी और घुँघरू बनाने के बिजनेस में बहुत अधिक लागत नहीं आती है इसे उद्यमी ₹7 -9 लाख तक के निवेश के साथ आसानी से शुरू कर सकता है। इसलिए यदि उद्यमी के पास अपनी व्यक्तिगत बचत इतनी है तो वह उससे भी अपने व्यवसाय के लिए पैसों का प्रबंध कर सकता है।
लेकिन यदि व्यक्तिगत बचत व्यवसाय में आने वाली लागत से कम है तो वह बाकी पैसे का प्रबंध अपने सगे, सम्बन्धियों, रिश्तेदारों, पारिवारिक सदस्यों इत्यादि से कर्जा लेकर भी कर सकता है । इसके अलावा उद्यमी के पास बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने के विकल्प भी मौजूद हैं।
जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध करें
घुँघरू और घंटी बनाने का उद्योग शुरू करने के लिए भी आपको कच्चे माल और उत्पादित माल के लिए अलग अलग स्टोर बनाने, बिजली पैनल और उपकरणों के लिए जगह, विनिर्माण करने के लिए जगह और एक छोटा सा ऑफिस बनाने के लिए जगह की आवश्यकता होती है । इस तरह से देखें तो उद्यमी को 1200-1500 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता हो सकती है ।
उद्यमी चाहे तो किसी बनी बनाई बिल्डिंग को किराये पर ले सकता है लेकिन किराये पर लेने से पहले उसका रेंट एग्रीमेंट या फिर लम्बे समय तक लीज पर है तो लीज एग्रीमेंट अवश्य बनवा ले। ताकि बिल्डिंग के स्वामी और उद्यमी के बीच भविष्य में भी किसी प्रकार का मतभेद पैदा न हों, और उद्यमी इस दस्तावेज को इकाई के पता प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल में ला सके।
जरुरी लाइसेंस प्राप्त करें
हालांकि बहुत छोटे स्तर पर इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए किसी प्रकार के लाइसेंस और पंजीकरण की अनिवार्यता नहीं होती है। लेकिन जिस परियोजना का उल्लेख हम यहाँ पर कर रहे हैं, उसमें उद्यमी को 7-8 लोगों को रोजगार देकर इस तरह के बिजनेस को शुरू करना है, तो इसके लिए उद्यमी चाहे तो निम्नलिखित लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है ।
- भारत में बहुत सारी बिजनेस एंटिटी को मान्यता प्राप्त है इनमें प्रोप्राइटर शिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इत्यादि शामिल हैं। उद्यमी इनमें से किसी एक के तहत अपने बिजनेस को रजिस्टर कर सकता है।
- एक रजिस्टर्ड व्यवसाय के पास व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड होना जरुरी है, इसके अलावा उद्यमी को बैंक में चालू खाता खोलने की भी आवश्यकता होती है।
- टैक्स सम्बन्धी कार्यों को पूर्ण करने के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन करने की जरुरत होती है।
- स्थानीय प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है।
- एमएसएमई सेक्टर के लिए बनी योजनाओं का लाभ लेने के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन करने की भी आवश्यकता हो सकती है ।
कच्चा माल और मशीनरी खरीदें
इस बिजनेस में इस्तेमाल होने वाली मुख्य मशीनरी एक इलेक्ट्रिक भट्टी होती है जिसमें धातु यानिकी पीतल को पिघलाया जाता है। इसके अलावा कुछ सहायक मशीनरी और उपकरण भी होते हैं, जिनकी मदद से घुँघरू और घंटी बनाने की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है।
कुल मिलाकर इस तरह की यह मशीन भारत के किसी भी बड़े शहर में आसानी से उपलब्ध है। इस व्यवसाय (Ghunghroo and Ghanti Making Business) को शुरू करने में इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी और उपकरणों की लिस्ट इस प्रकार से है।
