आज के लेख में हम एक ऐसे फूल के बारे में जाएंगे, जिसे आपने देखा और सुना तो होगा लेकिन इसकी जानकारी आपको नहीं पता होगी है। इस फूल का नाम है, लैवेंडर का फूल Lavender Flower In Hindi इसके अलावा इसके पौधे की जानकारी भी जानेगे (Lavender Plant In Hindi) इस फूल का उपयोग कई आयुर्वेदक औषिधियों में भी किया जाता है। तो चलिए जानते है, लैवेंडर फूल की जानकारी
लैवेंडर का फूल की जानकारी
- लैवेंडर फूल लैमिआसे प्रजाति से सम्बंधित है, इस प्रजाति में लगभग 39 फूल देने वाले पौधे पाए जाते है, इनमे पुदीना भी शामिल है। इस प्रजाति के पौधे झाड़ियों के रूप में उगते है, और इनका उपयोग ज्यादातर जड़ी-बूटियों के लिए किया जाता है।
- लैवेंडर का फूल अरब और रूस का मूल निवासी माना जाता है, इसके अलावा यह फ्रीका महाद्वीप, दक्षिण पश्चिम एशिया, पश्चिमी ईरान और दक्षिण पूर्व भारत में अधिक मात्रा में पाए जाते है।लैवेंडर के पौधे की ऊंचाई लगभग 2 से 4 फिट तक होती है। पौधे की पत्तियाँ का आकर लम्बा और संकीर्ण होता है, जो की हरे रंग की होती है।
- लैवेंडर के पौधे की जड़ से बहुत सारी अलग अलग शाखाएं निकलती है, यह शाखाएं लम्बी होती है, जिसके ऊपर लैवेंडर का फूल खिलता है। लैवेंडर के फूल का रंग सामान्यतौर पर नीला, और बैंगनी होता है। लेकिन यह अलग अलग प्रजातियों के अनुसार गुलाबी और पीले रंग में भी पाया आता है। एक पौधे पर लगभग 1 से 10 तक या इससे ज्यादा संख्यां में फूल खिलते है।
- लैवेंडर के फूल की कुछ लोकप्रिय प्रजातियां – Spanish Lavender, English Lavender, Hidcote, English Lavender, Impress Purple, Hybrid, Egyptian Lavender, और French Lavender है।
- लैवेंडर के पौधे को उगाने के लिए एक उपजाऊं मिटटी और धुप की आवश्यकता होती है। शुरूआती दिनों में इसकी थोड़ी देखभाल करना जरुरी होता है। जब पौधा बड़ा हो जाता है, तो उसके बाद यह कम पानी में भी अच्छी बढ़वार करता है।
- लैवेंडर की खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है। इसका सबसे ज्यादा उपयोग तेल निकलने के लिए किया जाता है। लैवेंडर का तेल भाप विधि द्वारा तैयार किया जाता है, सूरजमुखी का फूल के तेल की तरह ही आवश्यक तेलों में से एक है।
- प्राचीनकाल में मिस्रवासी मृत शरीरो की ममी बनाने से पहले मृत शरीर पर लैवेंडर का इत्र उपयोग करके दफनाते थे।
- लैवेंडर का फूल शुद्धता और शांति का प्रतिक है। इसके अलावा इस फूल की खुशबु बहुत सुगन्धित होती है, जो की तनाव कम करे में लाभदायक होती है। आपको अपने घर या बगीचे में लैवेंडर को जरूर लगाना चाहिए।
- लैवेंडर में कई एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है, यह शरीर के लिए बहुत फयदेमंद होता है। लैवेंडर शब्द की उत्पत्ति “Lavare” शब्द से हुई है जिसका मतलब For Washing या धोने के लिए होता है। इसलिए ऐसा भी माना जाता है, की नहाने से पहले पानी में एक या दो बून्द लैवेंडर की डालकर नहाने से कई बिमारियों से छुटकारा मिलता है।
- लैवेंडर एक बारहमासी पौधा है, जिसकी आयु लगभग 15 साल तक होती है।
लैवेंडर तेल के फायदे Benefits of Lavender Oil in Hindi
- लेवेंडर का तेल कई प्रकार से फायदेमंद होता है। यह कीड़ा काटने पर भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा इस का तेल दर्द से भी रहत दिआलता है, आइये जाते है, लैवेंडर के तेल के कुछ फायदे।
- अगर आपको नींद नहीं आती है, तो लैवेंडर का तेल आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस तेल से एक खास प्रकार की सुगन्धित खुशबु निकलती है, जो की हमारे दिमाग को शांत करती है। जो अच्छी नींद लेने के लिए बहुत लाभदायक है।
- लैवेंडर के तेल में एंटी-एंग्जायटी गुण पाए जाते है, जो की तनाव को दूर करने में बहुत ज्यादा लाभदायक होते है। इसके लिए लैवेंडर के तेल की कुछ बूंदो को डिफ्यूज़र में रखकर उसे चालू कर दे। यह पुरे कमरे का माहौल बदल देगा।
