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kaise kam karta hai Wireless Charger Apple Samsung Watchs वायरलेस चार्जर

वायरलेस चार्जिंग, ऐसी कोई नई या यूनीक तकनीको नहीं है जिसे हम पहली दफा ही देख रहे हों। पैनासोनिक के इलेक्ट्रिक रेजर ने इसे बहुत समय से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा और भी बहुत से डिवाइसेस में इसे काफी समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है। हालाँकि इसके बहुत स्थानों पर इस्तेमाल होने के बाद अगर इसे किसी स्मार्टफोन में शामिल किया जा रहा है तो यह अपने आप ने एक नई तरह ही खोज ही कही जायेगी, क्योंकि आजकल के दौर में स्मार्टफ़ोन किसी भी व्यक्ति के लिए एक सबसे जरुरी वस्तू बन गया है। हालाँकि वायरलेस चार्जिंग को लेकर सभी के मन में कई बड़े सवाल होते हैं कि आखिर इसे कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है और यह क्या है, एक सबसे बड़ा सवाल है। यह सवाल महज मेरे मन में ही नहीं है बल्कि हम सब के मन में जबसे हमने सुना कि इसे स्मार्टफोंस में भी इस्तेमाल किया जा रहा है, सभी के मन में है। इसके अलावा एक सवाल और है कि आखिर आपको क्यों अपने अगले स्मार्टफोन में यह तकनीको क्यों चाहिए। तो आइये इन सभी सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं।

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क्या है वायरलेस चार्जिंग?

यहाँ सबसे पहला सवाल जो आता है वह यह है कि आखिर वायरलेस चार्जिंग है क्या? उसके बाद बाकी सभी सवाल आते हैं। तो आपको बता दें कि वायरलेस चार्जिंग कोई जादू नहीं है इसके लिए आपको फिर भी वायर की जरूरत होगी है। हालाँकि अंतर महज इतना होता है कि आपको इस वायर को डायरेक्ट अपने फोन से कनेक्ट करने की जरूरत नहीं होती है इसके अलावा आप इसे एक चार्जिंग बेस से कनेक्ट करते हैं। यह चार्जिंग बेस किसी भी साइज़ और शेप का हो सकता है। यह एक कार डैश की तरह होता है। जैसे ही आप अपने फोन को इस बेस पर सही जगह रखते हैं तो यह अपने आप ही काम करना शुरु कर देता है।What is Share Market & How it Works

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इसका सबसे बड़ा उदाहरण महज यही हो सकता है कि आप अपने डेस्क पर काम कर रहे हैं, और इसी डेस्क पर आपको एक बेस रखा मिल जाए, इसके अलावा आप इस समय अपने फोन पर ज्यादा कुछ कर भी न रहे हों तो आप अपने फोन को चार्ज कर सकते हैं। जब आपको अपने फोन को इस्तेमाल करना हो तो आपको किसी वायर को इससे अलग करने की जरूरत नहीं है बस आप इसे यहाँ इस बेस से उठाएं और काम करना शुरू कर दें। हालाँकि वायरलेस चार्जिंग क्विक चार्ज की तरह तेज नहीं होती है। हालाँकि इससे चार्जिंग करना बहुत ही सरल जरुर हो जाता है। और यहीं आपको इसके महत्त्व के बारे में पता चलता है।Production of Rice and Rice Mill Business Tips in Hindi

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वायरलेस चार्जिंग कैसे करती है काम?

वायरलेस चार्जिंग दो डिवाइसों के बीच कम पावर संकेतों को संचारित करने के लिए दो गुंजयमान आगमनात्मक युग्मक का उपयोग करती है। यह विशेष रूप से सामान्य वायर्ड कनेक्शन की तरह एक दूसरे को छूने के बिना बिजली संचारित करने के लिए डिज़ाइन की जाती है। बेस स्टेशन, जो अपनी बिजली की आपूर्ति के माध्यम से दीवार में प्लग किया गया है, में एक ट्रांसमीटर कॉइल है और आपके फोन में एक रिसीवर कॉइल है। इसके अलावा सिग्नल की तरंग तब नियंत्रित होती है और आवर्ती चार्जिंग शुरू होती है।Hostel & PG Plan for business in Hindi

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आगमनात्मक चार्ज उन दो विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए विद्युत चुम्बकीय कॉइल का उपयोग करता है, जो दो उपकरणों के बीच एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करते हैं। इसमें एक जटिल प्रक्रिया शामिल है जो चुंबकीय क्षेत्र को संभावित और दोलन के अंतर के माध्यम से बिजली का उत्पादन करने की अनुमति देती है। आपके एंड्रॉइड डिवाइस में कुंडली बैटरी चार्जिंग सर्किट से भी जुड़ा है, और आपकी बैटरी को चुंबकीय क्षेत्र द्वारा प्रेरित ऊर्जा का उपयोग करने पर चार्ज किया जा सकता है।

turn any smartphone into wireless charging one

इसे सही प्रकार से ऐसे भी समझ सकते हैं:

1. आपके एंड्राइड डिवाइस और चार्जर में प्रत्येक के पास विशेष विद्युत कॉयल हैं।
2. जब दो कॉइल्स पर्याप्त रूप से मिलते हैं, तो वे कुंडल में छोटे दोलन (कंपन) बनाने के लिए चुंबकत्व का उपयोग करते हैं और आपके फोन के अंदर कुंडली द्वारा ईएमएफ बनाया जाता है।
3. यह ईएमएफ आपके फोन में चार्जिंग सर्किट के माध्यम से छोटी मात्रा में बिजली भेजता है और बैटरी को चार्ज करता है।
4. यह काफी महँगी प्रक्रिया और चार्जिंग में काफी समय भी लेती है, और जब आप इसे अपने फ़ोन से प्लग करते हैं तो यह अधिक गर्म हो जाता है क्योंकि यह तारों को पारंपरिक तरीके से जोड़ने से कम कुशल है।

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क्यों आपको वायरलेस चार्जिंग की जरूरत आपके अगले फोन में है?

अगर हूँ चार्जिंग के स्टैण्डर्ड की चर्चा करें तो एक साधारण प्रणाली में हम किसी भी डिवाइस को किसी भी अन्य चार्जर से चार्ज कर सकते हैं, और ऐसा हम कई बार करते भी हैं। लेकिन वायरलेस चार्जिंग में ऐसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि डिवाइस के हिसाब से ही बेस का निर्माण किया जाता है, और आपका फोन वायरलेस चार्जिंग को सपोर्ट भी करना चाहिए, अगर ऐसा नहीं है तो अपने फोन को चार्ज ही नहीं कर सकते हैं, फिर आपको उसी पुरानी प्रणाली पर ही जाना होगा। और भविष्य में ऐसा होने वाला है कि सभी फोंस के साथ हमें यह तकनीकी देखने को मिलने वाली है, क्योंकि कंपनियां इस प्रणाली को अब धीरे धीरे अपने फोंस में लाती जा रही हैं, यह कुछ महँगी जरुर होती है। लेकिन आने वाले समय इसे ही इस्तेमाल में लिया जाने वाला है। एक सबसे महत्त्व पूर्ण बात यह है कि इस तरह की प्रणाली यानि वायरलेस चार्जिंग से आपके फोन में कुछ भी बदलता नहीं है। और न ही यह कुछ अलग से काम करना शुरू कर देता है लेकिन आपके उस तरीके में जरुर बदलाव आता है जैसे आप अपने फोन को इस्तेमाल

इंडिया के इंजीनियरिंग कॉलेजों में wireless energy transfer का एक सेमिनार टॉपिक होता है और साथ साथ प्रोजेक्ट्स भी इस पर बनाये जाते हैं. जब मैं भी इंजीनियरिंग कॉलेज के फाइनल इयर में था तो हमारे टीचर बताते थे कि ये तो बिल्कुल नई टेक्नोलॉजी है जो अभी पूरी तरह से develop नही हो पायी है, लेकिन शायद हम गलत थे. जबकि टेस्ला नाम के महान वैज्ञानिक ने पहले ही इसके बारे में अपने सिद्धांत दिए थे कि दो conductors के बीच में बिना किसी तार के वायरलेस energy transfer की जा सकती है. बाद में करीब 10-12 साल पहले एक smart phone manufacturing कम्पनी “Palm” ने अपने फोन में wireless charging के option दिए हुए थे. आज कल iPhone और Samsung के smart android phones में wireless charging का option आता है, जिसमें एक pad दिया होता है जिसको बिजली के socket से लगाया जाता है और उस  pad पर फ़ोन को सिर्फ रख दिया जाता है और हमारा फ़ोन बिना कोई cable लगाए charge होने लगता है. तो चलिए बात करते हैं “How does Wireless charger works in Hindi”.

WHAT IS WIRELESS CHARGER/ वायरलेस चार्जर क्या है

दरअसल वायरलेस चार्जर एक ऐसी डिवाइस है जो बिना किसी तार लगाए बैटरी को charge करती है चाहे वो मोबाइल हो या smart watch (घडी) या और कुछ. इसके दो part होते हैं एक transmitter और दुसरा receiver. अगर हमें अपने मोबाइल फ़ोन को वायरलेस बनाना है तो उसको receiver की तरह काम करना पड़ेगा, जिसकी body पर या फिर बैटरी पर coils लिपटी हुई होती है और transmitter में भी coils होती है जो energy को electromagnetic induction के जरिये transfer करती है.

