एडोल्फ हिटलर बहुत ही उज्ज्वल (Bright) बच्चे थे और अपने स्कूल में वे बहुत प्रसिद्ध भी थे. उनकी रूचि फाइन कला में थी, किन्तु उनके पिता को यह पसंद नहीं था वे चाहते थे कि एडोल्फ टेक्निकल स्कूल में प्रवेश करें, और उनके पिता ने उन्हें सितम्बर सन 1900 में लिंज़ में रेअल्स्चुल में भेज दिया. इसके फलस्वरूप उन्हें अपनी फाइन कला में रूचि को खत्म कर अपने पिता के साथ झगड़ा करना पड़ा. एडोल्फ हिटलर अपने पिता के अस्थिर स्वभाव के साथ एक वैरागी, असंतुष्ट और आक्रोश बच्चे बन गये. ऐसा ही चलता रहा फिर सन 1903 में उनके पिता एलोईस हिटलर की अचानक मृत्यु हो गई. हिटलर अपनी उदार और मेहनती माता के ज्यादा करीब थे जोकि कैंसर से पीढित थीं. हिटलर की इस स्कूल में रुचि ना होने के कारण इनका स्कूल में प्रदर्शन बहुत ख़राब रहा, तब उनकी माता ने उन्हें यह स्कूल छोड़ने की अनुमति दे दी. सितम्बर सन 1904 में हिटलर ने रेअल्स्चुल में स्टेयर में प्रवेश किया और उनकी प्रगति होती चली गई. इस समय वे 16 साल की उम्र के थे. इसके बाद एडोल्फ हिटलर ने 4 साल लिंज़ में बिताये, फिर सन 1905 में उन्होंने अपना स्कूल पूरा किया और अपने पेंटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए लिंज़ से विएना चले गए. वहाँ उन्होंने फाइन कला की विनीज़ अकैडमी में प्रवेश करने की कोशिश की और 2 बार ख़ारिज कर दिए गए.(Adolf Hitler Biography in Hindi) 

 

 

 

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एडोल्फ हिटलर प्रारंभिक एंटी – सेमिटिक विचार

दिसंबर सन 1907 में इनकी माता क्लारा हिटलर का निधन हो गया और एडोल्फ हिटलर के परिवार को बहुत बड़ा झटका लगा, और उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वे कुछ सालों के लिए अपने घर से दूर चले गए और हॉस्टल में रहने लगे. उन्होंने पैसे कमाने के लिए अपनी कलाकृतियों को बेच कर अपनी जीविका का छोटा सा साधन बना लिया. कहा जाता है कि उस समय विएना में प्रचलित नस्लीय (Racial) और धार्मिक पूर्वाग्रह (Prejudice) से हिटलर में सेमेटिक विरोधी के बीज बोये गए. यह भी माना जाता है कि युवा हिटलर ने ऑस्ट्रिया – हंगरी के अधिकार की निंदा करते हुए जर्मन राष्ट्रवाद में एक प्रारंभिक रुचि दिखाई, यह राष्ट्रवाद बाद में हिटलर की संरचनाओं की नीति में प्रमुख भूमिका अदा कर सकता था. वे विएना में अपने इन सालों के दौरान ‘अनंत यहूदी’ प्रतीक पर विचार करने के लिए भी सक्षम थे. उन्होंने इस पर विश्वास करना भी शुरू कर दिया कि यहूदी, सभी अराजकता (Chaos), भ्रष्टाचार एवं नैतिकता में विस्मृति (Obliteration), राजनीती और अर्थव्यवस्था के मूल कारण थे.

 

 

 

 

 

एडोल्फ हिटलर का प्रथम विश्व युद्ध में प्रदर्शन (Role of Hitler in first world war) –

मई सन 1913 में हिटलर ने म्युनिक के लिए विएना छोड़ दिया और 16 वीं बवेरियन इन्फेंट्री रेजिमेंट में शामिल हो गए. उसके बाद जब अगस्त सन 1914 में प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा, तब वे एक धावक के रूप में दूसरी यूरोपीय शक्तियों और अमेरिका के खिलाफ सेवारत थे. युद्ध के दौरान उन्होंने विशिष्टिता के साथ जर्मनी के पश्चिमी मोर्चे पर लड़ाई लड़ी. वे एक साहसी और सक्षम सैनिक साबित हुए और बहादुरी के लिए उन्हें पहली आयरन क्रॉस से सम्मानित भी किया गया. इस दौरान वे दो बार घायल हुए, और उन्हें पोमेरानिया के एक अस्पताल में ले जाया गया. यह युद्ध सन 1918 तक चला.

