भारत में कई तरह के फूलों की खेती की जाती है और अब भारत में फूलों की खेती बड़े पैमाने में की जा रही है। अब किसानों का ध्यान फूलों की खेती में ज्यादा देखा जा रहा है क्योंकि ये कम अवधि में अच्छा मुनाफा कमाने वाले व्यवसाय साबित हो रहे है और इससे आमदनी को बढ़ाने में अच्छी खासी मदद मिल रही है। Anthurium Flower Farming Business कैसे शुरू करें in Hindi

 

Anthurium Flower Farming Business in Hindi

 

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अब भारत में विदेशी किस्मों के फूलों की खेती की पैदावार भारी मात्रा में की जा रही है। विदेशी फूलों के शौकीन भी भारत में बढ़ते जा रहे है और भारत में इन फूलों की मांग बढ़ती जा रही है। इसी को देखते हुए भारत के किसान भी अब एंथुरियम के फूल की खेती कर रहे है और अच्छा मुनाफा कमा रहे है। आज हम इस लेख में एंथुरियम के फूल की खेती का व्यवसाय कैसे करें, उत्पादक राज्य, मिट्टी, मौसम और जलवायु, खाद और उर्वरक, कीट और रोग और होने वाले लाभ के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे है। अतः इसे अंत तक पूरा अवश्य पढ़े।

 

एंथुरियम के पौधो का इतिहास (History Of Anthurium Plant)

सबसे पहले एंथुरियम के पौधे की खेती फ्रांस और बेल्जियम से शुरू हुई थी। लेकिन वैज्ञानिकों की माने तो यह अमेरिकी मूल का पौधा है। एंथुरियम को आमतौर पर फ्लेमिंगो फूल या टेलफ्लॉवर (Tailflower) कहा जाता है। अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी 600 से अधिक फूलों की प्रजातियां पायी जाती हैं। एंथुरियम दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है पहला ‘एंथोस’ जिसका अर्थ है फूल और दूसरा ‘औरा’ जिसका अर्थ है पूंछ।

एंथुरियम के पौधो पर पहली बार 1980 में लोगो का ध्यान गया। लेकिन तब लोग शौक के रूप में इसकी खेती करते थे। लेकिन अब इसकी खेती लोग व्यवसायिक रूप से करते है। भारत में एंथुरियम के पौधो की खेती (Anthurium Plant Farming) खास कर फूलों और इसके पत्ते के लिए की जाती है।

 

 

एंथुरियम का वैज्ञानिक नाम (Anthurium Scientific Name)

एंथुरियम उष्णकटिबंधीय पौधा होता है। एंथुरियम को टेलफ्लॉवर (Tailflower) के नाम से भी जाना जाता है। अगर एंथुरियम के वैज्ञानिक नाम (Anthurium Scientific Name) की बात करे तो इसका वैज्ञानिक नाम लेसलीफ (Laceleaf) है और फैमिली नेम अरैसी (Araceae) है।

एंथुरियम की फूल की खेती करने वाले भारत के उत्पादक राज्य (Producer State)

एंथुरियम की फूल बेहद आकर्षक और खूबसूरत होते है। एंथुरियम एक सजावटी फूल है जिसकी मांग अब बड़े बड़े शहरों में काफी तेजी से बढ़ रही है। किसान इसकी खेती केवल फूलों के लिए नहीं करता है बल्कि पत्तियों के लिए भी करता है। एंथुरियम के फूल लाल, सफेद, नारंगी, हरे, गुलाबी, बैंगनी या बहुरंगी होते है। इसे बीजों से उगाना संभव नहीं है। इसे प्रयोगशाला के माध्यम से उगाया जाता है।

इसका पौधा सदाबहार उष्णकटिबंधीय घास होता है। जिसकी खेती पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर के राज्यों में ज्यादा देखी जा सकती है। अगर आज के समय की बात करे तो भारत में एंथुरियम के फूल की खेती सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में होती है। इन्ही राज्यों में इसकी खेती व्यवसायिक रूप में की जाती है।

एंथुरियम के फूल की खेती का व्यवसाय कैसे करें (How To Start Anthurium Flower Farming Business)

एंथुरियम एक सदाबहार उष्णकटिबंधीय घास का पौधा है। जिसका फूल सुंदर आकार और कई तरह के रंगों के होते है। शुरुआत में इसकी खेती बस शौक के रूप में होती थी। लेकिन अब किसान एंथुरियम के फूल की खेती व्यवसाय के लिए करने लगे है। एंथुरियम का पौधा वायु को शुद्ध करने और कई तरह के हानिकारक रसायनों को हटाने में विशेष रूप से प्रभावी होता है।

