भारत का सबसे बड़ा गद्दार के नाम से राजा जयचंद को जाना जाता है। आज भी धोखेबाज देशद्रोही करने वाले व्यक्ति को जयचंद कहकर पुकारा जाता है। इतिहासकारों के अनुसार राजा जयचंद पृथ्वीराज चौहान के मौसेरे भाई थे. लेकिन कुछ लोगों के अनुसार जयचंद की बेटी संयोगिता से पृथ्वीराज चौहान ने विवाह किया था। इन सब के बावजूद जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच बहुत अधिक मतभेद था, दोनों के बीच बहुत सारे युद्ध भी हुए थे। लेकिन क्या वजह रही कि जयचंद को गद्दार कहा जाने लगा वैसे इतिहास में कई ऐसे प्रमाण भी मिलते हैं जिसके अनुसार जयचंद गद्दार नहीं है। चलिए जानते हैं जयचंद कौन थे, इनका इतिहास, जन्म, युद्ध, मृत्यु, शासनकाल आदि से जुड़ी हुई सभी जानकारी। Raja Jai Chandra का इतिहास Biography जीवन परिचय in Hindi

 

Raja Jai Chandra का इतिहास Biography जीवन परिचय in Hindi

राजा जयचंद कौन थे (Raja Jai Chandra Kaun Tha)

राजा जयचंद गढ़वाल जाति के एक राजा थे। उनके पिता का नाम विजय चंद्र था और इन के दादा का नाम गोविंद चंद्र था। राजा जयचंद उत्तर भारत की गढ़वाल वंश से थे। राजा जयचंद 21 जून 1170 ईस्वी में राजा बने थे और शासनकाल शुरू किया था। राजा का शासनकाल 1194 तक रहा। राजा जयचंद के पिता विजय चंद्र ने अपने जीवन काल में अपने पुत्र जयचंद्र को कन्नौज का राज काल सौंप दिया था। महाकवि पृथ्वीराज रासो के अनुसार दिल्ली के राजा अंगद पानी की पुत्री के पुत्र थे जयचंद। राजा जयचंद के दो बच्चे थे बेटा हरिश्चंद्र और बेटी संयोगिता। 

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राजा जयचंद का साम्राज्य (Raja Jai Chandra Empaire)

राजा जयचंद बहुत वीर और प्रतापी राजा हुआ करते थे। उन्होंने अपने नेतृत्व में अपने राज्य कन्नौज का बहुत अधिक विस्तार किया था। राजा जयचंद के शासनकाल में कन्नौज राज्य बहुत तेजी से उन्नति कर रहा था और उसका विस्तार भी बहुत तेजी से हुआ था। राजा जयचंद कन्नौज के साथ-साथ बनारस में भी बहुत अधिक काम किए थे। इन्होंने अपने राज्य में बहुत सारे किलो का निर्माण कराया था। 

 

राजा जयचंद की कहानी (Raja Jai Chandra Story)

राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच मतभेद का कारण (Raja Jai Chandra vs Prithviraj Chauhan)

पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। संयोगिता राजा जयचंद की पुत्री थी। पृथ्वीराज चौहान एक महान विद्वान राजा थे जो बहुत अधिक तेजी से अपने साम्राज्य को बढ़ा रहे थे संयोगिता ने जब उनके बारे में सुना तो मन ही मन उनसे प्रेम कर बैठी। राजा जयचंद पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के प्रेम के सख्त खिलाफ थे इसलिए उन्होंने संयोगिता का जल्द से जल्द विवाह करना चाहा। इसके लिए उन्होंने एक अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया जिसके अंत में स्वयंवर की भी घोषणा की। स्वयंबर के लिए देश के बड़े-बड़े महान वीर राजाओं को निमंत्रण भेजा गया लेकिन पृथ्वीराज चौहान को नहीं बुलाया गया। जयचंद पृथ्वीराज चौहान को बिल्कुल नहीं पसंद करते थे उन्होंने उनका अपमान करने के लिए अपने महल के बाहर द्वारपाल के स्थान पर लोहे की मूर्ति बनवाई और उसे स्थापित कर दिया। संयोगिता पृथ्वीराज चौहान से ही प्रेम करती थी तो उन्होंने स्वयंवर के दौरान उनकी मूर्ति को ही वरमाला पहना दी इसी बीच पृथ्वीराज चौहान स्वयं वहां पहुंच जाते हैं और संयोगिता को अपने घोड़े पर बैठा कर भगा लेते हैं। 

पृथ्वीराज की इस हरकत के बाद राजा जयचंद बहुत अधिक गुस्से में आ गए और उनके खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया। दोनों के बीच कई बार युद्ध हुआ लेकिन हर बार राजा जयचंद को हार का सामना करना पड़ा। बेटी को भगा ले जाने की वजह से दोनों राजाओं के बीच में मतभेद बहुत अधिक बढ़ गया। पृथ्वीराज चौहान ने संयोगिता से जिस तरह से विवाह किया था उस वजह से बड़े-बड़े राजपूत राजाओं ने भी पृथ्वीराज चौहान से मुंह मोड़ लिया था और अलग हो गए थे। 

