jute sack manufacturing business का मुख्य प्रोडक्ट है टाट का बोरा, जिसे सभी प्रकार के अनाज दालें तथा आलू आदि भरने के काम में इस्तेमाल किया जाता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ पर खेती किसानी से उत्पादित होने वाले प्रोडक्ट्स की भरमार होती है, जैसे धान, गेंहू, अरहर, चना, मसूर, उरद, आलू आदि। इन सबको सुरक्षित रखने हेतु इन्ही बोरो में भरना पड़ता है। इसके सिवा गल्ला मंडियों में आपने देखा होगा की लाखों टन अनाज इन्ही बोरों में भरकर रखा जाता है। उपरोक्त जरूरतों को देखते हुए आप अंदाजा लगा सकते हैं की भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जूट से तैयार किये गए बोरों की कितनी भारी मांग है। यदि आप बेरोजगार हैं और कोई छोटा मोटा बिज़नस स्टार्ट करना चाहते हैं, तो जूट के बोरे तैयार करने का बिज़नस शुरू करके बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। दोस्तों आज के इस पोस्ट में मैं आप लोगों को Jute Sack manufacturing business के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दूंगा ताकि आप भी अपना बिज़नस आसानी से स्टार्ट कर सको।
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जूट सैक या टाट के बोरे क्या हैं ?
जूट सैक, जूट से बने बड़े-बड़े बैग को कहते हैं जिन्हें हम इसके साधारण नाम टाट का बोरा से भी जानते है। इसमें अनाजों दालों एवं आलू को भरकर रखते हैं जिससे इन्हें मंडियों, विभिन्न गोदामों या कहीं भी विक्रय हेतु लाने ले जाने में आसानी रहती है। यह छोटे बड़े सभी साइज़ के बनाए जाते हैं जिसमे 50 KG और 100 KG तक अनाज आ जाता है। जूट के अलावा प्लास्टिक के भी बोरे आते हैं लेकिन टाट के बोरों की ज्यादा मांग रहती है क्योंकि इसमें अनाज ज्यादा सुरक्षित रहता है क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल और बायोडिग्रेडेबल होते हैं इसलिए Jute Bags की मांग ज्यादा होती है।
बाज़ार में इसकी मांग कितनी है ?
जूट के बोरे की बाज़ार में बहुत जबरदस्त मांग है। गल्ला मंडियों, FCI के गोदामों, धान, गेंहू के मिलों, आलू के कोल्ड स्टोर आदि में जूट के बोरों की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। इन लोगों को थोक मात्रा में बोरों की आवश्यकता होती है जिसे यें लोग डायरेक्ट बोरे बनाने वाले producer से ही खरीद लेते हैं। इस प्रकार से बोरों की मांग मार्केट में बनी रहती है और भविष्य में भी मांग बने रहने की पूरी उम्मीद है अतः यह बिज़नस स्टार्ट करना मुनाफे का सौदा साबित होगा।
यह किससे बनता है ?
Jute ke Bore जूट से तैयार किये जाते है। जूट एक रेशेदार फसल है जिसकी खेती भारत में पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक होती है। इन रेशों से पहले सुतली तैयार की जाती है। वैसे जूट के अलावा और कई रेशेदार फसलें भारत में उगाई जाती हैं जैसे कि पटसन, कपास, अलसी, नारियल आदि। परन्तु जूट के बोरे सबसे मजबूत होते हैं इसीलिए जूट से सुतली बनायीं जाती है। इन सुतलियों को मशीन की सहायता से बुनकर टाट के बोरे तैयार कर दिए जाते हैं।
यदि आप वेस्ट बंगाल से बाहर यह plant लगाना चाहते हैं तो आपको जूट या सुतली वेस्ट बंगाल से ही मंगाना पड़ेगा, क्योंकि इसका बृहद उत्पादन यहीं पर होता है और अन्य जगहों की तुलना में कम रेट पर भी मिलता है।
कितनी जगह की आवश्यकता होगी ?
