Make it How to Make Up Tobacco Farming & Manufacturing License in Hindi

How to Make Up Tobacco Farming & Manufacturing License in Hindi

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तंबाकू की खेती कई तरह की मिटà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में की जा सकती है. हलकी दोमट, मधà¥à¤¯à¤® दोमट, मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ लाल व कछारी मिटà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ इस के लिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मà¥à¤«à¥€à¤¦ मानी जाती हैं, लेकिन à¤à¤¸à¥€ मिटà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में तंबाकू की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मोटी, खà¥à¤°à¤¦à¤°à¥€ व बड़ी हो जाती हैं. à¤à¤¸à¥‡ में इस फसल का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² हà¥à¤•à¥à¤•ा व बीड़ी बनाने के लिठकिया जा सकता है. तंबाकू की खेती के लिठहलकी भà¥à¤°à¤­à¥à¤°à¥€ मिटà¥à¤Ÿà¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ मानी गई है. इस में पैदा किठजाने वाले तंबाकू की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ व सà¥à¤µà¤¾à¤¦ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ माना जाता?है, जिस का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² सिगार व सिगरेट वगैरह में किया जाता है.Tobacco Farming

 

 

 

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खेती की तैयारी : तंबाकू की खेती के लिठसब से पहले नरà¥à¤¸à¤°à¥€ डाली जाती है. नरà¥à¤¸à¤°à¥€ के लिठहलकी भà¥à¤°à¤­à¥à¤°à¥€ मिटà¥à¤Ÿà¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ होती है. नरà¥à¤¸à¤°à¥€ डालने से पहले खेत की अचà¥à¤›à¥€ तरह से जà¥à¤¤à¤¾à¤ˆ कर के मिटà¥à¤Ÿà¥€ भà¥à¤°à¤­à¥à¤°à¥€ बना लेनी चाहिà¤. 12 à¤à¤•ड़ खेत में तंबाकू की फसल रोपने के लिठ1 बीघे रकबे में नरà¥à¤¸à¤°à¥€ डाली जाती है, जिस के लिठ1 किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® बीज की जरूरत पड़ती है. नरà¥à¤¸à¤°à¥€ में बीज डालने से पहले खेत को समतल कर के पाटा लगा देना चाहिठऔर सही नमी की अवसà¥à¤¥à¤¾ में रोपे जाने वाले खेत के रकबे के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नरà¥à¤¸à¤°à¥€ में बीज की मातà¥à¤°à¤¾ डालनी चाहिà¤. कà¥à¤·à¤¾à¤°à¥€à¤¯ मिटà¥à¤Ÿà¥€ में तंबाकू की फसल लेने से बचना चाहिà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस मिटà¥à¤Ÿà¥€ में काली जड़ गलन बीमारी का पà¥à¤°à¤•ोप पाया जाता है. तंबाकू की अलगअलग किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस की नरà¥à¤¸à¤°à¥€ का समय तय किया जाता है. आमतौर पर नरà¥à¤¸à¤°à¥€ डालने के लिठअगसà¥à¤¤ के आखिरी हफà¥à¤¤à¥‡ से नवंबर के दूसरे हफà¥à¤¤à¥‡ तक का समय जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ माना जाता है. नरà¥à¤¸à¤°à¥€ डालने के डेढ़ महीने बाद नरà¥à¤¸à¤°à¥€ से तंबाकू के पौधों को उखाड़ कर खेत में रोपाई की जाती है. नवंबर महीने में डाली गई नरà¥à¤¸à¤°à¥€ की रोपाई जनवरी के पहले हफà¥à¤¤à¥‡ तक की जा सकती है.

तंबाकू की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ : खाने वाले तंबाकू की खास किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ में पीटी 76, हरी बंडी, कोइनी, सà¥à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤°à¤¾, रंगपà¥à¤°, हà¥à¤¯à¤‡à¤Ÿ वरà¥à¤²à¥‡, भागà¥à¤¯ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, सोना, गंडक बहार, पीà¤à¤¨ 70, à¤à¤¨à¤ªà¥€ 35, पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤¤, डीजी 3 व डीजी 47 वगैरह पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मानी गई हैं. वहीं हà¥à¤•à¥à¤•ा, बीड़ी, सिगार व चà¥à¤°à¥à¤Ÿ के लिठà¤à¤¨à¤ªà¥€ 220, टाइप 23, टाइप 49, टाइप 238, पटà¥à¤µà¤¾, फरà¥à¤–ाबाद लोकल, मोतीहारी, कलकतिया, पीà¤à¤¨ 28, à¤à¤¨à¤ªà¥€à¤à¤¸ 219, पटियाली, सी 302 लकडा, à¤à¤¨à¤ªà¥€à¤à¤¸ 2116, चैथन, हरिसन सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤², वरà¥à¤œà¤¿à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ गोलà¥à¤¡, जैशà¥à¤°à¥€, धनादयी, कनकपà¥à¤°à¤­à¤¾, सीटीआरआई सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤², जीà¤à¤¸à¤à¤š 3, के 49, जी 6 आनंद 119, लंका 27, डीआर 1, भवानी सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤² व ओके 1 वगैरह उमà¥à¤¦à¤¾ किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ मानी गई हैं. इन किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ को अगसà¥à¤¤ से नवंबर तक नरà¥à¤¸à¤°à¥€ में डाला जा सकता है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

रोपाई की तैयारी : तंबाकू के पौधों की रोपाई 1 से डेढ़ महीने के भीतर खेत में कर देनी चाहिà¤. पौधों की रोपाई के लिठखेत में पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤•ड़ की दर से 4 टà¥à¤°à¤¾à¤²à¥€ गोबर की खाद, 50 किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® डीà¤à¤ªà¥€, 25 किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® पोटाश व 10 किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® यूरिया का बà¥à¤°à¤•ाव करना चाहिà¤. इस के बाद इस खाद को मिटà¥à¤Ÿà¥€ में मिला कर अचà¥à¤›à¥€ तरह से जà¥à¤¤à¤¾à¤ˆ कर के पाटा लगा देना चाहिà¤. नरà¥à¤¸à¤°à¥€ से पौधों को उखाड़ने से 2 दिन पहले खेत की हलकी सिंचाई कर देनी चाहिà¤. इस के बाद खेत में नमी की सही मातà¥à¤°à¤¾ रहते ही लाइन से लाइन व पौध से पौध की दूरी ढाई फà¥à¤Ÿ रख कर रोपाई करनी चाहिà¤. 1 à¤à¤•ड़ खेत में रोपाई के लिठकरीब 10000 तंबाकू के पौधों की जरूरत पड़ती है. रोपाई के करने के बाद हजारे से पौधों को पानी देना चाहिà¤. जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रकबे की रोपाई के तà¥à¤°à¤‚त बाद हलकी सिंचाई कर देनी चाहिà¤.What is SDO Officer ? How To Become SDO Officer à¤à¤¸à¤¡à¥€à¤“ अधिकारी कà¥à¤¯à¤¾ है, à¤à¤¸à¤¡à¥€à¤“ अधिकारी कैसे बनें

खाद व उरà¥à¤µà¤°à¤• : रोपाई के 1 महीने बाद 80 किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® यूरिया पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤•ड़ की दर से डेढ़ महीने के अंतर पर व दूसरी व तीसरी बार 20-20 किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® की मातà¥à¤°à¤¾ देनी चाहिà¤. तंबाकू की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ हो, इस के लिठकोशिश करें कि फसल में रासायनिक खादों की जगह वरà¥à¤®à¥€ कंपोसà¥à¤Ÿ, कंपोसà¥à¤Ÿ खाद व गोबर की खाद का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाà¤.