एंथुरियम के फूल की खेती का व्यवसाय (Anthurium Flower Farming Business) करने के लिए एक अलग तरह का आधार तैयार किया जाता है। इसके पौधे को बीजों से नही उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए इसे प्रयोगशालाओं में इसे टिश्यू कल्चर या ऊतक संवर्धन तकनीक के द्वारा इसे तैयार किया जाना संभव है। इस तकनीक से एंथुरियम के स्वस्थ पौध तैयार कर लिया जाता है। एंथुरियम के फूल की खेती पॉली हाउस में साल भर होती है। इसकी खेती सही ढंग से करने के लिए हमारे इस लेख को पूरे अच्छे प्रकार से पढ़े।

 

 

एंथुरियम के फूल की खेती के लिए मिट्टी

फूलों की खेती के लिए मिट्टी की सही जानकारी होना बेहद जरूरी होती है। मिट्टी से ही पौधो का विकास निर्भर होता है। बात करे एंथुरियम की तो, एंथुरियम की खेती किसी भी मिट्टी में किया जा सकता है। एंथुरियम की खेती के लिए जिस मिट्टी का प्रयोग किया जाता है उस मिट्टी का पीएच मान 5 से 6 के बीच होना आवश्यक होता है।

एंथुरियम के फूल की खेती के लिए मौसम और जलवायु (Anthurium Flowering Season In India)

एंथुरियम के फूल की खेती के लिए ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए की जिस एरिया में आप एंथुरियम के फूल की खेती करना चाहते है वहां का तापमान कितना है? एंथुरियम की खेती के लिए तापमान 15 से 20 डिग्री होना चाहिए। एंथुरियम की खेती पूरी तरह प्रकाश संश्लेषण पर निर्भर करता है। इसकी खेती के लिए ये बाते जरूर ध्यान देना चाहिए।

भारत की जलवायु फूलों की खेती के लिए उत्तम माना गया है। एंथुरियम की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है पर ध्यान रहे की ना ज्यादा गर्मी हो, ना ही ज्यादा ठंडी हो इस तरह के मौसम में आप साल भर किसी भी मौसम में इसकी खेती आसानी से कर सकते है।

एंथुरियम के फूल की खेती के लिए मीडिया को तैयार करना

एंथुरियम के फूल की खेती के लिए मीडिया को तैयार करना बेहद जरूरी होता है क्योंकि इसकी खेती जमीन में नही किया जा सकता है। मीडिया को तैयार करने के लिए मिट्टी, कोकोपीट, खाद, थर्मोकोल, सड़ी हुई पत्तियां, घास-पुआल इत्यादि को मिला कर के इसकी बेड तैयार की जाती है। एंथुरियम के फूल की खेती के लिए मीडिया को अच्छी प्रकार तैयार करना बेहद जरूरी होता है।

एंथुरियम के पौध की रोपाई कैसे होती है?

एंथुरियम की खेती पॉलीहाउस में किया जाता है। पॉलीहाउस में एंथुरियम की खेती के लिए पहले बेस बनाया जाता है। यह बेस यह 2.5 फुट ऊंचा और 32 फुट लम्बा बनाया जाता है। इन बेस पे एक ट्रे लगायी जाती है जिससे की गमलों को रखा जा सके। ये ट्रे गमले के आकार के छिद्र या सांचे जैसे आकार में बना होता है। जिससे की सांचों में अच्छे से गमलों को रखा जा सके और एंथुरियम के पौध की खेती (Anthurium Flower Cultivation) आसानी से की जा सके।

अब गमलों में तैयार किए हुए मीडिया को अच्छी तरह भर दिया जाता है। इसके बाद प्रयोगशाला से लायी गई एंथुरियम के पौध को गमलों में रोप दिया जाता है। एंथुरियम की रोपाई के बाद पौधो पर पानी से सिंचाई की जाती है। एंथुरियम के पौधो को स्वच्छ पानी देना होता है। सिंचाई में प्रयोग होने वाले पानी का इ.सी 0.5 से कम होना चाहिए। फूलों को आने में 6 महीने का समय लगता है। एंथुरियम के पौधो प्रतिदिन पानी देना चाहिए लेकिन ध्यान रहे की गमलों में पानी इक्ट्ठा ना हो।

 

 

 

एंथुरियम के फूल की खेती के लिए खाद (Manures)