वायरलेस चार्जर में एक pad होता है जिसको बिजली के board से power डी जाती है और जब हम उस pad पर अपना मोबाइल रखते हैं तो उसकी बैटरी electromagnetic induction के जरिये charge होने लगती है, लेकिन इसकी charging speed इतनी ज्यादा नही होती क्युकी transmitter और receiver coils के बीच energy transfer करने में कुछ losses हो जाते हैं. अगर आपको charging speed को तेज़ करना है तो उसके लिए बड़े size की coils लगानी पड़ती हैं.

HOW DOES WIRELESS CHARGER WORKS/ वायरलेस चार्जर कैसे काम करता है

सबसे पहले तो बता दें कि वायरलेस चार्जर पूरी तरीके से वायरलेस नही होता, हाँ इसमें जिस device को आप charge करते हैं उसमें किसी तरीके का कोई cable नही लगानी पड़ती, लेकिन इसके charging pad में बिजली के board से power cable लगानी पड़ती है. वायरलेस चार्जर का सिस्टम magnetic induction के सिद्धांत पर काम करता है, जिसमें energy को transfer करने के लिए magnetism का use किया जाता है.

जब हम बिजली के बोर्ड से चार्जर को power connection देते हैं तो चार्जर में लगी coil में magnetic field generate होता है. अब ये magnetic field उसके पास वाली coil में current पैदा करता है जो कि आपके smart phone में लगी होती है और यही magnetic energy electrical energy में convert होकर मोबाइल की बैटरी को charge करने लगती है. किसी भी मोबाइल को charge करने के लिए उसमे coils होनी जरुरी हैं जो कि receiver का काम करती है, बिना coils के बैटरी charge ही नही होगी.

अगर साधारण भाषा में कहें तो जब किसी coil (चार्जर) को power दी जाती है तो उसमें magnetic इंडक्शन होने लगता है और जब भी कोई दूसरी coil (मोबाइल) उसके पास में आती है तो वो अपनी energy को दूसरी coil में transfer करने लगती है.

AVAILABLE SMART PHONES WITH WIRELESS CHARGING OPTION:

मार्किट में अब तो काफी कम्पनीयों ने अपने smart phones लांच किये हैं जिनमे wireless charging के options हैं, जैसे कि

Samsung Galaxy Note 5 और Galaxy Note 8

Samsung Galaxy S8, S8+, S7, S7 Edge

LG G6, LG V30

Apple iPhone 8, iPhone X

ऐसे और भी कम्पनी हैं जो अब अपने फ़ोन में वायरलेस चार्जिंग के option दे रही हैं. कुछ फ़ोन ऐसे होते हैं जिनकी back plate पर coil लगी होती है, किसी में बैटरी के ऊपर लगी होती है तो किसी फ़ोन के लिए अलग से भी मोबाइल cover type खरीदना पड़ता है और उस cover को मोबाइल में लगा कर भी आप वायरलेस charging का मजा ले सकते हैं.

ADVANTAGE & DISADVANTAGE OF WIRELESS CHARGER

जैसा कि हम जानते हैं कि इसमें charging के लिए कोई भी cable मोबाइल फ़ोन में नही लगनी पड़ती, तो इसका सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि अगर आप अपने ऑफिस में भी हैं तो आप अपनी टेबल पर ऐसे ही मोबाइल फ़ोन को रख कर charge कर सकते हैं और जब चाहे use कर सकते हैं आपको बार बार charging cable pin लगाने और निकालने की जरूरत नही है.

और अगर disadvantage की हम बात करें तो इसकी charging speed slow (धीमी) होती है जिससे मोबाइल की बैटरी धीरे धीरे ही charge होती है क्युकी transmitter की coil जब receiver की coil को energy transfer करती है तो energy 100% amount में transfer नही हो पाती क्युकी transfer करने कुछ losses भी होते हैं, जिससे बैटरी को कम मात्रा में पॉवर मिलती और full charge होने में ज्यादा टाइम लगता है.

Kya Hota Hai Drone How to Work it ड्रोन कैसे काम करता है

What is Drone in Hindi:

हिन्दी में ड्रोन क्या है:

ड्रोन, तकनीकी संदर्भ में, एक मानव रहित विमान है। ड्रोन अधिक औपचारिक रूप से मानव रहित हवाई वाहनों Unmanned Aerial Vehicle (UAV) या मानव रहित विमान सिस्‍टम Unmanned Aircraft Systems (UAS) के रूप में जाना जाता है।

मूलतः, ड्रोन एक फ्लाइंग रोबोट है। एयरक्राफ्ट्स को रिमोटली कंट्रोल किया जा सकता है या ऑन-बोर्ड सेंसर और जीपीएस के साथ मिलकर काम कर रहे अपने एम्बेडेड सिस्टम में सॉफ़्टवेयर-कंट्रोल फ़्लाइट प्लान के जरिए स्वनियोजित रूप से उड़ सकता है।

वे एरियल वाहन हैं जो कई साइज़, शेप्‍स और फंक्‍शन में आते हैं, जो जमीन से रिमोट या कंट्रोल सिस्‍टम द्वारा कंट्रोल होते हैं। इन्हें आमतौर पर उन कार्यों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है जिसमें मानव उड़ान को जोखिम भरा माना जाता है। ड्रोन ज्यादातर सैन्य सेवाओं में उपयोग करते हैं, लेकिन अब खोज और बचाव, मौसम विश्लेषण आदि जैसे विभिन्न पब्लिक कार्यों में इनका उपयोग किया जाने लगा हैं।

History of Drone in Hindi:Solar light Consumption and Energy Savings

पहले पायलटलेस वाहनों को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बनाया गया था। ये शुरुआती मॉडल कैटबल्ट द्वारा लॉन्च किए गए या रेडियो कंट्रोल का इस्तेमाल करके उड़ गए। जनवरी 1918 में, अमेरिकी सेना ने एरियल टारपीडो का प्रॉडक्‍शन शुरू किया। डेवलप किया गया मॉडल, केटरिंग बग, कुछ परीक्षणों में सफलतापूर्वक उड़ाया गया था, लेकिन आगे डेवलप होने से पहले युद्ध समाप्त हो गया।

ग्रुह युद्ध अवधि के दौरान मानव रहित विमान का विकास और परीक्षण जारी रखा गया। 1935 में ब्रिटिश ने प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए लक्ष्य के रूप में कई रेडियो-कंट्रोल विमान का उत्पादन किया। ऐसा लगता है कि इस समय ‘ड्रोन’ शब्द का उपयोग शुरू किया गया था, जो इन मॉडलों में से एक के नाम से प्रेरित था, DH.82B Queen Bee। रेडियो-कंट्रोल ड्रोन संयुक्त राज्य में भी निर्मित किए गए थे और टार्गेट प्रैक्टिस और ट्रैनिंग के लिए उनका उपयोग किया गया था।

वियतनाम युद्ध में बड़े पैमाने पर जासूसी UAV तैनात किए गए थे। ड्रोन का इस्तेमाल कई नई भूमिकाओं में भी किया जाने लगा, जैसे कि युद्ध में फन्दे के रूप में, निश्चित लक्ष्यों पर मिसाइलों को लॉन्च करने और मनोवैज्ञानिक कार्यों के लिए।

वियतनाम युद्ध के बाद ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर अन्य देशों ने मानव रहित एरियल टेक्नोलॉजी का एक्‍सप्‍लोर होना शुरू हुआ। नए मॉडल अधिक परिष्कृत बने, बेहतर धीरज और अधिक ऊंचाई बनाए रखने की क्षमता के साथ। हाल के वर्षों में जिन मॉडलों को डेवलप किया गया है, उनमें लंबी उड़ानों में ईंधन भरने की समस्या से निपटने के लिए सौर ऊर्जा जैसे तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

2012 के अंत में, वायर्ड पत्रिका के मुख्य संपादक क्रिस एंडरसन ने अपने ड्रोन कंपनी, 3 डी रोबोटिक्स इंक में खुद को समर्पित करने के लिए सेवानिवृत्त कर दिया। कंपनी, जो शौकीन व्यक्तिगत निजी ड्रॉन्स में विशेषज्ञता प्राप्त करती थी, अब फोटोग्राफी और फिल्म कंपनियों के निर्माण के लिए इसका समाधान करती है।

2013 के अंत में, डिलीवरी एक्टिविटीज के लिए कमर्शियल ड्रोन का इस्तेमाल करने कि घोषणा करने में Amazon पहले ऑर्गनाइज़ेशन में से एक था।

Types of Drones in Hindi:Production of Rice and Rice Mill Business Tips in Hindi

“ड्रोन” को कई अलग-अलग केटेगरी पर क्‍लासीफाइ किया जा सकता है- जैसे इनके साइज और उपयोग के आधार पर।

A) Types of Drones Based on Size:

साइज के आधार पर ड्रोन के प्रकार:

1) Very Small Drones (Nano):

Nano Drone- Drone in Hindi

ये ड्रोन आमतौर पर आकार में बहुत छोटे होते हैं और बहुत छोटी जगहों में फिट होने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। वे एक कीट के रूप में छोटे और लंबाई और चौड़ाई में केवल कुछ सेंटीमीटर हो सकते हैं। इन ड्रोन को आमतौर पर जासूसों द्वारा लोगों और चीजों पर खुफिया नज़र रखने के लिए उपयोग किया जाता है, क्योंकि वे आसानी से दिखाई नहीं देते।

2) Small Drones:Oppo K1 Smart Phone New Looking 2019

Small Drones- Drone in Hindi

ये ड्रोन भी छोटे हैं, लेकिन वे नैनो ड्रोन जितने छोटे नहीं होते। आम तौर पर, इन्हें आसानी से अपने हाथों का उपयोग करके उठाया जा सकता है और हवा में फेंक दिया जाता है और फिर वे अपने दम पर चलते हैं। आमतौर इनकी साइज लंबाई में दो मीटर से अधिक नहीं होती।

3) Medium Drones:When do we need to File Income Tax Return in Hindi

 Medium Drones- Drone in Hindi

ये ड्रोन स्‍मॉल ड्रोनों की तुलना में बहुत बड़े है, लेकिन छोटे एयरक्राफ्ट्स की तुलना में थोड़े छोटे होते है। उनका वज़न 200 किलोग्राम तक हो सकता हैं और उन्हें दो लोगों के सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है ताकि उन्हें हवा में उतारा जा सके, जिसके बाद वे स्वयं ही उड़ते हैं।

4) Large Drones:

Large Drones- Drone in Hindi

बड़े ड्रोन आमतौर पर बड़े होते हैं और छोटे एयरक्राफ्ट्स के आकार से मेल खा सकते हैं। वे मुख्य रूप से युद्ध के क्षेत्रों में विशेष उच्चस्तरीय निगरानी रखने के लिए सेना द्वारा उपयोग किए जाते हैं। आम तौर पर, इन ड्रोनों पर सेना इनपर शक्तिशाली कैमरे लगाते हैं जो आकाश में बहुत ऊंचाई से तस्वीरें ले सकते सकते हैं।

B) Types of Drones Based on Aerial Platform:

एरियल प्लेटफार्म के आधार पर ड्रोन के प्रकार:

एरियल प्लेटफार्म के आधार पर, 4 प्रमुख प्रकार के ड्रोन हैं।

1) Multi Rotor Drones:

Multi Rotor Drones- Drone in Hindi

मल्‍टी रोटर ड्रोन आमतौर पर बहुत स्थिर होते हैं और वे लंबे समय तक हवा में एक स्थिर स्थिति बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं। वे कई मोटर्स के साथ डिज़ाइन किए गए होते हैं जो उन्हें हवा में रहने और स्थिरता रखने में मदद करते हैं। इस कारण से, मुख्य रूप से उनका उपयोग हवाई निगरानी और फोटोग्राफी के लिए किया जाता है।

मल्टी रोटर ड्रोन सबसे कॉमन टाइप के ड्रोन हैं जिनका उपयोग प्रोफेशनल और शौकियों द्वारा समान रूप से किया जाता है। वे हवाई फोटोग्राफी, हवाई वीडियो निगरानी आदि जैसे सबसे आम ऐप्‍लीकेशन के लिए उपयोग किया जाते है।

मल्टी-रोटर ड्रोन को प्लेटफार्म पर रोटार की संख्या के आधार पर आगे वर्गीकृत किया जा सकता है। वे Tricopter (3 रोटार), Quadcopter (4 रोटार), Hexacopter (6 रोटार) और Octocopter (8 रोटार) हैं। इनमें से, Quadcopters सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला वर्जन हैं।

2) Fixed Wing:

Fixed Wing Drone- Drone in Hindi

फिक्स्ड विंग ड्रोन को एयरप्‍लेन के समान डिज़ाइन किया जाता है और इस कारण से, वे हवा में स्थिर स्थिति बनाए नहीं रख सकते हैं। वे हमेशा अपने निर्धारित उड़ान पथ पर निरंतर गतिशील रहते हैं, जब तक उनमें पॉवर होती है।

ज्यादातर फिक्स्ड विंग ड्रोन के पास कुछ घंटों का औसत उड़ान समय है। गैस इंजन संचालित ड्रोन 16 घंटे या अधिक तक उड़ सकते हैं।

3) Single Rotor:

Single Rotor Drone- Drone in Hindi

सिंगल रोटर ड्रोन, डिजाइन और संरचना में वास्तविक हेलीकॉप्टर के समान दिखते हैं। एक मल्टी रोटर ड्रोन के विपरीत, एक सिंगल रोटार मॉडल में सिर्फ एक बड़े आकार का रोटर है और उसके हेडिंग को कंट्रोल करने के लिए ड्रोन की पूंछ पर एक छोटी साइज का रोटर होता है।

सिंगल रोटर ड्रोन मल्‍टी रोटर वर्जन की तुलना में काफी कुशल होते हैं। सिंगल रोटर ड्रोन को उनके विभिन्न क्षमताओं के कारण मल्टी रोटर ड्रोन से बेहतर माना जाता है। वे एक रेखीय पथ के साथ उड़ सकते हैं, वे मल्‍टी-रोटर ड्रोन से अधिक उड़ सकते हैं और एक स्थिर स्थिति में भी तैनात हो सकते हैं।

C) Types of Drones Based on Abilities:

क्षमताओं के आधार पर ड्रोन के प्रकार

1) Quadcopters:

Quadcopters Drone- Drone in Hindi

क्वाडकोपर चार रोटार के साथ डिज़ाइन किए गए जाते हैं जो कि एक स्क्वायर पैटर्न में अरेंज होते हैं और बाजार में सबसे कॉमन टाइप के ड्रोन हैं। इन ड्रोन को मुख्य रूप से मनोरंजक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है लेकिन अन्य लोग इसे प्रोफेशनल और आधिकारिक प्रयोजनों के लिए अक्सर उपयोग करते हैं।

2) GPS Drones:

GPS Drones - Drone in Hindi

ये ड्रोन कुछ हद तक ‘स्मार्ट’ होते हैं। वे सैटेलाइट से GPS के जरिए जुड़े हुए होते हैं और इससे उनकी उड़ान पथ तय करने में मदद मिलती है। वे एक जगह से दूसरी जगह पर आसानी से जा सकते हैं और जब वे कंट्रोल से बाहर निकल जाते हैं, तो वे जीपीएस के माध्यम से ओनर के पास वापस नेविगेट कर सकते हैं।

3) RTF Drones:

RTF Drones - Drone in Hindi

ये रेडी-टू-फ्लाई ड्रॉन्स के रूप में जाने जाते हैं। वे लगभग एक प्लग-एन-प्ले टाइप के ड्रोन हैं। जब आप इसे खरीदते है, तब यह ड्रोन उड़ान भरने के लिए तैयार होता है।

4) Trick Drones:

Trick Drones - Drone in Hindi

छोटे, तेज और गतिशील, चाल के इन ड्रोन को आमतौर पर खिलौने के रूप में उपयोग किया जाता है। वे बैरल रोल, फ्लिप और हवा में अन्य आकर्षक और मनोरंजक करतब कर सकते हैं। आमतौर इनका वज़न हल्का होता है, क्योंकि इनपर कोई भी अतिरिक्त एक्सेसरीज नहीं होती।

5) Delivery Drones:

Delivery Drones - Drone in Hindi

इस टाइप के ड्रोन उन कंपनी में बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं, जिन्हें अपने सामान कि डिवलेवरी करनी होती हैं। डिलिवरी ड्रोन को एक लंगर या बास्‍केट नीचे कि और अटैच होती है जहां पैकेज को चिपकाया और ड्रोन द्वारा ले जाया सकता है।

6) Photography Drones:

Photography Drones - Drone in Hindi

इन ड्रोनों में एक कैमरा / वीडियो कैमरा लगा होता है। ये कैमेरा एचडी क्‍वालिटी के होते हैं, जो ऊचाई से भी क्लियर तस्वीर ले सकते हैं।

इन ड्रोन को, विशेष रूप से कैमरों को कठोर मौसम से होने वाले नुकसान को सहन करने के लिए बनाया गया जाता है।

7) Racing Drones:

Racing Drones - Drone in Hindi

रेसिंग ड्रोन प्रति घंटे 60 मील प्रति घंटे तक की स्‍पीड तक पहुंच सकता है और इसका उपयोग ड्रोन उत्साही द्वारा प्रतियोगिता और चैंपियनशिप में किया जाता है।

How Drone Works in Hindi:

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ड्रोन को ऊपर कि और धक्का देने और कंट्रोल करने के लिए रोटार का उपयोग करते हैं। आप फैन के रूप में एक रोटर को सोच सकते हैं, क्योंकि वे बहुत ज्यादा समान काम करते हैं। स्पिनिंग ब्लेड हवा को नीचे धकेलते हैं। यह रोटर हवा हो नीचे की तरफ धकेलता हैं और उसी समय हवा रोटर को ऊपर कि और धकेलती हैं। रोटर का स्‍पीड जितना ज्यादा होगा उतना ही ड्रोन हवा में ऊपर जाएगा।