- लैवेंडर का तेल घाव भरने के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। यह सूजन, और त्वचा के लालपन को भी ठीक करता है। लेकिन त्वचा के किसी भी हिस्से पर इस तेल को इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- लैवेंडर का तेल मांसपेशियों के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। अगर आपकी मांसपेशियों अकड़ती है। और दर्द होता है, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आप लैवेंडर के तेल का उपयोग कर सकते है। इसका उपयोग करने के लिए, जिस जगह पर दर्द है, वहां पर कुछ बुँदे डालकर मसाज करें।
लैवेंडर की खेती के बारे में जानकारी
बीते कुछ दिनों से भारत में कई खुसबूदार फूलों और पोधो की खेती बढ़ती जा रही है। खुसबूदार फूलों की मांग लगातार विदेशो और देशो में बढ़ रही है। जिससे की किसानो के लिए एक अच्छा अवसर प्राप्त हो रहा है। इन्ही में से एक है, लैवेंडर का फूल जो की एक सुगन्धित और शानदार फूल है।
लैवेंडर की खेती के लिए ठन्डे स्थानों की आवश्यकता होती है। इसकी खेती 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी होती है। हालाँकि यह 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी उगाया जा सकता है, लेकिन इस स्तिथि में फसल उतना ज्यादा बढ़वार नहीं करती है।
लैवेंडर की खेती करने के लिए एक ऐसी भूमि का चुनाव करना आवश्यक होता है, जिसमे पानी निकलने के लिए उचित स्थान हो। फसल लगाने के लिए कम से कम दो से तीन बार गोबर खाद डालकर खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए।
लैवेंडर की फसल लगाने का सही समय क्या है? लैवेंडर की फसल का सही समय नवंबर से दिसंबर के महीनो का होता है। इसके पोधो को कटिंग के माध्यम से भी तैयार किया जा सकता है। कटिंग वाले पोधो को तैयार होने में लगभग एक से दो साल का समय लगता है।
लैवेंडर की फसल को पानी समय समय पर मिटटी की नमी के अनुसार देना चाहिए। पहली सिचाई फसल लगाने के तुरंत बाद करनी चाहिए। शुरुआत में पानी की कम आवश्यकता होती है। सिचाई के समय एक बात का विशेष ध्यान रखे, की खेत में जल भराव ना हो।
Lavender Flower FAQ
लैवेंडर फूल किसके लिए अच्छा है?
लैवेंडर का फूल और पौधा एक प्रकार की जड़ी बूटियों के रूप में उपयोग किया जाता है। यह चिंता, तनाव, और अनिंद्रा के लिए भी उपयोग में लिया जाता है। लेकिन इसका अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, की यह किस के लिए सबसे बेहतर है।
लैवेंडर को भारत में क्या कहा जाता है?
लैवेंडर को भारत और अन्य भूमध्यसागरीय देशो में लवंडुला स्पीका कहा जाता है, यह एक प्रकार का सुगन्धित फूल है। जो की झाड़ी के रूप में उगता है। इसके ऊपर विभिन्न रंगो के फूल खिलते है, जिनमे नीले, गुलाबी, सफ़ेद, और बैंगनी शामिल है। लैवेंडर प्लांट को बगीचों में सजावट के लिए लगाया जाता है।
क्या लैवेंडर को उगाना आसान है?
लैवेंडर को उगाना आसान है, इसके लिए आप किसी भी बगीचे या गमले में पौधे को ऊगा सकते है। लैवेंडर को उगाने के लिए सामान्य मिटटी, और पूर्ण सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। शुष्क जलवायु में लैवेंडर बारहमासी पौधे के रूप में बहुत जल्दी बढ़वार करता है।
क्या लैवेंडर के पौधे हर साल फिर से उग आते हैं?
लैवेंडर बारहमासी पौधा है, जो की प्रत्येक साल बढ़ता है। लेकिन वसंत के दिनों में इसकी ज्यादा देखल करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए इसी कटाई छटाई पर ध्यान देना आवश्यक है। इस तरह से कई वर्षो तक बगीचे में ऊगा रहेगा।
क्या लैवेंडर तेल का उपयोग सीधे त्वचा पर कर सकते हैं?
जी हाँ, लैवेंडर तेल को त्वचा पर सीधे उपयोग किया जा सकता है। यह त्वचा सम्बन्धी कई रोगो के लिए लाभदायक है। लेकिन जिन लोगो की त्वचा सेंसेटिव होती है, उन्हें इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए। अन्यथा समस्या हो सकती है।