एंथुरियम के पौधो में हफ्ते में दो बार खाद को दिया जाता है। एंथुरियम के पौधो के लिए दो तरह के खाद की जरूरत होती है। 50 लीटर पानी में 1.62 किलो कैल्शियम नाइट्रेट, 400 ग्राम अमोनियम नाइट्रेट, 700 ग्राम पोटैशियम और 140 ग्राम आयरन को मिला कर बनाया जाता है और दूसरी तरह के खाद के लिए 50 लीटर पानी में 550 ग्राम पोटैशियम, 680 ग्राम मोनो पोटैशियम, 1.12 किलो मैगनिज सल्फेट, 10 ग्राम बोरॉक्स, 4.3 ग्राम जिंक सल्फेट और 0.56 ग्राम कॉपर सल्फेट को मिला अच्छी तरह खाद बना लिया जाता है।

इन दोनो तरह के खाद को एक हजार लीटर पानी में मिला कर एंथुरियम के पौधो को दिया जाता है। जिससे की पौधो का सही पोषण और विकास हो सके। एंथुरियम के पौधो के पोषण के लिए प्रतिदिन पानी की सिंचाई भी बेहद जरूरी है। इसके लिए आप फॉग सिंचाई कर के एंथुरियम खेती कर सकते है।

एंथुरियम के पौधो में लगने वाले कीट और रोग

एंथुरियम के पौधो में कीटों का हमला बहुत तेज़ी से होता है। इसके बचाव के लिए हर 7 से 8 दिनों के अंतराल पर कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। एंथुरियम के पौधो पर घुन, थ्रिप्स, कमला कीट जैसे कीट लगते है और इस पौधो में जीवाणु जनित अंगमारी, जड़ सड़न जैसी बीमारियां का खतरा रहता है। आप जैविक कीटनाशकों का प्रयोग कर के इन बीमारियो और कीटों से एंथुरियम के पौधो को बचाया जा सकता है।

कीटों के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक 1 ml प्रति 3 लीटर पानी में धोलकर पौधो पर छिड़काव करना चाहिए और एंथुरियम के पौधो को होने वाले रोगों के लिए कार्बेंडाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पौधो पर छिड़काव करना चाहिए।

एंथुरियम के पौधो की कटाई छटाई

एंथुरियम के फूल की फसल बहुवर्षीय फसल होती है। फसल से सही पुस्प उत्पादन मिलता रहे इसके लिए कुछ खास तरह के प्रबंधनों को करना पड़ता है। जिनमे से है फसलों की कटाई छटाई करना जो बेहद जरूरी होता है। अगर बात करे एंथुरियम के पौधो की तो इसमें प्रत्येक पौधो में कम से 5 से 6 पत्तियां ही रखना चाहिए और बची हुई रोग गर्सित पत्तियां या पुरानी पत्तियों की कटाई कर देना चाहिए जो बेहद आवश्यक होता है। इससे एंथुरियम के फूलों की पैदावार अच्छी होती है। इस तरह से एंथुरियम के पौधो की देखभाल (Anthurium Plant Care) की जाती है।

एंथुरियम के फूल की खेती के व्यवसाय में होने वाले कमाई या लाभ (Anthurium Flower Farming Profit)

एंथुरियम की खेती किसानों के लिए मुनाफा कमाने का अच्छा जरिया बन चुका है। सुंदर और आकर्षक होने के कारण एंथुरियम के फूल व्यापार में एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है। अगर बात करे एंथुरियम के फूल की खेती के व्यवसाय में होने वाले कमाई की तो आप एंथुरियम के फूल से बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते है।

अगर इसका एक गमला मार्केट में बेचा जाएं तो प्रति गमला यह 200 से 300 रुपए में आसानी से बेचा जा सकता है। यदि इसके कटफ्लावर की बात करे तो प्रति कटफ्लावर को 15 से 30 रुपए में बेचे जा सकते है और इससे मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है।

 

 

 

एंथुरियम के फूल की खेती का व्यवसाय कैसे शुरू करें FAQs

Q. एंथुरियम के फूल की खेती किस मौसम में किया जाता है?

Ans. एंथुरियम की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है। पर ध्यान रहे की ना ज्यादा गर्मी हो, ना ही ज्यादा ठंडी हो इस तरह के मौसम में आप इसकी खेती कर सकते है।

Q. एंथुरियम के फूल की खेती में कितना प्रॉफिट होता है?

Ans. इसका एक गमला मार्केट में बेचा जाएं तो प्रति गमला यह 200 से 300 रुपए में आसानी से बेचा जा सकता है।

Q. एंथुरियम के फूल की खेती किस मिट्टी में किया जाता है?

Ans. एंथुरियम की खेती किसी भी मिट्टी में किया जा सकता है।

Q. एंथुरियम के फूल की खेती करने वाले उत्पादक राज्य कौन कौन से है?

Ans. आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र।

Q. एंथुरियम के पौधों में किस कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है?

Ans. कीटों के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक 1 ml प्रति 3 लीटर पानी में धोलकर पौधो पर छिड़काव करना चाहिए।

 

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