उतरने के लिए इसके विपरीत होता है: बस रोटर स्‍पीड कम कि जाती हैं और वह नीचे आने लगता हैं।

अब तक, आपने निश्चित रूप से समझ ही गए होंगे कि प्रत्येक मुवमेंट एक या अधिक रोटार की स्पिन रेट को बदलकर पूरा किया जाता है। ऐसा करने के लिए बस एक कंट्रोलर की आवश्यकता होती है जो प्रत्येक मोटर का वोल्टेज बढ़ा या घटा सकता है। यह सेट अप करने के लिए बहुत मुश्किल नहीं है लेकिन बस इस बात की कल्पना करो-तुम्हारे पास 4 कंट्रोलर वाला ड्रोन है। आपको प्रत्येक मोटर पावर लेवल के लिए एक कंट्रोलर की आवश्यकता होगी।

हालांकि, यदि आपके पास कुछ प्रकार की कंप्यूटर कंट्रोलर सिस्‍टम है, तो आप अपने अंगूठे से एक जॉयस्टिक के सहारे ड्रोन को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं। ड्रोन में एक एक्सीलरोमीटर और जीरोस्कोप प्रत्येक रोटर कि बिजली को मिनट में समायोजन करके उड़ान को आसानी से और स्थिरता को बढ़ा सकता है। एक जीपीएस सिस्‍टम एड करने पर आप पूरी तरह से मानव रहित ड्रोन बना सकते हैं।

तो आप देख सकते हैं कि एक ड्रोन उड़ाना बहुत आसान है अगर आप कंप्यूटर को सभी काम करने देते हैं। लेकिन इसके पीछे फिजिक्‍स को समझना अभी भी अच्छा है।

क्या आपको ड्रोन खरीदना है?

यदि आप अपना पहला ड्रोन खरीदने में दिलचस्पी रखते हैं, तो इसके तीन गुण हैं जिन्हें आपको तलाश करना चाहिए: (1) सस्ता, (2) मज़बूत, और (3) उपयोग में आसान। एक ड्रोन को तीन व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

i) Ready to fly (RTF):

यह ड्रोन एक बॉक्स में एक कम्पलीट और असेंबल्ड पैकेज के रूप में आते हैं, जिसमें ड्रोन और आवश्यक कंट्रोलर शामिल होते हैं।

ii) Almost ready to fly (ARF)

यह ड्रोन उड़ान भरने के लिए लगभग तैयार होते हैं और इसमें आपके ड्रोन को उड़ने के लिए सभी आवश्यक कंपोनेंट भी होते हैं, लेकिन इसमें कुछ पार्ट को असेंबल करना होता हैं।

यह अभी भी काफी सरल है कि आप दिए गए निर्देशों का पालन कर सकते हैं जो पैकेज के साथ आते हैं।

iii) Bind-and-fly (BNF):

यह ड्रोन पूरी तरह से असेंबल्ड होते हैं लेकिन कंट्रोल के लिए आवश्यक रेडियो कंपोनेंट्स इसमें शामिल नहीं होते। इन्हें अलग से बेचा जा सकता है, और आपकी आवश्यकताओं के अनुसार कस्‍टमाइज़ किया जा सकता है।

 

Saap ke katne Par Kya Kare (Snake Bite)

क्या आपको पता है कि दुनिया में कितनी सापों की प्रजातियां हैं, एक रिसर्च के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया में लगभग 560 snake bite सापों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमे से सिर्फ 15 सांप snake bite की प्रजातियां ऐसी हैं जो जहरीली होती हैं.

बाकी के बचे 545 सांपो की प्रजातिया ऐसी हैं जिनके काटने से मनुष्य की मृत्यु नहीं हो सकती.

भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा सांप पाए जाते हैं. आपने भी कभी न कभी कोई ना कोई सांप जरूर देखा ही होगा. 

 

 

 

जो लोग शहरों में रहते हैं उनको कोई डर नहीं, पर गॉंव के इलाके या जंगल में बहुत सारे जहरीले सांप पाए जाते हैं.

गॉंव जैसे इलाकों में तो घरों में भी सांप मिलते हैं, तो ऐसे में अगर सांप किसी को काट ले तो क्या करना चाहिए.

इसकी जानकारी अधिकतर लोगों के पास नहीं होती जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है. अगर हॉस्पिटल नजदीक हो तो ठीक, और अगर ना हो तो क्या किया जाए.

तो ऐसे में अगर आपके पास जानकारी होगी और आप होशियारी से काम लेंगे तो आपकी जान बच सकती है. 

 

 

 

 

इसलिए मैं यहां आपको बताऊंगा कि सांप के काटने पर सबसे पहले क्या किया जाए

 

रोगी को घबराना नहीं चाहिएWhat is Neet Exam in Hindi & How to Import

भारत में कुल 560 प्रकार के सांपो की प्रजातियां हैं जिनमे से केवल 15 प्रजातियां ही ऐसी हैं जो जहरीली होती हैं. बाकी 545 प्रजातियों के काटने से इंसान की मौत नहीं हो सकती.

बस सूजन, बेहोशी, उलटी जैसी तकलीफें होती हैं जो बाद में ठीक भी हो जाती हैं.

 

 

 

 

 

आपको एक बात बता दूँ कि अधिकतर लोगों की मौत सांप के काटने से नहीं बल्कि सांप के काटने के डर से होती हैं. 

यानी किसी सांप के काटने के बाद लोग घबरा जाते हैं और हार्ट-अटैक से मर जाते हैं. जबकि उस सांप का जहर जानलेवा भी नहीं होता.

भारत में सबसे जहरीला सांप है कोबरा. कोबरा के काटने के बाद इंसान को बचाना लगभग नामुमकिन है, लेकिन इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप काफी हद तक किसी को भी बचा सकते हैं.How to Start Milk Dairy Farming Business Idea’s & Development in Hindi

सांप के काटने के बाद सबसे पहले तो आदमी को घबराना बिलकुल भी नहीं चाहिए. 

ऐसा करने से पीड़ित अगर घबराएगा तो घबराने से उसकी खून की रक्तचाप बढ़ने लगेगी और जहर शरीर में जल्दी से फैलने लगेगा और पीड़ित की मृत्यु हो जायेगी.

 

 

 

 

 

ज़रा आप सोचिये कि हो सकता है कि आपको बिना जहर वाली सांप की किसी प्रजाति ने काटा हो तो आप बेवजह ही डर से चिंता कर रहे हैं. 

लेकिन अगर किसी काले रंग के जहरीले सांप ने काटा है तो होशियारी से काम लेना होगा तो ही आपकी जान बच सकती है.

सांप का जहर कैसे फैलता हैDerma Roller Therapy Acne Scars Glowing Skin & Hair loss Use derma roller in Hindi

सांप के दो दांत होते हैं जो उसके मुँह में ऊपर की तरफ होते हैं. जब किसी व्यक्ति को कोई सांप काटता है तो यही दांत उसके मांस में धंस जाते हैं और शरीर में जहर धीरे धीरे फैलने लगता है. 

जहर फैलने पर शरीर के अंग काम करना बंद करने लगते हैं और इंसान की मृत्यु हो जाती है.

 

 

 

 

इस पूरी प्रक्रिया के होने में लगभग 3 घंटे का समय लगता यही.

सांप शरीर के किसी भी हिस्से में काटे, जहर सबसे पहले दिल तक जाता है और वहा से पंप होता हुआ शरीर के हर हिस्से तक पहुँच जाता है. Flipkart par Money kaise kamate hai

जहर के पूरे शरीर में फैलने पर शरीर के अंग धीरे धीरे शिथिल हो जाते हैं और काम करना बंद कर देते हैं.

जहर के पूरे शरीर में फैलने में कम से कम ३ घंटे का समय लगता ही है इसलिए बिना समय गंवाते हुए होशियारी से काम करें क्योकि आपके पास 3 घंटे का समय है.

 

 

 

 

सांप काटने पर सबसे पहले क्या करें

अगर आपके पास कोई हॉस्पिटल नहीं है snake bite in dream तो बिलकुल नहीं घबराना है snake bite in dream और जहर को शरीर से निकालने की कोशिश करनी है.

जहाँ सांप ने काटा है snake bite in dream उस अंग को तुरंत snake bite in dream किसी ब्लेड से काटकर अलग कर देना चाहिए, ऐसा  जहर भी शरीर से बाहर निकल जाएगा.

अगर आपके पास ब्लेड नहीं है snake bite in dream या आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो उस अंग को किसी कपडे या रस्सी से कसकर बाँध लें जिससे उस अंग का खून बहना बंद हो जाएगा और जहर शरीर में जल्दी से नहीं फैलेगा.

 

 

 

 

जब भी सांप काटे तो सबसे पहले यही करें snake bite treatment in hindi और उसके बाद ही इसका इलाज करें.