एडोल्फ हिटलर की राजनीतिक शुरुआत (Hitler political career) –

युद्ध समाप्त होने के बाद सन 1919 की गर्मियों में हिटलर को एक साहसिक सैनिक जिनका नाम ‘एर्न्स्ट रोएह्म’ था और वे वहाँ फ़ौजी थे, की मदद से म्युनिक में सेना में एक राजनीतिक अधिकारी के रूप में रोजगार मिला, और यहीं से इनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत हुई. सितम्बर सन 1919 में हिटलर ने तथाकथित जर्मन वर्कर्स पार्टी, राष्ट्रवादी, विरोधी सेमेटिक और समाजवादी समूह की बैठक में भाग लिया. उन्होंने जल्द ही इस पार्टी के सबसे लोकप्रिय, प्रभावशाली वक्ता और प्रचारक के रूप में खुद को प्रतिष्ठित किया, और सन 1921 से कुछ 6 हजार नाटकीय रूप से अपनी सदस्यता बढ़ाने में लग गए. उसी साल अप्रैल में वे राष्ट्रीय सामाजिक जर्मन वर्कर्स पार्टी के नेता बन गए, इस पार्टी का ओफिसिअली नाम नाज़ी पार्टी था.

हिटलर ने बाद के वर्षों में खराब आर्थिक स्तिथि को हटाकर पार्टी में तेजी से विकास के लिए योगदान दिया. सन 1923 के अंत में हिटलर बवेरियन और जर्मन राजनीती में एक मजबूत ताकत के रूप में कुछ 56 हजार सदस्यों, कई और समर्थकों के साथ सामने आये. हिटलर ने बर्लिन सरकार की खुद की पराजय के लिए और संकट की स्थिति का उपयोग करने के लिए आशा व्यक्त की. इस उद्देश्य के लिए उन्होंने नवंबर 8-9 सन 1923 के नाज़ी बीयर हॉल क्रांति का मंचन किया, जिसके द्वारा उन्होंने रूढ़िवादी – राष्ट्रवादी बवेरियन सरकार को “बर्लिन पर मार्च” में उनका सहयोग करने के लिए मजबूर किया. हालांकि यह कोशिश नाकामियाब रहीं.

हिटलर ने देशद्रोह करने की भी कोशिश की, और इसके लिए उन्हें लैंडस्बर्ग के पुराने किले में एक साल के कारावास की बजाय हल्की सजा दी गई. कुछ समय पश्चात उन्हें रिहा कर दिया गया. अपनी रिहाई के बाद हिटलर ने ईमानदार फ़ॉल्लोवर के एक समूह के आसपास ही पार्टी का पुनर्गठन किया जोकि नाजी आन्दोलन और राज्य का केंद्र बने रहने के लिए था. उन्होंने कई सारे राज्यों को अपनी तरफ कर लिया, इस तरह उनकी ताकत बढ़ती चली गई और उनका राजनीतिक कैरियर चलता रहा.

एडोल्फ हिटलर की बढ़ती हुई ताकत

एडोल्फ़ हिटलर के राजनीतिक कैरियर में उनकी ताकत बढ़ती रहीं, जिसके बारे में निन्म सूची में दर्शाया गया है –

क्र.म. चुनाव कुल वोट्स % वोट्स सीटें नोट
1. मई 1924 1,918,300 6.5 32 हिटलर जेल में
2. दिसम्बर 1924 907,300 3.0 14 हिटलर की जेल से रिहाई
3. मई 1928 810,100 2.6 12
4. सितम्बर 1930 6,409,600 18.3 107 आर्थिक संकट के बाद
5. जुलाई 1932 13,745,000 37.3 230 इसके बाद हिटलर राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार थे
6. नवम्बर 1932 11,737,000 33.1 196
7. मार्च 1933 17,277,180 43.9 288  केवल आंशिक रूप से मुक्त; हिटलर की अवधि के दौरान जर्मनी के चांसलर के रूप में