- इलेक्ट्रिक भट्टी जिसकी कीमत ₹2. 7 लाख तक हो सकती है ।
- इलेक्ट्रिक भट्टी की एग्जॉस्ट मोटर जिसकी कीमत ₹ 7 हज़ार हो सकती है।
- बफिंग मशीन जिसकी कीमत ₹4500 तक हो सकती है ।
- अन्य छोटी छोटी मशीन और उपकरण जिनकी कीमत ₹45000 मान के चल सकते हैं।
ऐसे में देखा जाय तो इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को कम से कम ₹326500 रूपये मशीनरी और उपकरणों को खरीदने के चाहिए हो सकते हैं। इस व्यवसाय में इस्तेमाल होने वाली कच्चे माल की लिस्ट निम्नवत है।
- पीतल की धातु
- रिफाइंड सैंड
- मधुमक्खी मोम (Beeswax)
- चारकोल
- चिकनी मिट्टी
- पानी
- गैस प्रोपेन और टोर्च
- इमली का गूदा
- लकड़ी की गोल छड़ी
- थैले
- नाइट्रिक एसिड
- एमरी पेपर
- कपड़ा
स्टाफ की नियुक्ति करें
इस बिजनेस को संचालित करने के लिए उद्यमी को कम से कम निम्नलिखित कर्मचारियों को काम पर रखने की आवश्यकता हो सकती है।
- भट्टी चलाने वाला ऑपरेटर – 1
- कुशल/अकुशल श्रमिक – 2
- हेल्पर – – 2
- अकाउंटेंट कम स्टोर कीपर – 1
- सुपरवाइजर/मैनेजर – 1
इस तरह से देखें तो उद्यमी को घुँघरू और घंटी बनाने का उद्योग शुरू करने के लिए शुरुआत में ही कम से कम 7-8 कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।
घंटी और घुँघरू बनाना शुरू करें
अब उद्यमी का अगला कदम घुँघरू और घंटी बनाने की प्रक्रिया को शुरू करने का होना चाहिए। उपर्युक्त दी गई मशीनरी और कच्चे माल से घुँघरू और घंटी बनाने की प्रक्रिया सरल है। लेकिन यहाँ पर हम इस प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कर रहे हैं।
- पीतल के धातु की सिल्लियों को गरम करने का काम किया जाता है।
- उसके बाद पिघले हुए पीतल को घंटी और घुँघरू की शेप में ढाला जाता है और इन्हें ठंडा किया जाता है।
- उसके बाद असेम्बलिंग की प्रक्रिया की जाती है जैसे घंटी के अन्दर बजने वाले दाने इत्यादि को फिट करने की क्रिया और स्क्रेपिंग प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है।
- अंत में इनके ऊपर कोटिंग यानिकी परत चढाने की प्रक्रिया और फिनिशिंग प्रक्रिया को पूर्ण कर दिया जाता है।
घंटी और घुँघरू बनाने के बिजनेस में कुल लागत
अब यदि आप यह जानना चाह रहे हैं की इस व्यापार (Ghunghroo and Ghanti Making) को शुरू करने में कुल कितनी लागत आएगी, तो इसका विवरण इस प्रकार से है।
खर्चे का विवरण | खर्चा रुपयों में |
मशीनरी और उपकरणों को खरदीने में आने वाला कुल खर्चा | ₹326500 |
तीन महीने का किराया 20000 रूपये प्रति महीने के हिसाब से | ₹60000 |
फर्नीचर और फिक्सिंग पर आने वाला खर्चा | ₹1.2 लाख |
कच्चा माल, सैलरी एवं अन्य उपभोज्य खर्चे | ₹3.5 लाख |
कुल लागत | ₹8.56 लाख |
घंटी और घुँघरू बनाने के बिजनेस से कितनी कमाई होगी
घंटी और घुँघरू बनाने के बिजनेस से होने वाली कमाई मुख्य तुअर पर तो इस बात पर ही निर्भर करती है की उद्यमी प्रति वर्ष कितने जोड़े घुँघरू और कितनी घंटियाँ किस साइज़ की घंटिय बेच रहा है।
लेकिन एक ऐसा प्लांट जिसमें उद्यमी 70 जोड़े घुँघरू और 160 घंटियों का निर्माण करना चाहता हो लेकिन पहले वर्ष में केवल इनका 60% उत्पादन कर रहा हो । तो इस स्थिति में भी वह इस बिजनेस (Ghunghroo and Ghanti Making) से हर साल ₹4 लाख तक शुद्ध मुनाफा अर्जित कर सकता है।
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