यह भी ध्यान रखें कि जहर को मुँह से चूसकर नहीं निकालना है, snake bite treatment in hindi क्योंकि ऐसा करने से दुसरे snake bite treatment in hindi आदमी की भी मौत हो सकती है.

सांप के काटने का इलाज

मैं यहां आपको 2 तरीके बताने जा रहा हूँ….

1). इसके लिए आपको एक खाली इंजेक्शन की जरूरत है snake bite treatment in hindi जिसको आपको जहाँ सुई लगी रहती है वहां से काटकर रख लेना है या उसकी सुई वाले हिस्से को बिलकुल ही बाहर निकाल देना है.

जब भी कोई सांप काटता है तो तुरंत उस इंजेक्शन को काटे हुए हिस्से पर रखकर खून को इंजेक्शन से खींचकर निकाल देना है, जिससे खून के साथ साथ जहर भी बाहर आ जाएगा.

जब तक आपको खून में हल्का सा काला रंग का जहर ना दिखाई दे, तब तक खून को निकालते रहिये. 

 

 

 

 

 

ऐसा करने पर खून के साथ ही snake bite drug जहर भी बाहर आ जाएगा snake bite drug और आदमी बच जाएगा.Get Verka,Amul & Mother Dairy Franchise kaise Milegi

2). NAJA TRIPUDIANS 200

यह दवा किसी भी होम्योपैथिक की दूकान पर आसानी से मिल जाती है.snake bite drug  मेरे अनुमान से इसकी 5 ml. की कीमत 50 रूपए है. snake bite drug आप इस 50 रूपए से snake bite drug कई लोगों की जान बचा सकते हैं और यह दवा हर घर में उपलब्ध होनी चाहिए.

दरअसल यह दवाई एक खतरनाक सांप का जहर है snake bite क्योंकि एक कहावत सुनी होगी कि लोहे को लोहा ही काटता है.

इसलिए इस दवाई को छोटे बच्चो की पहुँच से दूर ही रखें.Petroleum Jelly Production of Hindi & English in full detail

 

 

 

 

 

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दवा लेने की विधि :

NAJA 200 की एक बूंद हर 10 मिनट के अंतराल पर रोगी snake bite की जीभ पर डालना है. रोगी की जान को बचाने के लिए snake bite सिर्फ 3 बूंद ही काफी होती हैं.

 

 

 

इतना करने से रोगी snake bite की जान बच जायेगी, snake bite लेकिन इसका इस्तेमाल करने से पहले यह कन्फर्म करना जरुरी है कि रोगी को किसी जहरीले सांप ने ही काटा हो.

Solar light Consumption and Energy Savings खपत और ऊर्जा बचत

How to make Solar street light in Hindi

सोलर लाइट कैसे बनायें

जैसे जैसे ऊर्जा की मांग बढती जा रही है लोग ऊर्जा के नए नए स्रोत ढूढ़ कर उनका इस्तेमाल भी कर रहे हैं और सौर ऊर्जा तो इस समय बहुत तेज़ी से विकसित हो रही है जिसके काफी बड़े बड़े प्लांट लगाये जा रहे हैं और तो और घरों, ऑफिसों में भी बिजली के लिए सोलर पैनल लगाये जा रहे हैं. मार्किट में इस समय काफी अच्छे solar products भी available हैं जिनमे एक solar LED street light भी है. Solar street light का इस्तेमाल रात के समय में सड़कों, बगीचों आदि सार्वजनिक स्थानों पर अब काफी देखने को मिलता है. बहुत से लोग इन्टरनेट पर भी सर्च करते हैं कि solar light कैसे काम करती है और कैसे बनाई जाती है, तो चलिए हम बात करते हैं “How to make Solar street light in Hindi”.

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WORKING OF SOLAR STREET LIGHT/ सोलर स्ट्रीट लाइट कैसे काम करती है

Solar light का सबसे अहम् किरदार होता है solar panel का, जिसको दो हिस्सों में बांटा जाता है, एक Charging system जिसमें सोलर पैनल से बैटरी जुडी होती हैं और दुसरा lighting system जिसमें बैटरी से LED lights जुडी होती हैं.Business start of the brick manufacturer in Hindi



Charging system: यहाँ मैने नीचे एक circuit diagram दिया है जिसमें 16V/5W का सोलर पैनल बैटरी को दिन के समय में सूरज की रौशनी से चार्ज करता है. बैटरी को charge करने के लिए DC voltage की जरुरत होती है जिसको regulate करने के लिए regulator का use किया जाता है, जिससे बैटरी को constant voltage मिले. रात के समय में जब बैटरी charge नही होती तब solar panel में बैटरी से reverse current flow हो सकता है जिससे पैनल के खराब होने का ख़तरा बढ़ जाता है इसलिए यहाँ circuit में एक diode भी use किया गया है पैनल की safety के लिए. बैटरी charging के indication के लिए एक LED भी use की गयी है जिससे पता चलता रहता है कि बैटरी charge हो रही है.Honey Processing Business How to Make it in Hindi

Lighting system: यहाँ पर 12V/1Ah की lead acid battery use की गयी है. सबसे पहले हमें ये जरुर ध्यान में रखना है कि बैटरी के load से ज्यादा उस पर load ना दिया जाए, जितनी बैटरी की capacity है उससे थोड़ा कम ही load दिया जाए नही तो बैटरी के जल्दी खराब होने की संभावनाए बढ़ जाती हैं.How to Start Sweet Box Making Business kitni Hogi kamai

एक स्विच भी use किया गया है जिससे जब लाइट जलानी हो तो स्विच को ON कर दें. यहाँ 3.3 volt 30mA की white colour की LEDs use की गयी हैं.Production of Rice and Rice Mill Business Tips in Hindi

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REQUIRED MATERIAL:

1). 16V/5W solar panel
2). 12V/1Ah lead acid battery
3). 3.3 volt 30mA white LEDs (15 nos.)
4). Diode IN4001 (01 nos.)
5). Red LED for indication (01 nos.)
6). 1k resistor (01 nos.)
7). 50ohm resistor (01 nos.)
8). 47ohm resistor (05 nos.)
9). 100uF capacitor
10). 7812 regulator IC

CIRCUIT DIAGRAM:




How to make Solar street light in Hindi

STEPS TO MAKE SOLAR STREET LIGHT:

1). सबसे पहले एक छोटा सा pcb board लेकर उस पर circuit diagram के according सभी components mount करके solder कर लें. Diode और LED के + और – pin का ध्यान जरुर रखें और IC 7812 की भी पहली और तीसरी pin को पहले देख कर ही लगाएं.

2). ON-OFF switch को अच्छे से fit करें और उसको pcb board के output pin और LEDs के board से connect करें.

3). एक दुसरे बड़े pcb board में सभी LEDs और उनके resistors को अच्छे से connect करके solder करें.

4). अब circuit diagram को ध्यान में रखते हुए बैटरी के connection करें.

5). अब सोलर लाइट को use करने से पहले उसको 5-6 घंटे सूरज की रौशनी में रखकर उसको अच्छे से चार्ज कर लेना चाहिए, और चार्ज होने के बाद ही उसको ON करना चाहिए.

 

Xenxo S-Ring New Version 2019

The Xenxo S-Ring wraps technology around your little finger, thereby making your world smarter, secure and more seamless than ever before. The ring’s 360-degree functionality is deliberate though, and we – the company co-founder’s, would like you in on the ‘big why’ of the product. Wrap technology around your little finger, accomplish anything and everything by wearing just one little ring – The Xenxo S-Ring. By having specifically developed 12 applications, the ring vests the control of your life in your hands.

 

 

 

 

Xenxo is one for you, and you are the one who deserves to be a part of the new Generation.

Smart has never been this Smart.
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Expert Technicians let us down saying those complicated components cannot be fitted into a ring, but with a passionate and hardworking talented team, we overcame experience proving them wrong. We have managed to pack a powerful microcomputer with more than 94 micro-components, 4 sensors, and a 32-bit controller while maintaining the size as same as that of an ordinary ring.

 

 

 

 

 

Your Safety is in Safe Hands 

 

 

 

 

 

Prototype Gallery

Xenxo S-Ring: Prototype (Left) : Alpha Version V2.0 (Centre) : Final-End Model (Right).
Xenxo S-Ring: Prototype (Left) : Alpha Version V2.0 (Centre) : Final-End Model (Right).
Xenxo S-Ring - Alpha Version V 2.0
Xenxo S-Ring – Alpha Version V 2.0
Xenxo S-Ring: Alpha version V 2.0 (Present Phase, as on April 2018)
Xenxo S-Ring: Alpha version V 2.0 (Present Phase, as on April 2018)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Three different shades of the S-Ring you love to look more cool and stylish.
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An App To Control, Protect and Secure Your Data.

12 applications made customizable to 4 different clicks! Prioritize your needs into clicks!
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 “We didn’t just design the technology, we crafted it with the solutions”

Created to overcome present technological problems and stay in line with the future. We are happy to announce that we have successfully made one that might just accomplish everything we have ever dreamed of.

Xenxo S-Ring surpasses 87% of the technological issues that today's world face.
Xenxo S-Ring surpasses 87% of the technological issues that today’s world face.