 

 

 

 

 

 एडोल्फ हिटलर का द्वितीय विश्व युद्ध और युद्ध अपराध

1 सितम्बर सन 1939 में यूरोप को नियंत्रित करने के लिए हिटलर ने द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत की. वे पुरे ब्रिटेन में अपना अधिकार जमाना चाहते थे इसके लिए कई राज्यों से उन्होंने संधि की और कई राज्यों को अपने वश में कर लिया. युद्ध से पहले उन्होंने सन 1937 में इटली से संधि की और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया पर अपना अधिकार जमा लिया. फिर हिटलर ने रूस से संधि कर ली और पौलेंड के पूर्वी भाग को रूस के नाम कर दिया और धीरे – धीरे पश्चिमी भाग पर भी अपना अधिकार कर लिया. इस तरह उन्होंने एक के बाद एक कई राज्यों में अपना अधिपत्य जमा लिया और युद्ध की शुरूआत हो गई. इसके बाद फ्रांस की हार के बाद मुसोलिनी से संधि कर रूस पर भी अपना अधिकार जमाने का विचार किया और उस पर आक्रमण कर दिया.

इस विश्व युद्ध में हिटलर का सबसे बड़ा अपराध यह था कि वे अपना अधिपत्य पुरे विश्व में जमाना चाहते थे. उन्हें इस विश्व युद्ध के छिड़ने का सबसे बड़ा कारण माना जा सकता है, क्यूकि इस युद्ध में कई सारे लोग मारे गए और कईयों के घर बर्बाद हो गए. हिटलर बहुत ही क्रूर व्यक्ति था उसे किसी का भय नहीं था. हिटलर की युद्ध में सबसे बड़ी हार तब हुई जब कुछ समय बाद अमेरिका इस युद्ध में शामिल हो गया. इससे हिटलर की नीति डामा डोल होने लगी, क्यूकि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे जाने लगे, और उनकी इस युद्ध में हार हो गई.

एडोल्फ हिटलर के राज्यों का पतन

जैसे – जैसे युद्ध आगे बढ़ता रहा, हिटलर के युद्ध के दौरान आतंक कम होने लगा और उनकी जीत हार में परिवर्तित होने लगी. उनके युद्ध के प्रयास विफल होते चले गए, उन्होंने अपने सैन्य सलाहकारों से सलाह को सुनना इंकार कर दिया. कुछ समय बाद उन्हें पूरी तरह से युद्ध में असफलता मिलने लगी. उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने से उनकी ताकत कम होने लगी. उन्होंने जिन – जिन राज्यों में अपना अधिपत्य जमाया था वे उनके हाथ से निकलते चले गए. इस तरह उनकी हार के साथ – साथ जर्मनी की भी हार होती चली गई. उनको यह सब सहन ना हुआ और वे हताश होते हुए बर्लिन में अपनी हार के अंतिम चरण में प्रवेश किये. जब रूस ने बर्लिन पर आक्रमण किया, तब उनकी पूरी तरह से हार हो गई. उन्होंने 30 अप्रैल सन 1945 की देर रात को आत्महत्या कर ली और वे इस दुनिया से विदा ले गए.