सिंचाई व खरपतवार : तंबाकू की रोपाई के बाद हर 15 दिनों पर सिंचाई करते रहना चाहिà¤. फसल कटाई के 15 दिनों पहले खेत की सिंचाई रोक दी जाती है. फसल की अचà¥à¤›à¥€ पैदावार व गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ के लिठपहली निराई 10-15 दिनों बाद करनी चाहिà¤. फसल में घासफूस के नियंतà¥à¤°à¤£ के लिठजरूरत के हिसाब से 3 बार निराई करना जरूरी होता है.

बीमारियां व कीट : तंबाकू की फसल में मोजैक बीमारी का जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤•ोप देखा गया है. इस के अलावा शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ अवसà¥à¤¥à¤¾ में आगà¥à¤° पतन, चितà¥à¤¤à¥€, पडकà¥à¤‚चन रोगों का पà¥à¤°à¤•ोप पाया जाता है. इस के अलावा तंबाकू की सूंड़ी, इलà¥à¤²à¥€, गिडार, तना छेदक, माहू, कटà¥à¤† व दीमक कीटों का पà¥à¤°à¤•ोप देखा गया है. ये सभी कीट व रोग पौधों को पूरी तरह खतà¥à¤® कर देते हैं. कीटों की रोकथाम के लिठकारà¥à¤¬à¥‡à¤¨à¤¿à¤² 10 फीसदी धूल का छिड़काव फसल में कीट का पà¥à¤°à¤•ोप दिखाने के समय ही कर देना चाहिà¤. इस के अलावा कà¥à¤²à¥‹à¤° पायरीफास 20 ईसी या पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¨à¥‹à¤«à¤¾à¤¸ 50 ईसी का छिड़काव करना चाहिà¤. बीमारी की रोकथाम के लिठकारà¥à¤¬à¥‡à¤‚डाजिम, मैंकोजेब, थीरम, मेटालेकà¥à¤œà¤¿à¤², डीनोकेप दवाओं का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करना चाहिà¤. तंबाकू की फसल के लिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पाला व जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बारिश भी नà¥à¤•सानदेह होती है. जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पाले व बारिश की दशा में फसल के सूखने व बरबाद होने के आसार बढ़ जाते हैं. à¤à¤¸à¥‡ में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बारिश व पाले वाली जगहों पर तंबाकू की खेती करने से बचना चाहिà¤.Small business ideas Regular Income कैसे बनाà¤à¤ business develop kaise kare

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

फà¥à¤¨à¤—ों की तोड़ाई : तंबाकू की फसल में अचà¥à¤›à¥€ गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ व पैदावार बढ़ाने के लिठउस के फà¥à¤¨à¤—ों की तोड़ाई करना जरूरी होता है. जब फसल 60 दिनों की हो जाà¤, तो हर 10 दिनों के बाद 3 बार फà¥à¤¨à¤—ों की तोड़ाई की जानी चाहिà¤. यह कोशिश करें कि पौधों में 9 से 10 पतà¥à¤¤à¥‡ ही आने पाà¤à¤‚.

पौधों की कटाई : खाने वाले तंबाकू की फसल 120 दिनों में, बीड़ी वाले तंबाकू की फसल 140 से 150 दिनों में और सिगार व चà¥à¤°à¥à¤Ÿ वाले तंबाकू की फसल 90 से 100 दिनों में कटाई के लायक हो जाती है. पौधों की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जब हरी हों तभी उन की कटाई कर देनी चाहिठऔर कटाई के बाद 3 दिनों तक पौधों को खेत में ही छोड़ देना चाहिà¤. जब पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पीली पड़ जाà¤à¤‚ तो उन को खेत से उठा कर सही जगह पर दोबारा फैला कर सूखने के लिठछोड़ देना चाहिà¤. इस दौरान खाने वाले तंबाकू की नसों पर चीरा लगाना जरूरी होता है. सूखने के दौरान तंबाकू में नमी व सफेदी जितनी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आती है उतना ही अचà¥à¤›à¤¾ गà¥à¤£, रंग, सà¥à¤µà¤¾à¤¦ व गंध पैदा होती है. à¤à¤¸à¥‡ में तंबाकू की पलटाई समय से करते रहना चाहिà¤. इस से किसानों को तंबाकू का अचà¥à¤›à¤¾ मूलà¥à¤¯ मिल जाता?है. घर पर करीब 1 हफà¥à¤¤à¥‡ तक सà¥à¤–ाने के बाद पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में चीरा लगा कर अलगअलग किया जाता है. उस के बाद कà¥à¤› दिनों के लिठपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पालीथीन से ढक कर सà¥à¤—ंध पैदा करने के लिठछोड़ दिया जाता?है. जब उन मेंअचà¥à¤›à¥€ सà¥à¤—ंध उठने लगती है, तो इस की गठिया बांध कर इस में पानी का छिड़काव कर के छटका जाता है. जब इस में सफेदी आने लगे तो यह मान लिया जाता है कि तंबाकू की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में हो गई है.Honey Processing Business How to Make it in Hindi शहद पà¥à¤°à¤¸à¤‚सà¥à¤•रण वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ इसे कैसे बनाà¤à¤‚

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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मारà¥à¤•ेटिंग व लाभ : तंबाकू किसान ओमपà¥à¤°à¤•ाश का कहना है कि जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° मामलों में खेत में खड़ी फसल ही बिक जाती है, जिसे वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ करीब 25000 रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ बीघे की दर से लेते हैं. तंबाकू की 1 à¤à¤•ड़ फसल के लिठकरीब 15000 रà¥à¤ªà¤ की लागत आती है, जबकि 1 à¤à¤•ड़ से फसल अचà¥à¤›à¥€ होने की दशा में 4 महीने में करीब 1 लाख रà¥à¤ªà¤ की आमदनी होती है. इस पà¥à¤°à¤•ार लागत मूलà¥à¤¯ को निकालने के बाद शà¥à¤¦à¥à¤§ आमदनी करीब 85 हजार रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤•ड़ हो जाती है. भारतीय तंबाकू की जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मांग बाहरी देशों में होने के कारण अचà¥à¤›à¤¾ मूलà¥à¤¯ मिलता है. भारत दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ तंबाकू अमेरिका, रूस, फà¥à¤°à¤¾à¤‚स, अफà¥à¤°à¥€à¤•ा, बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨, सिंगापà¥à¤°, बेलà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤®, हांगकांग, चीन, नीदरलैंड व जापान वगैरह देशों को भेजा जाता है. à¤à¤¸à¥‡ में किसान विदेशी निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से संपरà¥à¤• कर के अपनी उपज का अचà¥à¤›à¤¾ दाम पा सकते हैं.Derma Roller Therapy Acne Scars Glowing Skin & Hair loss Use derma roller in Hindi चिकितà¥à¤¸à¤¾ मà¥à¤à¤¹à¤¾à¤¸à¥‡ निशान काले धबà¥à¤¬à¥‡ चमक तà¥à¤µà¤šà¤¾ के बालों का à¤à¤¡à¤¼à¤¨à¤¾ रोकने के उपयोग