Why struggle carrying those six accessories when “one” can do all that & a whole lot more? Life can be a lot easier!

 

 

 

 

 

 

 

 

 

“It may sound unbelievable to some but adversity often spurs ingenuity”.

This was the case with us, for you see, the recent spate of unspeakable crimes, especially

IFSC Money Transfer Code & Swift Code Kaise Pata Kare

 

IFSC Code Ki Jankari

Online transaction के लिए IFSC Code की ज़रूरत होती है.बिना आईएफएससी कोड के आप एक अकाउंट से दुसरे bank account में online transaction नहीं कर सकते हैं.हर बैंक का अपना आईएफएससी कोड होता है.आप अपने बैंक का आईएफएससी कोड बैंक में जा कर पता कर सकते हैं.आप ऑनलाइन भी अपने बैंक का आईएफएससी कोड  पता कर सकते हैं.

 

 

 

 

 

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Ifsc code kya hota hai

IFSC Code 11 digit का Indian Financial System Code होता है जिसे Reserve Bank Of India के द्वारा किसी बैंक के branch के identification के लिए दिया जाता है.आईएफएससी कोड का इस्तेमाल online transaction और offline transaction दोनों में किया जाता है इसलिए अपने bank branch का आईएफएससी कोड का पता होना ज़रूरी होता है.

Bank Ka IFSC Code Kaise Pata Kare

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दोस्तों किसी भी बैंक का आईएफएससी कोड पता करने के तीन तरीके होते हैं.आप बैंक जा कर आईएफएससी कोड पता कर सकते हैं.आप बैंक के द्वारा इशु किये गए पासबुक पर देख के आईएफएससी कोड पता कर सकते हैं.या आप घर बैठे इन्टरनेट की मदद से bank ifsc code पता कर सकते हैं.

 

 

 

 

 

 

Bank Ka IFSC Code online kaise pata kare

अगर आप घर बैठे इन्टरनेट की help से अपना bank ifsc code पता करना चाहते हैं तो आज मै आप को एक वेबसाइट के बारे में बताऊंगा जिसके help से आप किसी भी बैंक का आईएफएससी कोड पता कर सकते हैं.

Online IFSC Code

सबसे पहले आप अपने pc या mobile में www.ifscswiftcodes.com को ओपन करें.

जब वेबसाइट ओपन हो जाएगी तो आप को एक फॉर्म नज़र आएगा जिसमे आप को कुछ जानकारियां भरनी पड़ेगी,जैसे की निचे आप फोटो में देख के समझ सकते हैं.

 

 

 

 

 

  1. Bank Name – यहाँ आप जिस बैंक का आईएफएससी कोड पता करना चाहते हैं उसको सेलेक्ट करें.
  2. State- आप भारत के किस राज्य के बैंक का आईएफएससी कोड चाहते हैं,राज्य सेलेक्ट करें.
  3. District- आप ने जो राज्य सेलेक्ट किया है उसके किस जिला के बैंक का आईएफएससी कोड चाहते हैं,जिला सेलेक्ट करें.
  4. Branch- अंत में अपना bank branch सेलेक्ट करें.
ifsc code

जब आप पूरी जानकारी को सही सही भर देंगे तो कुछ सेकेण्ड में आप के सामने आप के बैंक की पूरी जानकारी आ जाएगी.Ifsc code के अलावा और भी बहुत सारी जानकारी जैसे MICR-No,Branch Code,SWIFT Code,Address आप को मिल जाएगी.

 

SBI ifsc code

ऊपर मैंने एक screenshot शेयर किया है जिसमे मैंने state bank of india(sbi) के डेल्ही में द्वारका ब्रांच की जानकारी भरी है जिसका रिजल्ट आप निचे के screenshot में देख सकते हैं.आप निचे के screenshot में देख सकते हैं की मैंने जिस बैंक की डिटेल भरी थी उसकी पूरी जानकारी आ गई है.आप भी इसी तरीके से indian bank के आईएफएससी कोड को घर बैठे इन्टरनेट के help से जान और देख सकते हैं.

kaise pata kare

 

 

 

 

 

 

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है की आप को समझ आ गया होगा की bank ka ifsc code kaise pata kare? अगर आप के मन में bank ka ifsc code kaise pata kare को लेकर कोई सवाल है तो आप कमेन्ट कर के पूछ सकते हैं.hindi me blog को बुकमार्क करना मत भूलियेगा.बुकमार्क करने के लिए ctrl+D दबाएँ.

Paytm Wallet Me Money Add Kaise Kare

Paytm me Paise Kaise Add Karne Ka Tarika paytm wallet के लिए सबसे पहले अपने मोबाइल में paytm app को ओपन करें और उसमे login करें. Paytm wallet app में login करने के बाद आप को Add Money का विकल्प नज़र आएगा उसको क्लिक करें. how to transfer money from paytm wallet to bank account

 

 

 

 

 

Paise

Add Money को क्लिक करने के बाद आप को वो amount टाइप करना है जितना आप अपने Paytm me Paise add करना चाहते हैं.how to transfer money from paytm wallet to bank account अमाउंट टाइप करने के बाद आप को निचे add money का button नज़र आएगा उसको क्लिक कर दें.

 

 

 

 

 

paisa kamaye

अब आप को यहाँ payment करने का तरीका सेलेक्ट करना है.आप अपने debit card, credit card या net banking में से किसी एक को सेलेक्ट कर सकते हैं.

atm-card

पेमेंट आप्शन में मैंने उदाहरण के लिए debit card सेलेक्ट किया है.जब आप debit card से पेमेंट करने के आप्शन को क्लिक करेंगें तो आप के सामने एक छोटा सा फॉर्म ओपन हो जायेगा जिसमे आप को अपने debit card से सम्बंधित जानकरियों को भरना होगा.जैसे की आप निचे स्क्रीन शॉट में देख सकते हैं.सारी जानकारी भरने के बाद pay now बटन को क्लिक कर दें.

 

 

 

 

 

 

  1. Card Number-ये आप के debit card या atm card पर होता है
  2. Expiry Date-आप के debit card पर मंथ और इयर के रूप में लिखा होता है
  3. CVV Code-debit card or atm card पर पीछे के तरफ 3 digit का एक code होता है
  4. Pay Now-सारी जानकारी भरने के बाद इसको क्लिक करें

 

 

 

 

 

 

payt ki jankari

 

 

 

 

Pay now पर जैसे ही आप क्लिक करेंगें paytm wallet to bank transfer charges एक new window ओपन होगा जिसे आप को रिफ्रेश या क्लोज नहीं करना है.इसी दौरान आप के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर otp आएगा paytm wallet to bank transfer charges जिसे आप को नए खुले पेज में भरना है और ok करना है.कुछ सेकंड बाद आप के paytm wallet app me Paise add हो जायेगा.How to Open poultry farm Business & Step by Step Increase and Success in Hindi

SanDisk Connect Wireless Stick New Style 2019 सैनडिस्क कनेक्ट वायरलेस स्टिक

वो ज़माना गया जब pen drive को use करने के लिए computer या mobile में लगाना पड़ता था ! अब Wireless Pen drive आ गया है जिसको कंप्यूटर या mobile में लगाने की ज़रूरत नहीं है ! Pen drive के बारे आज कौन नहीं जानता ,पहले pen drive का use सिर्फ computer में होता था लेकिन आज pen drive का use मोबाइल में भी होने लगा है ! आज के smart phone में OTG केबल के द्वारा आप बहुत ही आसानी से pen drive का इस्तेमाल कर सकते हैं ! इसके आलावा अब तो ऐसे pen drive आने लगें हैं जिनको smart phone में use करने के लिए OTG Cable की भी ज़रूरत नहीं है ! आज कल के pendrive को एक तरफ से computer में use कर सकते हैं और दूसरी तरफ से अपने smart phone में बिना किसी केबल या एक्सटेंशन कॉड के ! SanDisk कम्पनी ने एक नए तरह का pen drive बनाया है जिसको computer या mobile में लगाने की ज़रूरत नहीं है ! Connect Wireless Stick नाम के इस pen drive को आप अपने पॉकेट में रख के भी use कर सकते हैं!

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SanDisk Connect Wireless Stick आप के mobile के स्पेस को बढ़ा देगा ! अब तक जो videos या photos आप अपने mobile में रखा करते थे उसको आप अपने SanDisk Connect Wireless Stick में रख सकते हैं और SanDisk Connect Wireless Stick को अपने जींस के जेब में और जब मर्जी हो आप SanDisk Connect Wireless Stick में रखे videos या photos को अपने smart phone में देख सकते हैं इस तरह आप के smart phone के स्पेस की भी बचत होगी

Agarbatti Manufacturing Business kaise Start kare

SanDisk Connect Wireless Stick क्या है 

SanDisk कम्पनी द्वारा बनाये गए इस pen drive को आप computer ,laptop ,tablet या smart phone किसी में भी use कर सकते हैं ! SanDisk Connect Wireless Stick का इस्तेमाल computer के USB Port में लगा के भी किया जा सकता है और बिना लगाये ,यानी Wireless भी किया जा सकता है ! SanDisk Connect Wireless Stick की सबसे अच्छी बात ये है की इसको एक साथ तीन तरह के या एक जैसे तिन डिवाइस पर एक साथ use कर सकते हैं उदाहरण के लिए अगर आप ने SanDisk Connect Wireless Stick में कोई video save कर के रखा है तो आप उस video को एक साथ तीन डिवाइस पर देख सकते हैं ! SanDisk Connect Wireless Stick 16GB /32GB /64GB /128GB OR 200GB में उपलब्ध है !