टाट के बोरे बनाने के लिए लगने वाले plant में काफी जगह की आवश्यकता होती है जिसमे मशीन इंस्टाल करना, कच्चा माल रखना, तथा तैयार बोरों को रखने के लिए गोदाम बनाने की जरूरत पड़ती है। टाट के बोरे बनाने की मशीन साइज़ में थोड़ी बड़ी होती है इसलिए कुछ ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है अतः इस फैक्ट्री को लगाने हेतु आपको कम से कम 1500 से 2000 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता होगी जिसमे मशीन लगाने, गोदाम एवं ऑफिस बनाने की व्यवस्था हो सके।
आवश्यक मशीनरी एवं उपकरण कौन से हैं ? (Jute Sack Making Machine)
jute sack manufacturing business को औद्यगिक स्तर पर शुरू करने हेतु निम्नलिखित मशीनों की आवश्यकता होगी-
- सुतली मेकिंग मशीन- यदि आप कच्चे माल के रूप में जूट का ही उपयोग करते हैं तो आपको यह मशीन अवश्य खरीदनी पड़ेगी जिससे सुतली बनायी जा सके।
- रोल मेकिंग मशीन- यदि कच्चे माल के रूप में आप जूट से तैयार की गयी सुतली का इस्तेमाल करते हैं तो इस मशीन की जरूरत आपको सुतली के रोल बनाने हेतु पड़ेगी।
- टाट पट्टी बुनने वाली मशीन- यह इस इंडस्ट्री की सबसे मुख्य मशीन होती है जिसका काम सुतली से टाट की लम्बी पट्टी तैयार करना होता है।
- कटर मशीन- इस मशीन की सहायता से टाट की पट्टी को बोरे की साइज़ में काटा जाता है।
- हैवी ड्यूटी सिलाई मशीन- इस मशीन की सहायता से बोरे के साइज़ में कटे टाट पट्टी को सिल दिया जाता है जिससे बोरा तैयार हो जाता है।
- हैवी प्रिंटिंग मशीन- इस मशीन की सहायता से बोरों पर विभिन्न तरह के logo या ब्रांड की प्रिंटिंग की जाती है यह ज्यादातर आर्डर पर किया जाता है जैसा ब्रांड या logo इन टाट के बोरों के खरीददार लोग बताते हैं उसी अनुसार प्रिंटिंग कर दी जाती है।
आप चाहें तो इसे घर बैठे इंडियामार्ट से ऑनलाइन ही खरीद सकतें हैं इंडियामार्ट की वेबसाइट ओपेन करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
कितनी लागत आएगी ? (Jute Bori Making Machine Price)
jute sack या टाट के बोरे बनाने हेतु plant लगाने के लिए सभी मशीनरी व जरूरी उपकरणों को खरीदने हेतु आपके पास कम से कम 5 से 6 लाख रूपये की पूँजी की आवश्यकता होगी, क्योंकि इसकी मशीनें थोड़ा costly रहती हैं इसलिए इसमें ज्यादा पूँजी निवेश की आवश्यकता पड़ती है साथ ही इसका कच्चा माल आपको वेस्ट बंगाल से मंगवाना पड़ता है जिससे माल की लागत भी बढ़ जाती है।
लाइसेंस
jute sack manufacturing business स्टार्ट करने हेतु आपको सबसे पहले जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है क्योंकि भारत में जब से जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू हुआ है तब से किसी भी प्रकार का बिज़नस हो सभी को जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है।इसके अलावा आपको ट्रेड लाइसेंस जो व्यापार करने हेतु जरूरी है व अपना ब्रांड रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है आप इन जरूरी सभी लाइसेंस को लेने के बाद ही अपने बिज़नस को सफलतापूर्वक चला सकते हो अन्यथा कानूनी अड़चन में फंस सकते हो।
जूट का बोरा कैसे बनता है ? (Jute Sack Manufacturing Process)