तंबाकू की खेती से किसान हà¥à¤† मालामाल

बसà¥à¤¤à¥€ जिले के परशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤ªà¥à¤° बà¥à¤²à¤¾à¤• की पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ सीमा पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गांव मदनापà¥à¤° के रामराज वरà¥à¤®à¤¾ के परिवार में कà¥à¤² 25 लोग हैं. 40 साल पहले उन के पास केवल 12 बीघे जमीन थी, जिस पर वे पारंपरिक रूप से धान व गेहूं की फसल ले रहे थे. लेकिन उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस खेती से कोई खास फायदा नहीं मिल रहा था. à¤à¤¸à¥‡ में वे अपने आसपास के किसानों से वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• खेती के बारे में पता करते रहते हैं. à¤à¤• बार वे किसी काम से गोंडा जिले के नवाबगंज बà¥à¤²à¤¾à¤• में गठथे. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहां किसानों को तंबाकू की खेती करते देखा. जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहां के किसानों से तंबाकू की खेती के बारे में जानकारी ली, तब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता चला कि तंबाकू की खेती से कम समय में अचà¥à¤›à¤¾ फायदा मिल सकता है. à¤à¤¸à¥‡ में घर आ कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने परिवार के लोगों से तंबाकू की खेती किठजाने पर बातचीत की. सभी लोगों की रजामंदी के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने 2 à¤à¤•ड़ खेत में तंबाकू की खेती की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की. पहली बार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई खास फायदा नहीं हà¥à¤†, लेकिन तंबाकू की तैयार फसल बेचने में किसी तरह की परेशानी नहीं आई.

 

 

 

 

 

 

 

 

तंबाकू बाजार ने बढ़ाया जोश : किसान रामराज वरà¥à¤®à¤¾ ने तंबाकू की बिकà¥à¤°à¥€ को देखते हà¥à¤ इस की वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• खेती का फैसला ले दिया था. तंबाकू की फसल से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ 2 à¤à¤•ड़ खेत से साल 1974 में करीब 5000 रà¥à¤ªà¤ की आमदनी हà¥à¤ˆ. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तंबाकू की खेती से हà¥à¤ˆ आमदनी के पैसे से 15 à¤à¤•ड़ खेत लीज पर ले कर तंबाकू की खेती की. इस बार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ करीब 25000 रà¥à¤ªà¤ की आमदनी हà¥à¤ˆ. वे तंबाकू की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ का विशेष खयाल रखते थे, जिस से तंबाकू वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ उन के घर से तैयार फसल को खरीद कर ले जाते थे. किसान रामराज के परिवार के 25 लोग लगातार तंबाकू की खेती में लगे रहे और करीब 5 सालों में वे किराठकी 25 à¤à¤•ड़ जमीन पर तंबाकू की खेती करने लगे थे.

3 à¤à¤•ड़ खेत से 50 à¤à¤•ड़ खेत के बने मलिक

यह किसान रामराज वरà¥à¤®à¤¾Â  की मेहनत का ही फल था कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगातार तंबाकू की खेती से फायदा मिलता रहा. à¤à¤¸à¥‡ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तंबाकू की खेती से कà¥à¤› ही सालों में अचà¥à¤›à¤¾ फायदा लेना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया था. फायदे के इस पैसे का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने परिवार के सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ को देखते हà¥à¤ जमीन की खरीदारी में किया और वे हर साल तंबाकू की फसल से होने वाले फायदे के पैसे से कà¥à¤› न कà¥à¤› जमीन खरीदते रहे. अपनी मेहनत की वजह से वे करीब 40 सालों में 200 बीघे खेत के मालिक बन गà¤. 2 à¤à¤•ड़ खेत में शà¥à¤°à¥‚ की गई तंबाकू की खेती वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में 15 à¤à¤•ड़ तक पहà¥à¤‚च गई है, जिस से वे अचà¥à¤›à¥€ आमदनी ले रहे हैं.

इस के अलावा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खेती व उस से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ रोजगारों में भी परिवार के सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जोड़ लिया. तंबाकू की खेती के अलावा वे बागबानी फसलों की तरफ भी मà¥à¤¡à¤¼à¥‡. आजकल वे 25 बीघे खेत में टिशà¥à¤¯à¥‚कलà¥à¤šà¤° विधि से तैयार की गई केले की जी 9 व रोबेसà¥à¤Ÿà¤¾ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ की खेती कर रहे हैं. केले की खेती से अचà¥à¤›à¤¾ फायदा लेने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने परिवार के सदसà¥à¤¯ ओमपà¥à¤°à¤•ाश को जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ सौंप रखी है. ओमपà¥à¤°à¤•ाश तैयार केले की फसल को नजदीकी मंडी में ले जाते हैं, जिस से बिचौलियों की वजह से नà¥à¤•सान नहीं होने पाता है.                         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

जैविक खेती के लिठपशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨

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किसान रामराज वरà¥à¤®à¤¾ ने अपने खेतों में बोठगठतंबाकू व बागबानी फसलों में कैमिकलयà¥à¤•à¥à¤¤ खादों व उरà¥à¤µà¤°à¤•ोें के इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² में कमी लाने के लिठ16 दà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‚ पशà¥à¤“ं को पाल रखा है, जिन से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले मलमूतà¥à¤° का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² वे गोबर गैस पà¥à¤²à¤¾à¤‚ट में करते हैं और गोबर गैस से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ अवशिषà¥à¤Ÿ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— जैविक खाद के रूप में करते हैं. किसान रामराज वरà¥à¤®à¤¾ ने यह साबित कर दिया है कि अगर वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• फसलों की खेती उनà¥à¤¨à¤¤ तरीके से की जाठतो न केवल वह किसान के लिठफायदेमंद बन सकती है, बलà¥à¤•ि उस से दूसरे लोगों को भी जोड़ा जा सकता है. उन की तंबाकू की खेती से होने वाले लाभ को देखते हà¥à¤ गांव के तमाम लोगों ने तंबाकू की खेती को अपना कर अपनी माली हालत को मजबूत किया है.

किसान रामराज वरà¥à¤®à¤¾ से तंबाकू की खेती के गà¥à¤° सीखने के लिठदूसरे जिलों के लोग भीउन के खेतों तक चल कर आते हैं. दूसरे जिलों से आठकिसानों को रामराज वरà¥à¤®à¤¾ न केवल तंबाकू की खेती से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ तकनीकी जानकारी देते हैं, बलà¥à¤•ि उस की पà¥à¤°à¥‹à¤¸à¥‡à¤¸à¤¿à¤‚ग, गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ व मारà¥à¤•ेटिंग के बारे में भी बताते हैं.