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SanDisk Connect Wireless Stick की कीमत amazon पर 

SanDisk Connect Wireless Stick – 16GB   –  1348/- RS
SanDisk Connect Wireless Stick – 32GB   –  1899/- RS
SanDisk Connect Wireless Stick – 64GB   –  2950/ -RS
SanDisk Connect Wireless Stick – 128GB –  5247/- RS
SanDisk Connect Wireless Stick – 200GB –  6699/- RS

SanDisk Connect Wireless Stick को use करने का तरीका Uber cab kaise book kare

इस Wireless Stick को use करने के लिए आप को पहले एक application जिसका नाम है Connect Drive ,इसको Google Play store से download करना पड़ेगा जिसके द्वारा आप SanDisk Connect Wireless Stick का use कर सकते हैं ! SanDisk Connect Wireless Stick को आप android के आलावा IOS या mac ऑपरेटिंग सिस्टम में भी use कर सकते हैं ! IOS के लिए आप यहाँ से Connect Drive download कर सकते हैं !

Vivo V15 Pro New Look Smart Phone 2019

आधिकारिक तौर पर लॉन्च किए जाने से कुछ दिनों पहले ही Vivo V15 Pro के स्पेसिफिकेशन सार्वजनिक हो गए हैं। यह Vivo स्मार्टफोन Vivo V11 Pro, का अपग्रेड है और यह 6.39 इंच के फुल-एचडी+ सुपर एमोलेड फुलव्यू डिस्प्ले से लैस है। वीवो के इस स्मार्टफोन में स्नैपड्रैगन 675 प्रोसेसर और 6 जीबी रैम दिए गए हैं। इसके अलावा वीवो वी15 प्रो की कीमत भी सामने आई है। गौर करने वाली बात है कि Vivo V15 Pro को भारत में 20 फरवरी को लॉन्च किया जाएगा और कंपनी ने इस संबंध में टीज़र भी ज़ारी कर दिए हैं।

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टिप्सटर इशान अग्रवाल ने ट्विटर पर वीवो वी15 प्रो स्पेसिफिेकेशन साझा किए हैं। इस स्मार्टफोन के अहम स्पेसिफिकेशन सार्वजनिक तो हुए ही हैं, साथ में इसकी कीमत 33,000 रुपये के आसपास होने का पता चला है।

लीक हुए स्पेसिफिकेशन को सही मानें तो Vivo V15 Pro में 6.39 इंच का फुल-एचडी+ सुपर एमोलेड अल्ट्रा फुलव्यू डिस्प्ले पैनल और क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 675 प्रोसेसर होगा। इसके साथ 6 जीबी रैम और 128 जीबी स्टोरेज दी जाएगी। स्मार्टफोन की बैटरी 3,700 एमएएच की होगी और यह “डुअल इंजन” फास्ट इंजन टेक्नोलॉजी से लैस होगी।

हाल ही में पता चला था कि Vivo V15 Pro 32 मेगापिक्सल पॉप अप सेल्फी कैमरे के साथ आने वाला दुनिया का पहला स्मार्टफोन होगा। याद रहे कि पॉप अप सेल्फी कैमरे की पहली झलक बीते साल Vivo Nex में ही मिली थी। इस स्मार्टफोन में पिछले हिस्से पर 48 मेगापिक्सल क्वाड पिक्सल प्राइमरी सेंसर दिया जाएगा। यह फोन के ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप का हिस्सा होगा।

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लीक हुए स्पेसिफिकेशन से पता चला है कि वीवो वी15 प्रो में 8 मेगापिक्सल का सेकेंडरी सेंसर और 5 मेगापिक्सल का तीसरा सेंसर होगा। हम स्पेसिफिकेशन की पुष्टि निजी तौर पर नहीं कर सकते हैं। ऐसे में हम आपको इन दावों पर पूरी तरह से भरोसा नहीं करने का सुझाव देंगे।

याद रहे कि वीवो वी15 प्रो को भारत में 20 फरवरी को लॉन्च किया जाएगा। चीनी कंपनी ने अभी फोन की कीमत और उपलब्धता के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी। सिर्फ इतना पता चला है कि हैंडसेट अमेज़न इंडिया पर बिकेगा।

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हैंडसेट निर्माता कंपनी Vivo ने कुछ समय पहले Vivo V15 Pro के आधिकारिक टीजर वीडियो को जारी किया था। अब वीवो ब्रांड के आगामी स्मार्टफोन Vivo V15 Pro को ई-कॉमर्स वेबसाइट Amazon India पर बनी माइक्रोसाइट पर लिस्ट कर दिया गया है। माइक्रोसाइट पर लिस्टिंग से पता चला है कि वीवो वी15 प्रो स्मार्टफोन में 32 मेगापिक्सल का पॉप-अप सेल्फी कैमरा दिया जाएगा। Vivo V15 Pro स्मार्टफोन के पिछले हिस्से पर 48 मेगापिक्सल का क्वाड-पिक्सल कैमरा सेंसर रहेगा।

सिक्योरिटी के लिए Vivo ब्रांड के इस फोन में इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर दिया जाएगा। कंपनी ने YouTube पर Vivo V15 Pro का एक नया टीजर भी जारी किया है। टीजर से इस बात की जानकारी मिली है कि भारतीय बाजार में वीवो वी15 प्रो को इस माह 20 फरवरी 2019 को लॉन्च किया जाएगा।

Amazon.in पर लिस्टिंग से इस बात का भी पता चला है कि फोटोग्राफी के लिए Vivo V15 Pro के बैक पैनल पर ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप होगा। इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर के अलावा फोन के निचले हिस्से में यूएसबी टाइप-सी पोर्ट, लाउडस्पीकर ग्रिल और सिम कार्ड स्लॉट को जगह मिली है। आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि, ट्रिपल रियर कैमरा ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) से लैस है।

इस सप्ताह के शुरुआत में Vivo V15 Pro का आधिकारिक टीज़र वीडियो ज़ारी किया गया था। टीज़र में दावा किया गया था कि यह फोन 32 मेगापिक्सल के पॉप-अप सेल्फी कैमरे के साथ आएगा। टीजर में हैंडसेट के ग्रेडिएंट फिनिश बैक पैनल को भी हाइलाइट किया गया था।  वीवो वी15 प्रो स्मार्टफोन से 20 फरवरी को पर्दा उठाया जाएगा। नया फोन बीते साल 25,990 रुपये वाले Vivo V11 Pro का अपग्रेड होगा।

Oppo K1 Smart Phone New Looking 2019

2019 में हैंडसेट निर्माता कंपनियों के कई फ्लैगशिप स्मार्टफोन में पतले बेजल वाले डिस्प्ले और बेहतर कैमरा आदि फीचर्स देखने को मिल रहे हैं। हैंडसेट निर्माता कंपनी ओप्पो की नई सीरीज़ के अंतर्गत Oppo K1 स्मार्टफोन को लॉन्च किया गया है। ओप्पो के1 हैंडसेट इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर से लैस है। Oppo ब्रांड का यह फोन भारतीय बाजार में ऐसा सबसे सस्ता हैंडसेट है जो इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर के साथ आता है। क्या Oppo K1 स्मार्टफोन एक ऑल-राउंडर स्मार्टफोन साबित होगा,आइए जानते हैं?
 

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Oppo K1 का डिजाइन और बिल्ड

चीनी मार्केट में Oppo K1 को पिछले साल अक्टूबर में लॉन्च किया गया था। ओप्पो के1 का बैक पैनल ग्रेडिएंट डिजाइन के साथ आता है। हमारे पास रिव्यू के लिए एस्ट्रल ब्लू वेरिएंट उपलब्ध है जो कि काफी स्ट्राइकिंग हैं। इसके अलावा Oppo K1 का पियानो ब्लैक वेरिएंट भी लॉन्च किया गया है। इसका 3डी इंजेक्शन-मोल्ड बैक पैनल जब लाइट के संपर्क में आता है तो कूल इफेक्ट देखने को मिलता है। बैक पैनल पर उंगलियों के निशान आसानी से पड़ जाते हैं। बटन की व्यवस्था और फोन की बिल्ड क्वालिटी काफी अच्छी है।
 

