रहीम ने दोहे लिखने के अलावा बाबर के संस्मरणों को और बाबार्नमा को चागाताई भाषा से फारसी भाषा में अनुवादित किया जो कि 998 ईडी में पूरा हुआ। उन्होंने संस्कृत पर एक उत्कृष्ट आदेश दिया था रहीम ने संस्कृति मैं ज्योतिष पर Khetakautukam और Dwatrimshadyogavali नाम की 2 किताबे भी लिखी थी।

 

 

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अब्दुल रहीम के बाप का नाम बैरम खान था जो अकबर के भरोसेमंद अभिभावक और संरक्षक थे और वो तुर्किक वंश के थे। जब हुमायूं अपने निर्वासन से भारत लौट आया तब उन्होंने अपने रईसों से पूरे देश में विभिन्न जमींदारों और सामंती अभिभावकों के साथ वैवाहिक गठबंधन बनाने के लिए कहा। हुमायूं ने मेवात के जमाल खान की बड़ी बेटी से शादी की और उन्होंने बैरम खान (रहीम का बाप) को उनकी छोटी बेटी से शादी करने को कहा।

गुजरात के पाटन में बैराम खान की हत्या के बाद, उनकी पहली पत्नी और रहीम को दिल्ली से अहमदाबाद में सुरक्षित रूप से लाया गया और अकबर की शाही अदालत में पेश किया। अकबर ने उन्हें मिर्जा खान का खिताब दिया और रहीम ने बाद में मम बानो से शादी की जो की मिल्जा अजीज कोका की बहन थी मिल्जा अजीज एक प्रसिद्ध मुगल अताग खान के बेटे थे।

रहीम गरीबों को दान देने के अपने अजीब तरीके के लिए जाने जाते थे। उसने कभी उस व्यक्ति को नहीं देखा जो वह दान कर रहे थे. जब तुलसीदास ने अपने देहांत देने के दौरान रहिम के व्यवहार के बारे में सुना तो उसने तुरंत एक कविता लिखी और इसे रहिम को भेज दिया।

 

 

 

 

ऐसी देनी देंन ज्यूँ… कित सीखे हो सैन

ज्यों ज्यों कर ऊंच्यो करो…. त्यों त्यों निचे नैन

अब्दुल रहीम के दो बेटे थे जिन्हें अकबर के पुत्र जहांगीर ने मार दिया था क्योंकि वे अकबर की मौत पर सिंहासन के लिए जहरीदी के प्रवेश के पक्ष में नहीं थे।

रहीम के दोहे और हिंदी अर्थ : RAHIM KE DOHE IN HINDI

जैसी परे सो सही रहे….. कही रहीम यह देह

धरती ही पर परत हैं……. सित घाम औ मेह

हिंदी में अर्थ : रहीम के इस दोहे का अर्थ है जिस प्रकार भूमि सर्दी , गर्मी , वर्षा , तूफान सबको सहन करती है वैसे ही इन्सान को भी सुख या दुःख दोनों को सहन करना सीखना चाहिए.

 

 

 

 

 

रहिमन निज मन की बिथा…. मन ही राखो गोय

सुनी इठलैहैं लोग सब…. बांटी न लेंहैं कोय

हिंदी में अर्थ : इस दोहे में कवि का कहना है अपने मन के दुःख या उदासी मन में ही रखनी चहिये, उन्हें दुसरो के साथ साँझा नहीं करना चाहिए क्योंकि ज्यादतर लोग दुसरो के दुःख सुनकर इठलाने वाले होते हैं और दुःख बांटने वाले लोग बहुत कम होते हैं.

खीरा सिर ते काटि के…. मलियत लौंन लगाय

रहिमन करुए मुखन को…. चाहिए यही सजाय

हिंदी में अर्थ : रहीम का इस दोहे में कहना है की जिस तरह खीरे का कड़वापन दूर करने के लिए उसके ऊपर के हिस्से को काटकर उसे लौंन यानी नमक से गिसा जाता है उसी तरह कड़वे बोल बोलने वालो के लिए भी ये सजा ठीक है .

 

 

 

 

रहिमन विपदा हू भली….. जो थोरे दिन होय

हित अनहित या जगत में….. जान परत सब कोय

Rahim ke dohe ka Hindi Meaning: इस दोहे मैं रहीम का कहना है की मनुष्य पर विपदा भी आनी जरुरी क्योंकि उस समय के दोरान अपनों का पता चलता है की कौन  अपना है और कौन पराया हैं

जो रहीम उत्तम प्रकृति….. का करी सकत कुसंग

चन्दन विष व्यापे नहीं….. लिपटे रहत भुजंग

दोहे का हिंदी में अर्थ : इसका अर्थ हैं की जिस तरह जहरीला साप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने के बावजूद उसका वृक्ष पर कोई असर नहीं पड़ता. उसी तरह अच्छे व्यक्तित्त्व वाले इन्सान पर कभी बुरी संगति का असर नहीं पड़ता.