तंबाकू की रोपाई का आदरà¥à¤¶ समय 20 सितंबर से 10 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर माना गया है। 6-8 सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ बीचडे़ की रोपाई करनी चाहिà¤à¥¤ इसके लिठकिसानों को तंबाकू की पौधशाला में सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ बीचडे़ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ के लिठरैबिंग विधि अपनाना चाहिà¤à¥¤ इसमें सूखे खर-पतवार, पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ या पà¥à¤†à¤² की 15-20 सेमी मोटी परत मिटà¥à¤Ÿà¥€ के उपर बिछाकर उसे जलाया जाता है। फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प खर पतवार के बीज à¤à¤µà¤‚ मिटà¥à¤Ÿà¥€ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रोग à¤à¤µà¤‚ कीडे़ नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं। बीज गिराने से पूरà¥à¤µ कà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ में तोड़ी की खलà¥à¤²à¥€, सिंगल सà¥à¤ªà¤° फासà¥à¤«à¥‡à¤Ÿ तथा 10 गà¥à¤°à¤¾à¤® फà¥à¤¯à¥‚राडान दबा अचà¥à¤›à¥€ तरह मिला दे। अचà¥à¤›à¥‡ अंकà¥à¤°à¤£ के लिठबà¥à¤†à¤ˆ के समय कà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ में नमी का होना भी आवशà¥à¤¯à¤• है। तेज धूप और तेज वरà¥à¤·à¤¾ से बीचडे़ को बचाने के लिठटाटी से ढंक दें। अंकà¥à¤°à¤£ बाद उसे हटा लें। कà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ से घने पौधे हटाठà¤à¤µà¤‚ नमी बनाये रखे। छह से आठ सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के बीज की रोपाई करें। अगसà¥à¤¤ के अंतिम सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में बीचडे़ अवशà¥à¤¯ गिरा लें।

खेती की तैयारी

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के बीचड़े की रोपाई से पूरà¥à¤µ खेत को अचà¥à¤›à¥€ तरह जà¥à¤¤à¤¾à¤ˆ करें, ताकि उसमें ढेले न रहे। खेत में पाटा चला कर समतल कर दें। दस टन पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤•ड़ कमà¥à¤ªà¥‹à¤·à¥à¤Ÿ या गोबर, खलà¥à¤²à¥€ 1112 किलो, रोपनी पूरà¥à¤µ यूरिया 80 किलो, कैलà¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤® 86 किलो, फॉसà¥à¤«à¥‡à¤Ÿ 150 किलो, पोटाश 45 किलो पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤•ड़ जोत में मिला दें।

ये पà¥à¤°à¤­à¥‡à¤¦ हैं फायदेमंद

आरà¤à¤¯à¥‚ के तकनीकी सहायक उदय कà¥à¤®à¤¾à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की उपज à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ के खà¥à¤¯à¤¾à¤² से पीटी 76 पà¥à¤°à¤­à¥‡à¤¦ के लिठ1 मीटर गà¥à¤£à¤¾ 90 सेमी तथा वैशाली सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤², सोना, विचà¥à¤›à¤µà¥€ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤­à¥‡à¤¦ के लिठ90 सेमी गà¥à¤£à¤¾ 75 सेमी की दूरी à¤à¤µà¤‚ विनियास उतà¥à¤¤à¤® होता है। अचà¥à¤›à¥€ आमदनी हेतॠपीटी 76, वैशाली सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤² और लिचà¥à¤›à¤µà¤¿ पà¥à¤°à¤­à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ में अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤­à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ के अपेकà¥à¤·à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ निकोटिन पाया जाता है। जिससे बाजार में अचà¥à¤›à¤¾ मूलà¥à¤¯ किसानों को मिलता है।

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू पौधे की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। यह à¤à¤• मादक और उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤• पदारà¥à¤¥ है, जो ‘निकोशियाना” (अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€Â à¤¨à¤¾à¤®Â : Nicotiana) जाति के पौधे की बारीक कटी हà¥à¤ˆ पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, जो कि खाने-पीने तथा सूà¤à¤˜à¤¨à¥‡ के काम आती हैं, से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जाता है। किसी अनà¥à¤¯ मादक या उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤• पदारà¥à¤¥ की अपेकà¥à¤·à¤¾ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— आज सबसे अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में किया जा रहा है। भारत में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का पौधा पà¥à¤°à¥à¤¤à¤—़ालियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सन 1608 ई. में लाया गया था और तब से इसकी खेती का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° भारत के लगभग सभी भागों में फैल गया है। भारत विशà¥à¤µ के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का लगभग 7.8 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करता है।

 

 

 

 

 

 

 

उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ तथा इतिहास

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ कब और कहाठहà¥à¤ˆ, इसका ठीक पता नहीं चलता। कहते हैं कि, à¤à¤• बार पà¥à¤°à¥à¤¤à¤—़ाल सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ फà¥à¤°à¤¾à¤à¤¸à¥€à¤¸à¥€ राजदूत ‘जॉन निकोट’ ने अपनी रानी के पास तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का बीज भेजा और तभी से इस पौधे का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसार में हà¥à¤†à¥¤ निकोट के नाम को अमर रखने के लिये तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का वानसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤• नाम ‘निकोशियाना’ रखा गया। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€Â à¤…मेरिका का पौधा माना जाता है। इसकी खेती à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿ काल से हाती चली आ रही है। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू अयनवृतà¥à¤¤à¥€à¤¯ पौधा है, तथापि इसकी सफल खेती अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में भी होती है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह अपने को विभिनà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार की भूमि तथा जलवायॠके अनà¥à¤•ूल बना लेता है।

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विभिनà¥à¤¨ जातियाà¤

अब तक संसार में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की 60 विभिनà¥à¤¨ जातियाठमिल चà¥à¤•ी हैं। इनमें से ‘निकोशियाना टबैकम’ और ‘निकोशियाना रसà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा’ की खेती बड़े पैमाने पर होती है। खेती तथा वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से केवल ये ही दो जातियाठउपयोगी सिदà¥à¤§ हà¥à¤ˆ हैं।

भारत में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का आगमन

à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि, 17वीं सदी में पà¥à¤°à¥à¤¤à¤—़ालियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾Â à¤­à¤¾à¤°à¤¤Â à¤®à¥‡à¤‚ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की खेती का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚भ हà¥à¤†à¥¤ 17वीं, 18वीं सदियों में यूरोपीय यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने भारत में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की खेती और उसके उपयोग का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया है। मà¥à¤—़ल समà¥à¤°à¤¾à¤ŸÂ à¤œà¤¹à¤¾à¤à¤—ीर के समय में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की खेती का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° नहीं हो पाया, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने घोषणा की थी, कि तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू पीनेवालों के होठों को काट दिया जाà¤à¤—ा। वà¥à¤¹à¤¾à¤‡à¤Ÿà¤²à¥‰ आइनà¥à¤¸à¥à¤²à¥€ की लिखी हà¥à¤ˆ ‘मेटिरिया इंडिका’ नामक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में देशी तथा यूरोपीय डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ भारत में दवा संबंधी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिये तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के उपयोग के बारे में लिखा है। सामाजिक रà¥à¤•ावटों के अभाव के कारण अब धूमà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¨ सरलता से अपनाई जानेवाली आदत बन गई है।

राजसà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का साधन

आज विशà¥à¤µà¤­à¤° में अमेरीका तथा चीन के बाद बड़े पैमाने पर तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू पैदा करने वाला तीसरा राषà¥à¤Ÿà¥à¤°Â à¤­à¤¾à¤°à¤¤Â à¤¹à¥ˆà¥¤ आज भारत तथा विशà¥à¤µ में अनà¥à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤‚ की सरकारों के लिये तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू कर के रूप में कामधेनॠके समान है। कृषक के लिये तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू बहà¥à¤¤ ही मà¥à¤–à¥à¤¯ नक़द शसà¥à¤¯ (फ़सल) है। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¤: 45 करोड़ रà¥à¤ªà¤ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की खेती से उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों को मिलते हैं। इसके अतिरिकà¥à¤¤ केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ सरकार को 45 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ शà¥à¤²à¥à¤•, अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¤: दो करोड़ निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤•र और देश को 16 करोड़ की मूलà¥à¤¯ का विदेशी विनिमय मिलता है। 