फोन के बायीं तरफ सिम-ट्रे (दो नैनो सिम और एक माइक्रोएसडी कार्ड) को जगह मिली है। Oppo K1 डुअल 4जी वीओएलटीई सपोर्ट के साथ आता है। फोन के निचले हिस्से में स्पीकर ग्रिल, माइक्रो-यूएसबी पोर्ट और 3.5 मिलीमीटर हेडफोन जैक है।
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Oppo K1 स्मार्टफोन में 6.4 इंच का फुल-एचडी+ (1080×2340 पिक्सल) डिस्प्ले है, स्क्रीन प्रोटेक्शन के लिए कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 का इस्तेमाल हुआ है। सिक्योरिटी के लिए इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर को जगह मिली है। बता दें कि ओप्पो ब्रांड के इस फोन में एमोलेड पैनल है।
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Oppo K1 में वाटरड्रॉप डिस्प्ले नॉच है। नॉच में सेल्फी सेंसर को जगह मिली है, जगह कम होने की वजह से नोटिफिकेशन एलईडी मौजूद नहीं है। हमेशा की तरह डिस्प्ले पर पहले से ही स्क्रीन गार्ड मिलेगा। फोन के पिछले हिस्से पर डुअल रियर कैमरा सेटअप है। रिटेल बॉक्स में आपको सिलिकॉन केस, सिम इजेक्ट टूल, माइक्रो-यूएसबी कैबल, 10 वाट पावर अडेप्टर और हेडसेट है।
 How to Start Roti Making business kitni Hogi kamai

Oppo K1 के स्पेसिफिकेशन और फीचर्स

हैंडसेट में ऑक्टा-कोर क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 660 प्रोसेसर का इस्तेमाल हुआ है जिसकी स्पीड 2.2 गीगाहर्ट्ज़ है। इसी चिपसेट का इस्तेमाल Realme 2 Pro (रिव्यू) और Xiaomi Mi A2 (रिव्यू) में हुआ है। भारत में Oppo K1 का केवल एक ही वेरिएंट लॉन्च हुआ है। 4 जीबी रैम और 64 जीबी स्टोरेज वेरिएंट के साथ। फोन में डुअल-बैंड वाई-फाई 802.11 एसी, ब्लूटूथ 5.0, यूएसबी ओटीजी, जीपीएस सपोर्ट शामिल है। स्मार्टफोन में कंपास, एक्सेलेरोमीटर, एंबियंट लाइट सेंसर और जायरोस्कोप सेंसर हैं। हैंडसेट में एफएम रेडियो नहीं दिया गया है।
Business start of the brick manufacturer in Hindi
ओप्पो के1 आउट ऑफ बॉक्स एंड्रॉयड 8.1 ओरियो पर आधारित कलरओएस 5.2 पर चलेगा। उम्मीद है कि मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2019 (MWC 2019) के दौरान कंपनी कलरओएस6 के साथ कुछ नए ओप्पो स्मार्टफोन से पर्दा उठा सकती है। बेहतर गेमिंग परफॉर्मेंस के लिए Oppo K1 हाइपर बूस्ट टेक के साथ आता है। इसके अलावा आपको स्मार्ट साइडबार, स्मार्ट स्कैन और ORoaming जैसे कई अतिरिक्त फीचर्स भी मिलेंगे।
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सिस्टम ऐप्स के अलावा Oppo K1 में फेसबुक के अलावा ज्यादा प्री-इंस्टॉल थर्ड पार्टी ऐप्स मौजूद नहीं है। डिफाल्ट ब्राउजर और ओप्पो ऐप स्टोर की वजह से आपको कई विज्ञापन देखने को मिलेंगे। आप ऐप स्टोर स्पैम को डिसेबल कर सकते हैं लेकिन ब्राउजर में इस फीचर को डिसेबल करने के बाद भी यह परेशानी होगी। इसी तरह की परेशानी Oppo A7 में भी देखने को मिली थी।
 

Oppo K1 की परफॉर्मेंस, कैमरा और बैटरी लाइफ

हमने कई दिनों तक हैंडसेट को इस्तेमाल किया लेकिन हमें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। फोन का डिस्प्ले काफी बड़ा है, इस वजह से स्मार्टफोन को एक हाथ से इस्तेमाल करने में आपको थोड़ी समस्या हो सकती है। फोन के बैक और साइड में ग्लासी टेक्स्चर होने के बावजूद भी फोन हाथ से फिसलता नहीं है। एमोलेड डिस्प्ले का टच रिस्पांस भी काफी अच्छा है।
 

कलरओएस भी काफी स्मूथ है और 4 जीबी रैम की वजह से फोन बिना किसी परेशानी के चलता है। फोन के इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर की बात करें तो यह स्टैंडर्ड कैपेसिटिव सेंसर जितना तेज नहीं है। इसलिए सेंसर पर अपनी उंगली को सही ढंग से टच कराएं। फोन में दिया फेस रिकॉग्निशन फीचर तेजी से काम करता है। लो-लाइट में स्क्रीन ब्राइटनेस की मदद से यह आपके चेहरे की आसानी से पहचान कर लेता है।

वीडियो देखने के लिए 6.41 इंच का डिस्प्ले काफी अच्छा है। YouTube वीडियो देखते समय स्पीकर की आवाज़ काफी तेज थी, लेकिन  PUBG Mobile गेम खेलते समय फुल वॉल्यूम पर भी आवाज़ कुछ धीमी लगी।
 

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Oppo K1 में हेवी गेम्स खेलते समय किसी तरह की कोई समस्या नहीं हुई। Asphalt 9: Legends को हाई ग्राफिक्स सेटिंग और PUBG Mobile को मीडियम ग्राफिक्स पर रखने के बाद दोनों ही गेम काफी स्मूथ चली। हमने नोटिस किया कि 30 मिनट से अधिक खेलने पर भी फोन ज्यादा गर्म नहीं होता है। बेंचमार्क नंबर भी इस बात का संकेत देते हैं कि Oppo ब्रांड का यह फोन गेम्स और ऐप्स को बखूबी चलाता है। एंटूटू बेंचमार्क में ओप्पो के1 ने 1,28,852 स्कोर किया है।

कैमरा की बात करें तो Oppo K1 में पिछले हिस्से पर डुअल कैमरा सेटअप है। प्राइमरी सेंसर 16 मेगापिक्सल का है और सेकेंडरी सेंसर 2 मेगापिक्सल का। फ्रंट पैनल पर 25 मेगापिक्सल का सेल्फी कैमरा है। सबसे पहले बात सेल्फी कैमरा की। सेल्फी सेंसर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ब्यूटीफिकेशन सिस्टम से लैस है। यूजर चाहें तो ब्यूटीफिकेशन लेवल को मैनुअली भी सेट कर सकते हैं।

दिन की रोशनी में बिना ब्यूटीफिकेशन के इमेज़ क्वालिटी काफी अच्छी है। सेल्फी में आप बैकग्राउंड को ब्लर कर सकते हैं, लेकिन हमने पाया कि एज डिटेक्शन सही ढंग से काम नहीं करता है। लो-लाइट में ली गई सेल्फी भी काफी अच्छी आई। फ्रंट कैमरा ऑटो एचडीआर सपोर्ट के साथ आता है। कम रोशनी में भी 16 मेगापिक्सल का रियर सेंसर अच्छी तस्वीर खिंचता है। पोर्टेट मोड में शूट करते समय 2 मेगापिक्सल का रियर सेंसर केवल एज डिटेक्शन के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

पर्याप्त मात्रा में लाइट होने पर पोर्टेट मोड में कैमरा फोकस करने में कुछ समय लेता है। कैमरा ऐप में पैनारोमा, एआर स्टीकर्स, एक्सपर्ट मोड जैसे फीचर्स मिलेंगे। अगर वीडियो की बात करें तो Oppo K1 4K रिजॉल्यूशन तक की वीडियो रिकॉर्ड करने में सक्षम है। 1080p रिजॉल्यूशन पर इमेज़ क्वालिटी बेहतर आई। Oppo K1 में जान फूंकने के लिए 3,600 एमएएच की बैटरी दी गई है। हमारे एचडी वीडियो लूप टेस्ट में फोन ने 12 घंटे और 36 मिनट का बैकअप प्रदान किया। ओप्पो के1 वूक फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ नहीं आता लेकिन आपको 10वाट का पावर अडेप्टर मिलेगा जिसकी मदद से आपका फोन 2 घंटे 30 मिनट में फुल चार्ज हो जाएगा।
 

हमारा फैसला

इस प्राइस सेंगमेंट में Oppo K1 ही केवल एक ऐसा स्मार्टफोन है जो इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर के साथ आता है। भारत में इस हैंडसेट का दाम 16,990 रुपये है। हमें फोन में कई चीजें पसंद आईं लेकिन कुछ चीजें हैं जो बेहतर हो सकती थी जैसे कि फोन में यूएसबी टाइप-सी पोर्ट दिया जा सकता था। इसकी बिल्ड क्वालिटी और बेहतर हो सकती थी। लो-लाइट कैमरा परफॉर्मेंस भी थोड़ी बेहतर हो सकती थी। इसके अलावा हमें आशा है कि कंपनी अपने आगामी कलरओएस वर्जन में कई ऐप्स में जो परेशानी आ रही है उसे दूर करेगी।

बेहतर गेमिंग परफॉर्मेंस, शार्प डिस्प्ले, सेल्फी कैमरा, बेहतर बैटरी लाइफ और इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर से लैस Oppo K1 इस प्राइस सेगमेंट में एक बेहतरीन विकल्प है।

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