jute sack manufacturing business में जूट या टाट का बोरा बनाने के लिए निम्नलिखित प्रोसेस अपनाया जाता है यदि आप सुतली से टाट के बोरे तैयार कर रहे हो तो इसमें आसानी यह रहती है की आपको जूट के रेशों से सुतली तैयार नहीं करनी पड़ती है अन्यथा सुतली तैयार करने वाली मशीन भी लगानी पड़ती है। जिससे लागत पूँजी और बढ़ जायेगी यदि आप सीधे तैयार सुतली से टाट के बोरे तैयार करना चाहते हैं तो यह बहुत ही सरल प्रक्रिया है जिससे बोरे बनाये जाते हैं। सबसे पहले सुतली के गांठो या बण्डल को रोल के रूप में बनाया जाता है। इसके लिए रोल मेकिंग मशीन की सहायता ली जाती है जब सुतली का रोल बन जाता है इसके बाद बोरे बुनने वाली मशीन में सुतली के रोल को फिट कर देते हैं और टाट मेकिंग मशीन इसे बुनकर एक लम्बी पट्टी के रूप में निकालती रहती है जिसकी बोरे की साइज़ में काटकर हैवी ड्यूटी सिलाई मशीन द्वारा सिलाई की जाती है तब जाकर बोरा तैयार होता है। यदि इसमें कुछ logo वगैरह प्रिंट करवाना होता है तो इसके लिए इसे प्रिंटिंग मशीन में लगाकर प्रिंट करते हैं।
गट्ठर बनाना
चूंकि टाट के बोरे आकार में बड़े होते हैं और कोई मौसम की मार से ख़राब होने वाला प्रोडक्ट तो है नहीं इसलिए इनकी किसी प्रकार की पैकिंग नहीं की जाती है। बस पूरी तरह से तैयार बोरों को 100 -100 की संख्या में गिनती करके गट्ठर बना देते हैं जिसे जितने गट्ठर की आवश्यकता होती है उनको उतने गट्ठर की सप्लाई कर दी जाती है।
मार्केटिंग कैसे करें ?
जूट या टाट के बोरे की ज्यादा से ज्यादा बिक्री के लिए आपको सभी अनाजों के गल्ला मंडियों, कोल्ड स्टोरेज गोदामों एवं भारत सरकार के FCI के गोदामों व चावल मिल आदि के मालिकों से संपर्क करना होगा जहाँ थोक में टाट के बोरों की जरूरत होती है। आप इनसे अनुबंध करके हर साल इनको बोरों की सप्लाई कर सकते हैं। हर साल इन लोगों को भारी मात्रा में इन टाट के बोरों की जरूरत पड़ती है क्योंकि ये लोग इन बोरों में ही अपने माल की सप्लाई विभिन्न जगहों पर करते हैं।इस प्रकार आप इन लोगों को माल सप्लाई करके अपनी बिक्री बढ़ा सकते हैं इसके अलावा आप विभिन्न आढ़तियों (जो किसानो के घर से अनाज खरीदकर बेंचने का व्यापार करते हैं ) से संपर्क कर सकते हैं क्योंकि टाट के बोरों की जरूरत इनको भी काफी ज्यादा होती है। ये लोग किसान के घर से धान, गेंहू, मसूर, सरसों, अरहर आदि की खरीदारी करते हैं और इसे ले जाकर मंडियों में बेंचकर मुनाफा कमाते है।
प्रॉफिट
जूट के बोरों की मांग मार्केट में बहुत ज्यादा रहती है जिसके सापेक्ष आपूर्ति नहीं हो पाती है फलस्वरूप यह ऊंचे दर पर बिकता है जिससे प्रॉफिट मार्जिन बहुत ज्यादा रहता है। वर्तमान समय में मार्केट में 50 KG की क्षमता वाले बोरे 20 से 25 रुपये तथा 100 KG क्षमता वाले बोरों की कीमत 30 से 35 रुपये के आसपास है जबकि इन बोरों को बनाने में लागत 15 से 20 रुपये की आती है इस प्रकार से इसमें प्रॉफिट मार्जिन लगभग 50 % तक का हो जाता है।
निष्कर्ष
दोस्तों मुझे उम्मीद एवं पूर्ण विश्वास है कि आप लोगों को यह पोस्ट Jute sack manufacturing business बहुत अच्छा एवं ज्ञानवर्धक लगा होगा यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो प्लीज मुझे कमेन्ट करके बताइये और अपने दोस्तों को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये आपके कमेन्ट से हमें और अधिक प्रेरणा मिलती है जिससे हम आपके लिए और अधिक नए नए बिज़नेस आइडियाज ला सकें धन्यवाद।
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