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की खेती करने वाले निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾, निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤• तथा अनगिनत मधà¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ लोग इससे खूब लाभ उठा रहे हैं। इसके अतिरिकà¥à¤¤ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के विभिनà¥à¤¨ उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों में लाखों वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीविका पा रहे हैं। भारत तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ समृदà¥à¤§ है और अपनी पैदावार का 16-17 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के विभिनà¥à¤¨ भागों को निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ करता है।

भारत में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की पैदावार

सब फ़सलों का केवल 0.28 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ भाग ही भारत में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की खेती होती है। सनॠ1959 में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की खेती का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° 8,96,000 à¤à¤•ड़ था। इसमें अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¤: 5,89,00,000 पाउंड तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू पैदा हà¥à¤†à¥¤ भारत में आंधà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶Â à¤¤à¤®à¥à¤¬à¤¾à¤•ू उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ केनà¥à¤¦à¥à¤° है। यहाठतमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का 66 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ तथा देश के वरà¥à¤œà¥€à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ सिगरेट तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का 95 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ पैदा होता है। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू पैदा करने वाले अनà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° हैं: महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤, मदà¥à¤°à¤¾à¤¸, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल, बिहार, हैदराबाद, मैसूर, उड़ीसा, मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨Â à¤¤à¤¥à¤¾Â à¤ªà¤‚जाब।

भौगोलिक दशाà¤à¤

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की खेती के समय निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित भौगोलिक दशाओं की आवशà¥à¤¯à¤•ता रहती है-

  1. तापमान – तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की पैदावार का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° बड़ा विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ है। इसका उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨Â à¤¸à¤®à¥à¤¦à¥à¤°Â à¤•े धरातल से लेकर 1800 मीटर की ऊंचाई तक भी किया जा सकता है। इसके पूरà¥à¤£ विकास के लिà¤Â à¤¤à¤¾à¤ªà¤®à¤¾à¤¨18° से 40° सेलà¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¸ के मधà¥à¤¯ ठीक रहता है। पाला तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के लिठघातक है। अतः इसकी खेती वहीं की जाती है, जहाठपाले का 200 दिन तक भय नहीं रहता, जैसे- पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल, बिहार, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°Â à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में।
  2. वरà¥à¤·à¤¾Â – इसके लिठसाधारणतः 50 से 100 सेटीमीटर वरà¥à¤·à¤¾ ही चाहिà¤à¥¤ इससे अधिक वरà¥à¤·à¤¾ वाले भागों में इसकी खेती नहीं की जा सकती। पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पकने के समय वरà¥à¤·à¤¾Â à¤¹à¥‹ जाने से इसकी किसà¥à¤® बिगड़ जाती है। पकने के समय सà¥à¤µà¤šà¥à¤› आकाश और तेज धूप का होना आवशà¥à¤¯à¤• है। इसकी जड़ों में जल à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ नहीं होना चाहिà¤, अतः तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की कृषि नदियों की ढालू घाटियों और पठारी भागों पर अधिक की जाती है।
  3. मिटà¥à¤Ÿà¥€Â – तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के लिठगहरी दोमट अथवा मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ लाल व कछारी मिटà¥à¤Ÿà¥€ उपयà¥à¤•à¥à¤¤ रहती है। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू भूमि में से उपजाऊ ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ को बहà¥à¤¤ जलà¥à¤¦à¥€ खींच लेती है, अतः पोटाश, फ़ॉसà¥à¤«à¤¼à¥‹à¤°à¤¿à¤• à¤à¤¸à¤¿à¤¡ और लोहांश के रूप में खाद की आवशà¥à¤¯à¤•ता पड़ती है। अधिकतर हरी या रासायनिक खाद (अमोनियम सलà¥à¤«à¥‡à¤… व फ़ॉसà¥à¤«à¥‡à¤Ÿ) दी जाती है।
  4. शà¥à¤°à¤®Â – तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के पौधे लगाने, काटने, पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤–ाने और तेयार करने में ससà¥à¤¤à¥‡ शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤•ों की आवशà¥à¤¯à¤•ता पड़ती है।
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तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की किसà¥à¤®à¥‡à¤‚

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू शीतकाल में पैदा होती है। जहाठसिंचाई की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं, वहाठदो फ़सलें भी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की जाती हैं। पहली फ़सल जनवरी से जून तक तथा दूसरी अकà¥à¤Ÿà¥‚बर से मारà¥à¤šÂ à¤¤à¤•। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की किसà¥à¤®Â à¤®à¤¿à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€, अपने रंग, वज़न और खाद पर निरà¥à¤­à¤° करती है। मौसम में हलà¥à¤•े परिवरà¥à¤¤à¤¨ à¤à¤µà¤‚ पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की छंटनी और सफाई और तैयार करने की विशेष विधि का भी किसà¥à¤® पर पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ पड़ता है। वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ कहा जा सकता है कि ठणà¥à¤¡à¥€ नम, गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® ऋतॠऔर हलà¥à¤•ी नरम भूमि होने पर पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ अचà¥à¤›à¥‡ रेशे वाली और मधà¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¦ वाली होती हैं, किनà¥à¤¤à¥ जब भूमि कठोर और तापमान ऊà¤à¤šà¤¾ रहता है तो पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मोटी और तेज सà¥à¤µà¤¾à¤¦ वाली होती है।

भारत में लगभग 60 किसà¥à¤® की तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू बोयी जाती है, किनà¥à¤¤à¥ इनमें दो ही मà¥à¤–à¥à¤¯ हैं- ‘निकोटिना टà¥à¤µà¥ˆà¤•म’ और ‘निकोटिना रसà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा’। भारत में सबसे अधिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² पà¥à¤°à¤¥à¤® किसà¥à¤® के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त है। टà¥à¤µà¥ˆà¤•म सारे भारत में बोयी जाती है। इसमें गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ रंग के के फूल होते हैं। इसका पौधा लमà¥à¤¬à¤¾ और पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बड़ी होती हैं। सिगरेट, चà¥à¤°à¥à¤Ÿ, बीड़ी, हà¥à¤•à¥à¤•ा तथा खाने और सूंधनी बनाने में इसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता है। बिहार का उतà¥à¤¤à¤°à¥€ मैदान à¤à¤µà¤‚ कृषà¥à¤£à¤¾-गोदावरी डेलà¥à¤Ÿà¤¾ की जलवायॠउषà¥à¤£à¤¾à¤°à¥à¤¦à¥à¤° होने के कारण ये कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखते हैं। चूंकि रसà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू को ठणà¥à¤¡à¥€ जलवायॠकी आवशà¥à¤¯à¤•ता होती है, अतः यह मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ उतà¥à¤¤à¤°à¥€ और उतà¥à¤¤à¤°-पूरà¥à¤µà¥€ भारत में पैदा की जाती है, इसका पौधा छोटा, पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ रूखी और भारी होती हैं। रंग काला और महक तेज होती है। इसका उपयोग हà¥à¤•à¥à¤•ा, खाने और सूंघनी बनाने में होता है।

भारत में उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°

भारत में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· लगभग 3 लाख से 3.5 लाख हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤…र कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पर तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की कृषि होती है। देश का लगभग 85 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मातà¥à¤° चार राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आनà¥à¤§à¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶Â (36 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤), करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤•(24 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤), गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤Â (21 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤) तथा बिहार (4 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤) में है। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से आनà¥à¤§à¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¥à¤®, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ का दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ तथा करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• का तृतीय सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का शेष कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°Â à¤¤à¤®à¤¿à¤²à¤¨à¤¾à¤¡à¥, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°Â à¤”र उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶Â à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में है।

