पर अब कल्पना कीजिए कि इस हथौड़े में अपनी एक आत्मा, आत्मजागरूकता है। purpose of life essay इस औजार के बक्से में रहते हुए दिन बीतते जाते हैं। purpose of life essay अब हथौड़े को अपने अंदर अजीब सा महसूस होने लगता है, पर उसे समझ purpose of life essay में नहीं आ रहा है क्यों? कुछ कमी सी लग रही है, पर उसे पता नहीं चल रहा कि वह क्या है?
फिर एक दिन कोई उसे बक्से से बाहर निकालता है और उसका प्रयोग कुछ पेड़ की शाखाओं को तोड़ने के लिए करता है, ताकि चूल्हे या अंगीठी में आग जला सके। हथौड़ा खुशी से पागल हो जाता है। उसे पकड़ा गया, ताकत लगाई गई और शाखाओं पर प्रहार किया गया – हथौड़े को बहुत अच्छा लगा। पर दिन समाप्त होने पर, वह फिर भी अधूरा सा महसूस करता है। शाखाओं पर प्रहार करने में उसे आनंद तो मिला, पर यह पर्याप्त नहीं था। अभी भी कुछ तो कमी है।
आगे के दिनों में उसका कई बार प्रयोग किया गया। उसने कई चीज़ों का नया ढाँचा गढ़ा, दीवार तोड़ी, एक कुर्सी के पाए को ठोक कर अपने स्थान पर लगाया। फिर भी वह अधूरा सा महसूस कर रहा है। अतः वह अधिक से अधिक कार्य करना चाहता है। वह चाहता है कि जितना हो सके उसका प्रयोग चीजों पर प्रहार करने के लिए, उन्हें तोड़ने के लिए, विस्फोट करने के लिए, ठोकने के लिए किया जाए। वह सोचता है कि उसे संतुष्ट करने के लिए इतना कार्य पर्याप्त नहीं हैं। उसे विश्वास है कि इन सब कार्यों को अधिक मात्रा में करने से ही वह उस कमी को पूरा करेगा, और यह उसकी संतुष्टि का कारण बनेगा।
हम परमेश्वर के स्वरूप में रचित हैं, उसके साथ एक संबंध रखने के लिए। इस संबंध में होने से ही हमारी आत्माओं को परिपूर्ण संतुष्टि मिलेगी। परमेश्वर को जानने से पहले हमारे जीवन में कई अद्भुत अनुभव रहे होंगे, पर हमने वह ‘कील को ठोकने’ वाला अनुभव नही किया होता है। हमारा प्रयोग कई नेक कार्यों के लिए किया गया होगा, पर उसके लिए नहीं जिसके लिए हमें रचा गया है, जिस से हमें संतुष्टि और परिपूर्णता प्राप्त हो सके। संत अगस्तीन ने संक्षिप्त रूप में इसे इस तरह बताया, “आप (परमेश्वर) ने हमें अपने लिए रचा है और हमारा हृदय तब तक अशांत रहता है जब तक वह आपकी शरण में विश्राम न ले।”
परमेश्वर के साथ एक सम्बंध ही एकमात्र रास्ता है purpose of life जो हमारी आत्मा की प्यास को बुझा सकता है। यीशु ने कहा, “जीवन की रोटी मैं हूँ: purpose of life जो मेरे पास आता है purpose of life वह कभी भूखा न होगा, और जो मुझ पर विश्वास करता है वह कभी प्यासा न होगा।” जब तक हम परमेश्वर को नहीं जानते तब तक हम जीवन में भूखे और प्यासे रहते हैं। purpose of life अपनी भूख और प्यास मिटाने के लिए हम सभी तरह की चीजों को “खाने” और “पीने” का प्रयास करते हैं, पर फिर भी भूख और प्यास मिटती नहीं।
हम उस हथौड़े की तरह हैं। purpose of life in islam हमें पता नहीं है purpose of human life कि हमारे जीवन का खालीपन और असंतुष्टि, या परिपूर्णता की कमी कैसे समाप्त होगी? jeevan kya hai नाज़ियों के एक यातना शिविर के बीच purpose of life in islam में भी, ‘कोरी टेन बूम’ purpose of human life नाम की महिला को केवल purpose of life in islam परमेश्वर पूर्ण संतुष्टि देनेवाले लगे: “हमारी खुशी की नींव यह थी purpose of human life कि हम स्वयं को मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा purpose of human life हुआ जानते थे। jeevan kya hai हम परमेश्वर के प्रेम में विश्वास रख सकते थे…हमारी चट्टान, जो घोर अंधकार से भी अधिक शक्तिशाली है।”
अक्सर जब हम परमेश्वर को अपने जीवन से बाहर रखते हैं, jeevan kya hai तब हम संतुष्टि और परिपूर्णता की खोज, परमेश्वर को छोड़ किसी और वस्तु में करते हैं, पर इससे हमें तृप्ति नहीं मिलती। हम अधिक से अधिक “ख़ाते” और “पीते” रहते हैं, यह सोचते हुए कि हमारी समस्या का हल “अधिक” में है, पर अंततः कभी संतुष्ट नहीं होते।
हमारी सबसे बड़ी अभिलाषा परमेश्वर को जानना, उसके साथ संबंध बनाना है। क्यों? क्योंकि हमें इस तरह बनाया गया है। क्या आपने अभी तक ‘कील पर प्रहार किया’ है?
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