राजा जयचंद अपमान का बदला चाहते थे 

  • जयचंद अपनी बेटी के दुख में और पृथ्वीराज चौहान के द्वारा युद्ध में हार की वजह से अपमान की आग में झुलस रहे थे वह पृथ्वीराज चौहान से हर कीमत में बदला लेना चाहते थे। इसी वजह से वह पृथ्वीराज चौहान के सबसे बड़े दुश्मन मोहम्मद गौरी से जा मिले। मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान का सबसे बड़ा दुश्मन था राजा पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को लगातार 13 बार युद्ध में हराया था और वह उन्हें हर बार माफी कर देते थे। 
  • कहते है ना कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है यही कहावत यहां सही साबित हुई। पृथ्वीराज चौहान के दोनों दुश्मन राजा जयचंद और मोहम्मद गौरी एक साथ मिल गए दोनों का मकसद एक ही था पृथ्वीराज चौहान को हराकर उनका राज्य हासिल करना। 
  • राजा जयचंद ने मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ युद्ध के लिए न्योता दिया और अपना सैन्य बल देने का भी वादा किया। मोहम्मद गौरी राजा जयचंद की बात मान जाता है। जब यह बात राजा पृथ्वीराज को पता चली तो उन्होंने अन्य राजपूत राजाओं से मदद मांगी लेकिन किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया। 
  • इन सब के बावजूद पृथ्वीराज चौहान के पास एक विशाल सैनिकों की सेना थी उनके पास 300000 सैनिक थे जबकि मोहम्मद गौरी के पास केवल 120000 ही थे। अतः 1192 में तराइन का दूसरा युद्ध हुआ। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के सैकड़ों सैनिक मारे गए तथा अंत में उनकी हार हुई और उन्हें बंदी बना लिया गया। 
  • पृथ्वीराज चौहान की हार मुगल शासकों के लिए एक बहुत बड़ी जीत थी जिसके बाद मोहम्मद गौरी ने कुतुबुद्दीन को भारत का शासक नियुक्त कर दिया। 

 

राजा जयचंद को मोहम्मद गौरी का साथ देना पड़ा भारी (Raja Jai Chandra and Mohammad Gauri)

मुस्लिम शासक मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद शांत नहीं बैठा। उसने भारत के सम्राट को हासिल करने के लिए अपने साथी जयचंद को ही निशाना बना लिया। कुतुबुद्दीन के साथ मिलकर मोहम्मद गौरी ने कन्नौज सामराज्य पर आक्रमण कर दिया जिसके बाद दोनों के बीच एक युद्ध हुआ। युद्ध में स्वयं राजा जयचंद आते हैं जहां उन्हें तीर लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है। इन्हीं कारणों की वजह से ही राजा जयचंद को गद्दार कहा जाता है क्योंकि उनकी वजह से पृथ्वीराज चौहान को हार का सामना करना पड़ा था। 

 

राजा जयचंद गद्दार नहीं थे

ऊपर बताए गए बात से तो यही साबित होता है कि राजा जयचंद गद्दार हुआ करते थे लेकिन बहुत से इतिहासकार इस बात को नहीं मानते हैं और प्रमाण देते हैं कि राजा जयचंद गद्दार नहीं थे। एक इतिहासकार के अनुसार संयोगिता राजा जयचंद की पुत्री नहीं थी। अगर इसे मान लेते हैं तो पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के बीच का प्रेम और उनकी शादी गलत साबित होती है। जब यह गलत साबित होती है तो राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच का मतभेद भी गलत होता है और जय चंदवारा अपमान का बदला लेने के लिए गौरी का साथ देना भी गलत साबित हो जाता है। कहा जाता है कि राजा जयचंद ने मोहम्मद गौरी को भारत पर आक्रमण करने के लिए बुलावा भेजा था लेकिन इस बात को प्रमाण करने के लिए कोई भी प्रमाण नहीं मिलते हैं। 

इन सब कारणों की वजह से कहा जाता है कि राजा जयचंद को सिर्फ कहानियों में ही गद्दार कहा गया है लेकिन इतिहास के पन्नों में उसका कोई भी प्रमाण तथ्य नहीं देखने को मिला है। 

 

पृथ्वीराज  मूवी (Prithviraj Movie)

अक्षय कुमार मानुषी चिल्लर द्वारा बनी फिल्म पृथ्वीराज चौहान जनवरी 2022 में आने वाली है। फिल्में में जयचंद्र के किरदार को भी दिखाया गया है जिसे आशुतोष राणा द्वारा निभाया गया है। देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म में जयचंद के किरदार को किस तरह फिल्माया गया है उन्हें एक गद्दार के रूप में बताया गया है या फिर नहीं। 

 

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