आनà¥à¤§à¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶Â à¤•े गà¥à¤‚टूर, कृषà¥à¤£à¤¾, पूरà¥à¤µà¥€ और पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ गोदावरी ज़िले तथा तेलंगाना कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू अधिक पैदा की जाती है, किनà¥à¤¤à¥ दो तिहाई से भी अधिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° गà¥à¤‚टूर ज़िले में है। इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की मिटà¥à¤Ÿà¥€Â à¤•ाले रंग की है, जिसमें चूने की मातà¥à¤°à¤¾ कम है। इसमें जल धारण करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ अधिक होती है। पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तैयारी के समय परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ आरà¥à¤¦à¥à¤°à¤¤à¤¾ रहती है, जिससे पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° और उतà¥à¤¤à¤® किसà¥à¤® की होती हैं। गरम जलवायॠव नम मिटà¥à¤Ÿà¥€ तथा सूरà¥à¤¯Â à¤•ी धूप मिलने से यहाठविभिनà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार की वरà¥à¤œà¥€à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू तथा नाटू, थोक आकू आदि उगायी जाती हैं। मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ चà¥à¤°à¥à¤Ÿ और सिगार बनाने क काम में लायी जाती है।

उतà¥à¤¤à¤°à¥€ बिहार में बिहार के समसà¥à¤¤à¥€à¤ªà¥à¤°, दरभंगा, मà¥à¤‚गेर और पूरà¥à¤£à¤¿à¤¯à¤¾Â à¤œà¤¼à¤¿à¤²à¥‡ तथा पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल के जलपाईगà¥à¤¡à¤¼à¥€, मालà¥à¤¦à¤¾, हà¥à¤—ली, कूचबिहार और बहरामपà¥à¤°Â à¤œà¤¼à¤¿à¤²à¥‡ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। गंगा के ढालू मैदान की उपजाऊ मिटà¥à¤Ÿà¥€ इसकी कृषि के लिठआदरà¥à¤¶ है। यहाठहà¥à¤•à¥à¤•े के लिठउपयोगी à¤à¤¨ टà¥à¤¬à¥ˆà¤•म, à¤à¤¨ रसà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा की विविध किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ (विलायती, मोतीहारी और जटà¥à¤Ÿà¥€) पैदा की जाती हैं। खाने और सूंघने की तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू भी यहाठपैदा की जाती है।

गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤Â à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के खेड़ा ज़िले में आननà¥à¤¦, घोरसद, पेटलाद और नाडियाड तालà¥à¤²à¥à¤•े चरोतà¥à¤¤à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। इस पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की विभिनà¥à¤¨ किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ (निकोटिना रसà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा और वरà¥à¤œà¥€à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ टà¥à¤¬à¤•ैम) बोयी जाती है। यहाठकी तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू बीड़ी के लिठअधिक उपयà¥à¤•à¥à¤¤ होती है।

महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°Â à¤•े कोलà¥à¤¹à¤¾à¤ªà¥à¤°, सांगली, मिराज और सतारा ज़िले में निपानी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ बीड़ी की तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उगायी जाती है। यहाठगहरी काली और गहरे लाल रंग की मिटà¥à¤Ÿà¥€ में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू पैदा की जाती है। करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• के वेलगावी ज़िले में उतà¥à¤¤à¤® तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू पैदा की जाती है।

उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶Â à¤•े वाराणसी, मेरठ, बà¥à¤²à¤¨à¥à¤¦à¤¶à¤¹à¤°, मैनपà¥à¤°à¥€, सहारनपà¥à¤°, कनà¥à¤¨à¥Œà¤œÂ à¤”र फ़रà¥à¤°à¥à¤–़ाबाद ज़िले; पंजाब के अमृतसर, जालनà¥à¤§à¤°, गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¾à¤¸à¤ªà¥à¤°Â à¤¤à¤¥à¤¾Â à¤«à¤¼à¤¿à¤°à¥‹à¤œà¤ªà¥à¤°Â à¤œà¤¼à¤¿à¤²à¥‡ और हरियाणा के गà¥à¤¡à¤¼à¤—ांव, करनालऔर अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾Â à¤œà¤¼à¤¿à¤²à¥‡ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के मà¥à¤–à¥à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• शहर हैं। यहाठहà¥à¤•à¥à¤•ा के लिठतथा खाने के लिठबढि़या किसà¥à¤® की कलकतिया तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उगायी जाती है।

तमिलनाडà¥Â à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के मदà¥à¤°à¥ˆ, कोयमà¥à¤¬à¤Ÿà¥‚र, तंजावà¥à¤°, डिंडीगà¥à¤², तिरà¥à¤šà¤¿à¤°à¤¾à¤ªà¤²à¥à¤²à¥€, ज़िलों में इसकी कृषि होती है। इसमें सिगार और चà¥à¤°à¥à¤Ÿ में भरी जाने वाली तथा खाने और सूंघने की तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू उगायी जाती है।

वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°

देश में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की औसत उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ता 1500 से 1600 किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤…र है। उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का अधिकांश देश में खप जाता है। निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ के लिठअधिक मातà¥à¤°à¤¾ नहीं बच पाती। फिर भी यहाठसे बिना तैयार की हà¥à¤ˆ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ किया जाता है। यह निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤Â à¤¸à¤‚यà¥à¤•à¥à¤¤ राजà¥à¤¯ अमरीका, रूस, अदन, बेलà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤®, शà¥à¤°à¥€à¤²à¤‚का, बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶, चीन, नीदरलैणà¥à¤¡à¥à¤¸, फ़à¥à¤°à¤¾à¤à¤¸, दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफ़à¥à¤°à¥€à¤•ा, बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨, मिसà¥à¤°, सिंगापà¥à¤°, जापान और हांगकांग को किया जाता है। निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤Â à¤•ोलकाता, चेनà¥à¤¨à¤ˆÂ à¤”र मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆÂ à¤¬à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤—ाहों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ होता है। उचà¥à¤š कोटि की सिगरेटों में मिशà¥à¤°à¤£ के लिठसंयà¥à¤•à¥à¤¤ राजà¥à¤¯ अमरीका में गरम वायॠमें सà¥à¤–ायी गयी तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू आयात की जाती है। कà¥à¤› तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू मिसà¥à¤°, पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨Â à¤”र मà¥à¤¯à¤¾à¤‚मार से भी आयात होती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

विभिनà¥à¤¨ उपयोग

सूखते हà¥à¤ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के पौधे

à¤à¤¨. रसà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा जाति के तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का अधिकांश भाग हà¥à¤•à¥à¤•े में पीने के लिये पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होता है। à¤à¤¨. टवैकम जाति का तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू सिगरेट, बीड़ी, सà¥à¤à¤§à¤¨à¥€ और खानेवाले तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के काम में आता है। वरà¥à¤œà¥€à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू, जो अधिकतर आंधà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶Â à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ में उगाया जाता है और सिगरेट बनाने के काम में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होता है, वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ है। बरà¥à¤²à¥€ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का सिगरेटों में संमिशà¥à¤°à¤£ के लिये अधिकतर उपयोग किया जाता है। नाटू (देशी) तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू, जो की ‘चà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿ’ नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है, छोटे और हाथ से लपेटे जाने वाले चà¥à¤°à¥à¤Ÿ बनाने के काम आता है। इस तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की हलà¥à¤•ी तथा भूरे रंग की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का ससà¥à¤¤à¥€ सिगरेटों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में उपयोग किया जाता है। गहरे भूरे रंग की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤, पाइप में पीने के तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की विभिनà¥à¤¨ किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ तैयार करने के लिये ‘यूनाइटेड किंगडम’ को निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ की जाती हैं। दकà¥à¤·à¤¿à¤£ मदà¥à¤°à¤¾à¤¸ के दिंडà¥à¤•ल, तिरà¥à¤šà¤¿à¤°à¤¾à¤ªà¤²à¥à¤²à¥€ और कोयंवटूर ज़िलों में उगाया गया पà¥à¤°à¤®à¥à¤– जाति का तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू चà¥à¤°à¥à¤Ÿ और सिगार बनाने में तथा खानेवाला तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू तैयार करन में काम आता है।