एडोल्फ हिटलर का व्यक्तिगत जीवन

एडोल्फ हिटलर को बचपन से ही पढ़ने से ज्यादा पेंटिंग का बहुत शौक था. वे फ़ाईन कला में माहिर थे. वे बहुत सी बीमारियों से ग्रस्त रहते थे. सन 1929 में उनकी मुलाकात ईवा ब्राउन से हुई, और धीरे – धीरे उनके बीच नजदीकियां बढ़ने लगी और 29 अप्रैल सन 1945 को उन्होंने शादी कर ली. सन 1937 में हिटलर ने नशा करना शुरू किया और सन 1942 तक इसकी उन्हें बहुत बुरी लत लग चुकी थी कि वे रोजाना नशा करने लगे थे. जब हिटलर की युद्ध में हार होने लगी तब उन्हें अपनी मौत का डर था. रूसी सेना लगभग उनके करीब पहुँचने लगी थी तब उन्होंने अपनी मौत के कुछ घंटों पहले ईवा ब्राउन से शादी की और अपनी पत्नी ईवा ब्राउन के साथ जहर खा कर आत्महत्या कर ली. उनकी इच्छा थी की मरने के बाद उनका शव जला दिया जाए. इसलिए उनकी मृत्यु के बाद उनका शव बगीचे में ले जा कर जला दिया गया, और इस तरह वे इस दुनिया से चले गए.

एडोल्फ हिटलर के रोचक तत्थ (Interesting facts about Hitler) –

एडोल्फ हिटलर के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं-

  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अपनी मूंछ छोटी करने का आदेश दिया ताकि उन्हें मास्क फिट हो सके.
  • उन्हें जानवरों से बहुत प्यार था सन 1933 में सत्ता मिलने के बाद उन्होंने यह घोषणा की कि “इस नए राज्य में किसी को भी जानवरों के साथ क्रूरता करने की अनुमति नहीं है”.
  • सन 1939 में एडोल्फ हिटलर का नाम नॉबेल पीस प्राइज के लिए आया था, हालांकि उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया और इसके बाद उनका नाम इस सूची में कभी नहीं आया.
  • उन्होंने धुम्रपान करने वालों का विरोध किया और सन 1930 से सन 1940 के दौरान पहली बार इसके खिलाफ धुम्रपान विरोधी जन आन्दोलन भी चलाया गया.
  • हिटलर ने कभी भी अकेले ध्यान शिविर का दौरा नहीं किया.
  • यह बताया जाता है की वे केवल एक टेस्टीकल थे.
  • यह कहा जाता है कि उनकी प्रेरणा हेनरी फोर्ड हैं जिनका चित्र उनकी डेस्क के पीछे लगा हुआ है.
  • हिटलर को अपनी मौत का डर था इसलिए उन्होंने अपने लिए एक आदमी को फ़ूड टेस्टर के रूप में रखा था.

 

 

 

 

 

एडोल्फ हिटलर के सुविचार (Hitler Quotes) –

एडोल्फ के कुछ अनमोल वचन इस प्रकार हैं-

  • यदि आप कोई झूठ बोलते है और उसे बोलते रहते है तो उस पर भरोसा कर लिया जायेगा.
  • पैसा चमकता है, सौन्दर्य निखरता है और ज्ञान प्रकाशित होता है.
  • शब्दों के पुल का निर्माण बेरोजगारों के क्षेत्र में होता है.
  • लोग हमेशा इस पर विश्वास नहीं करते कि आपने क्या कहा है, वे इस पर विश्वास करते है कि आपने क्या किया है.
  • भगवान हमारी प्रार्थना से तब तक प्रभावित नहीं होते जब तक हमारा दिल उनको प्रभावित नहीं कर देता.
  • हमेशा बुद्धिमानी के खिलाफ लड़ना विश्वास के खिलाफ लड़ने से ज्यादा आसान होता है.
  • व्यक्तिगत ख़ुशी का दिन बीत गया है.
  • नेता होने का मतलब होता है जनता को मूव करने में सक्षम होना.
  • मैं बहुत से लोगों के लिए अपनी भावना का उपयोग करता हूँ और कुछ के लिए वजह बचा कर रखता हूँ.
  • जो मायने रखता है वह सच नहीं है बल्कि जीत है.
  • सफलता, सही और गलत का एक मात्र साधन है जो इसका निर्णय कर सके.
  • किसी भी राज्य को हासिल करने के लिए पहले उसके नागरिकों को अपने नियंत्रण में लाना होगा.
  • मैं केवल उसके लिए लड़ता हूँ जिससे में प्यार करता हूँ, मैं उससे प्यार करता हूँ जिसका में सम्मान करता हूँ और मैं सम्मान उनका करता हूँ जिनको मैं जानता हूँ.

 

 

 

 

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