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तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के विभिनà¥à¤¨ नाम

यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू नाम से à¤à¤• ही फ़सल का आभास होता है, तथापि विभिनà¥à¤¨ उपयागों में आने वाले तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ूओं की खेती तथा सिà¤à¤¾à¤ˆ में इतना अंतर है कि, उनके भिनà¥à¤¨-भिनà¥à¤¨ नाम रख दिठगठहैं, जैसे- ‘हà¥à¤•़à¥à¤•़ा तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू’, गरम हवा से सिà¤à¤¾à¤¯à¤¾ गया ‘सिगरेट तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू’, धूप में सà¥à¤–ाया गया ‘सिगरेट तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू’ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¥¤

पौधशाला तैयार करना

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू रोपित फ़सल है, जिसकी सफलता उसकी पौधशाला पर निरà¥à¤­à¤° है। यदि सà¥à¤¦à¥ƒà¤¢à¤¼ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ और à¤à¤• ही अवसà¥à¤¥à¤¾ के पौधे नहीं लगाठजाà¤à¤à¤—े, तो फ़सल अचà¥à¤›à¥€ नहीं होती है। पौधशाला की भूमि का चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करते समय यह बात धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखनी चाहठकि, सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर हो, पानी का निकास अचà¥à¤›à¤¾ हो तथा सिंचाई का साधन निकट हो। हर साल à¤à¤• ही भूमि पर पौधशाला नहीं लेनी चाहिà¤à¥¤ भूमि पर 4 फà¥à¤Ÿ चौड़ी पटरियों पर पौधशाला उगानी चाहिà¤à¥¤ पटरियों के बीच 1.1/2 फà¥à¤Ÿ चौड़ा रासà¥à¤¤à¤¾ आने जाने, पानी निकालने और काम करने के लिये छोड़ना चाहिà¤à¥¤ आवशà¥à¤¯à¤•तानà¥à¤¸à¤¾à¤° बीज को लेकर बालू या राख में मिलाकर बोने के बाद हथेली से पीओ देना चाहिठतथा पानी देते रहना चाहिà¤à¥¤ à¤à¤¨. टबैकम का आधा सेर से à¤à¤• सेर तक तथा à¤à¤¨. रसà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा का दो से तीन सेर तक बीज à¤à¤• à¤à¤•ड़ पौधशाला के लिये परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।

पौध-रोपण

जब पौधे 4-6 इंच बड़े हो जाते हैं, तो उनको अचà¥à¤›à¥€ तरह तैयार किठहà¥à¤ खेतों में लगा देते हैं। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की à¤à¤¨. टबैकम जाति के पौधों को सामानà¥à¤¯à¤¤: 2.1/2 से 3 फà¥à¤Ÿ की दूरी पर तथा à¤à¤¨. रसà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा के पौधों को 1.1/2 फà¥à¤Ÿ की दूरी पर लगाते हैं। ये दूरियाठकतार से कतार तथा पेड़ से पेड़ के बीच रखी जाती हैं। रोपाई शाम को करनी चाहिà¤à¥¤ कहीं-कहीं नम खेत में रोपाई की जाती है और कहीं-कहीं रोपाई के बाद तà¥à¤°à¤‚त पानी देते हैं।

धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखने योगà¥à¤¯ तथà¥à¤¯

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की फ़सल के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित तथà¥à¤¯ मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से सà¥à¤®à¤°à¤£ रखने चाहिठ–

  1. आवशà¥à¤¯à¤•तानà¥à¤¸à¤¾à¤° सिंचाई, निराई और गà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤ˆ करते रहना चाहिà¤à¥¤
  2. तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के फूलों को तोड़ना अति आवशà¥à¤¯à¤• है, नहीं तो पतà¥à¤¤à¥‡ हलके पड़ जाà¤à¤à¤—े और फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प उपज कम हो जाà¤à¤—ी तथा पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में भी कमी आ जाà¤à¤—ी।
  3. फूल तोड़ने के बाद पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच की सहायक कलियों से पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ निकलने लगती हैं, उनको भी समयानà¥à¤¸à¤¾à¤° तोड़ते रहना चाहिà¤à¥¤
  4. बीज के लिये छोड़े जाने वाले पौधों के फूलों को नहीं तोड़ना चाहिà¤à¥¤

पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सिà¤à¤¾à¤¨à¤¾

पके हà¥à¤ पेड़ों को जड़ से काटकर या पकी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को तोड़कर सिà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। सिà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के तरीकों में विशेष अंतर है। सिà¤à¤¾à¤ˆ उस कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का नाम है, जिसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सà¥à¤–ाकर बेचने योगà¥à¤¯ बनाई जाती हैं। इस कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में बहà¥à¤¤ से रासायनिक परिवरà¥à¤¤à¤¨ होते हैं और नमी की मातà¥à¤°à¤¾ घटकर 12-14 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ रह जाती है। अधिक नम तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू रखने से वह सड़ जाती है। सिà¤à¤¾à¤ˆ हà¥à¤ˆ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू को ही खाने, पीने या सूà¤à¤§à¤¨à¥‡ के काम में लाते हैं। हà¥à¤•़à¥à¤•़ा तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का डंठल भी पीने के काम आता है। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू की बीमारियों तथा कीड़ो का भी समà¥à¤šà¤¿à¤¤ निरोध करते रहना चाहिà¤, नहीं तो फ़सल को हानि पहà¥à¤à¤š सकती है।

तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू का तैयार माल

भारत में तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के तैयार माल सिगरेट, सिगार, बीड़ी, सà¥à¤à¤˜à¤¨à¥€, चबाया जाने वाला (खैनी) तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू और हà¥à¤•़à¥à¤•़ा तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू हैं। तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के बीज से तेल भी निकलता है। इस तेल का वारà¥à¤¨à¤¿à¤¶ और रंग के उदà¥à¤¯à¥‹à¤— में लाभदायक रूप से उपयोग किया जा सकता है। इसकी खली का पशà¥à¤“ं को खिलाने या खेतों के लिठखाद के रूप में भी उपयोग हो सकता है।

निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ नीति पर आधारित है, उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों और दूसरों के नियम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वरà¥à¤œà¥€à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों, नरà¥à¤¸à¤°à¥€ कारà¥à¤¯ से जà¥à¤¡à¥‡ के पंजीकरण के पंजीकरण या नवीनीकरण के लिठमापदंड नीचे रखना होगा के लिठपंजीकरण समिति 33 (2) और 33-डी (1) के तंबाकू बोरà¥à¤¡ के नियमों 1976 समिति ने भी नियम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° लाइसेंस या बरà¥à¤¨à¥à¤¸à¥ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ और बरà¥à¤¨à¥à¤¸à¥ के संचालन के लिठलाइसेंस के नवीकरण के अनà¥à¤¦à¤¾à¤¨ के लिठमापदंड नीचे देता 34-à¤à¤® (1) और 34-ओ (1) तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू बोरà¥à¤¡ नियम 1976 की। पंजीकरण समिति कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ लकà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ वार कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में लाइसेंस पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ बरà¥à¤¨à¥à¤¸à¥ और तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू आधारित के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ता के सà¥à¤¤à¤° की संखà¥à¤¯à¤¾ ले अधिकृत होने के लिठखलिहान और कोटा पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पंजीकृत होने के लिठपर फैसला किया। तदनà¥à¤¸à¤¾à¤° पंजीकृत उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों ने अपने खलिहान (à¤à¤¸) और उसकी / उसके लाइसेंस पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ खलिहान (à¤à¤¸) के लिठखेती की जा करने के लिठकà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° की संखà¥à¤¯à¤¾ के लिठनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® के मामले में à¤à¤• उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ कोटा आवंटित कर रहे हैं और उसी के साथ पालन करने के लिठबारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों के पंजीकरण के पंजीकरण / नवीनीकरण के लिठमानदंड (नियम 33-सी, डी):

    1. à¤à¤• वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• के रूप में पंजीकरण के पंजीकरण / नवीनीकरण पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के इचà¥à¤›à¥à¤• किसानों के तहत वहाठआवशà¥à¤¯à¤• जानकारी पà¥à¤°à¤ªà¤¤à¥à¤° -3 में à¤à¤• आवेदन फाइल और पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने के लिठहै और इन आवेदनों निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित शरà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के पंजीकरण के विषय के पंजीकरण / नवीनीकरण के अनà¥à¤¦à¤¾à¤¨ के लिठविचार किया जाà¤à¤—ा।
      • वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उठाया जाना पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ है जहां कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° / पà¥à¤²à¤¾à¤Ÿ मिटà¥à¤Ÿà¥€ जनित रोगों से मà¥à¤•à¥à¤¤ किया जाना चाहिà¤, और इस तरह के रोगों के लिठजाना जाता है कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से दूर होना चाहिà¤à¥¤
      • आवेदक 40PPं से कà¥à¤²à¥‹à¤°à¤¾à¤‡à¤¡ अधिक नहीं होने चाहिठतमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू नरà¥à¤¸à¤°à¥€ और सिंचाई के लिठबने पानी सिंचाई के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पानी की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के अधिकारी करेंगे।
      • नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों का उपयोग करेगा और & लà¥à¤¡à¥à¥˜à¥à¤“; अधिकृत बीज & रà¥à¤¡à¥à¥˜à¥à¤“; उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ और Cॠई और या आईटीसी और नà¥à¤¡à¤¶à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आपूरà¥à¤¤à¤¿;। ईळà¥à¤ à¥à¤¢à¥ अनà¥à¤¸à¤‚धान पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤— सदा ही
      •  50 / की राशि – 0.10 पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤°à¥¤ या उसके भाग पंजीकरण शà¥à¤²à¥à¤• की दिशा में à¤à¤•तà¥à¤° किया जा सकता है ..
    2.  नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• तमà¥à¤¬à¤¾à¤•ू बोरà¥à¤¡ अधिनियम, नियम और अमà¥à¤ªà¥ का उलà¥à¤²à¤‚घन कर रहे हैं जो गतिविधियों में शामिल किया गया है नहीं करना चाहिà¤; इस तरह के खतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ आदि की अवैध बिकà¥à¤°à¥€ / खरीद / अनधिकृत खेती / निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में शामिल के रूप में विनियम,
    3.  पंजीकरण के नवीकरण के मामले में, नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• फारà¥à¤® नं -7 और निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ समय के भीतर पिछले सतà¥à¤° के आठ में रिटरà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करेगा। à¤à¤¸à¥‡ वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उगाने वालों पर लगाया जा सकता है – मामले में à¤à¤• ही 500 / का जà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¾, पिछले साल आवेदक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ नहीं कर रहे हैं। रिटरà¥à¤¨ की देरी पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ 250 / के ठीक à¤à¤• के लिठ– लगाया जा सकता है।
    4.  वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों के रूप में पंजीकरण के नवीकरण के लिठआवेदकों को भी फारà¥à¤® में रजिसà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने के लिठआवशà¥à¤¯à¤• हैं नंबर-5 à¤à¤µà¤‚ 6 (नियम-33 ई 1) बीज के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ से पहले सतà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ और जांच के लिठमांग और पंजीकरण के नवीकरण देने पर नीलामी अधीकà¥à¤·à¤•ों को वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों के रूप में।
    5. वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों आदि किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ का संकेत है नरà¥à¤¸à¤°à¥€ भूखंड पर à¤à¤• नोटिस बोरà¥à¤¡ हो, ठà¥à¤­à¥à¤£à¥à¤±à¥ नंबर पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ है, और केवल पंजीकृत उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों को शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, रोग और निमेटोड मà¥à¤•à¥à¤¤ और कठोर अंकà¥à¤°à¥‹à¤‚ की आपूरà¥à¤¤à¤¿ और वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• नरà¥à¤¸à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ों को लागू के रूप में इस तरह के दिशा-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ और शरà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का पालन करेगा ।

7 COMMENTS

  1. The next time I read a weblog, I hope that it doesnt disappoint me as a lot as this one. I mean, I know it was my option to read, but I truly thought youd have something interesting to say. All I hear is a bunch of whining about something that you may fix in the event you werent too busy in search of attention.

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  3. DWI allegations require most of the highly trained methods used in defense cases. protecting a OVI is initiated with deciding not any of one’s rights on the constitution were abused. When law enforcement is in front of you, while they are basically the only witness most of the time, the commands and procedural conduct is of the substance. We all make accidents, and the law are no exception. The Occasion starts when usual suspicion that can lead to obvious cause. For example, a person gets pulled over for speeding at 1 a.m.. A officer has regular suspicion that someone committed a traffic offense, reckless driving. then, as the then man tries to make eye communication or steps in towards your car, the officer may exclaim you posess watery eyes, or there is an odor of liquor. This elevates the reasonable intuition of abnormal driving to giving a police a reason that someone may be driving while drunk. eighty% of law enforcement will say smell of beer, watery eye balls, or slurred talk. The officer may usually say you were rumaging around trying to get your license and insurance out. Now a person is likely commanded to get out of a vehicle and do regular driving sobriety tests. Those are SFST’s are learned under NHTSA (National Highway Traffic Safety Administration) standardizations and must be followed per situation. If you do go through the checks, the police officer can make mistakes that can make the test, or tests thrown out of from evidence. Factors such as physical impairments and optimal field conditions can be integrated into results of your field sobriety test. (example: a person can’t perform a walk and turn test on ramped sidwalk). You may usually take a digital breath test. There are mistakes in these machines as well, and they are machines that need to be maintained and training on every day. The arrest is videoed from the instance the cop starts their red and blues. It is through this taped footage that we are able to inform an learned idea if the cops performing of the tests, to the accused ability taking the tests. Whether you consent to the manipukations or not, one usually will go to big house. If you know someone that has been incarcerated for Domestic violence or any criminal charges or know some one who needs a criminal defense Attorney check out my site here [url=https://www.bouchardcincinnaticriminalduiattorney.com/practice-areas/top-cincinnati-ohio-dui-ovi-attorney-roger-bouchard/][color=#000_url]dwi in Cincinnati OH[/color][/url] Great site!

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