 

 

 

 

समय पाय फल होत है….. समय पाय झरी जात

सदा रहे नहिं एक सी….. का रहीम पछितात

हिंदी में अर्थ : रहीम का कहना है हर चीज का एक समय होता हैं जैसे पेड़ पर फल वसंत ऋतू में आते है और शरद ऋतू में वो छड जाते हैं। ऐसे ही मनुष्य को बुरे समय में कभी निराश नहीं होना चहिये क्योंकि समय सदा एक जैसा नहीं रहता।

रूठे सृजन मनाईये….. जो रूठे सौ बार

रहिमन फिरि फिरि पोईए…. टूटे मुक्ता हार

हिंदी में अर्थ : रहीम के इस दोहे का अर्थ है की जैसे माला के टूट जाने पर भी पर हम उसे दागे में फिरोते है इसी तरह हमको अपने प्यारे सजन के रूट जाने के बावजूद उसे जितने बार भी हो मानना चाहिए।

 

 

 

 

रहिमन चुप हो बैठिए…. देखि दिनन के फेर
जब नीके दिन आइहैं….. बनत न लगिहैं देर

हिंदी में अर्थ : इस दोहे में रहीम का अर्थ है की किसी भी मनुष्य को ख़राब समय आने पर चिंता नहीं करनी चाहिये क्योंकि अच्छा समय आने में देर नहीं लगती और जब अच्छा समय आता हैं तो सबी काम अपने आप होने लगते हैं।

रहिमन देखि बड़ेन को….. लघु न दीजिए डारी

जहां काम आवे सुई….. कहा करे तरवारी

हिंदी में अर्थ : इस दोहे में रहीम का ये कहना है की हमे बड़ी चीजों को देखकर छोटी चीज़े को फेकना नहीं चाहिये जैसे की जहाँ छोटी सुई काम आती है वहां बड़ी तलवार कोई काम की नहीं रहती।

 

 

 

 

बानी ऐसी बोलिये….. मन का आपा खोय

औरन को सीतल करै….. आपहु सीतल होय

हिंदी में अर्थ : इस दोहे का अर्थ है की हमे अपने अन्दर के अहंकार को निकालकर हम सबको ऐसी बानी बोलनी चाहिये की उसे सुनकर दूसरो को और हमें दोनों को प्रसन्ता हो।

रहिमन ओछे नरन सो….. बैर भली न प्रीत

काटे चाटे स्वान के…. दोउ भांति विपरीत

रहीम दस के दोहे का हिंदी में अर्थ : इस दोहे का अर्थ है की हमे ओछे मनुष्यों से न ही तो दोस्ती और न ही दुश्मनी अच्छी होती है जैसे कुत्ता चाहें चाटे या काटे दोनों ही चीजों हमारे लिए सही नहीं होती। इसलिए जितना हो सके गलत लोगो से दूर रहे।

 

 

 

 

चाह गई चिंता मिटी….. मनुआ बेपरवाह

जिनको कछु नहि चाहिए…. वे साहन के साह

हिंदी में अर्थ : इस दोहे में रहीम के कहने का मतलब हैं की जिन लोगो का मन शांत होता हैं उनकी सभी चिंताए खुद मिट जाती हैं। जिनको लूग को कुछ चाहिए नहीं यानी इनकी ज्यादा इच्छाए नहीं होती वो एक शहंशाह के जैसे होते हैं।

बिगरी बात बने नहीं….. लाख करो कीं कोय

रहिमन फाटे दूध को…. मथे न माखन होय

हिंदी में अर्थ : इस दोहे का अर्थ है की जैसे की दूध के ख़राब होने पर हम कितनी भी कोशिस करले हम उसका मक्खन नहीं निकाल सकते उसी तरह हम सबको अपना काम सोच  समझ कर करना चाहिये अगर एक बार हमारी बात बिगड़ जाए तो लाख कोशिश करने पर भी उसे सही नहीं कर सकते हैं

 

 

 

 

रहिमन धागा प्रेम का….. मत टोरो चटकाए

टूटे पे फिर ना जुरे….. जुरे गाँठ परी जाए

हिंदी में मतलब : रहीम दास इस दोहे में बताते हैं RAHIM kon the RAHIM ke Dohe in Hindi की प्यार का रिश्ता एक धागे की तरह नाजुक होता हैं। RAHIM kon the RAHIM KE DOHE IN HINDI with meaning जिसे तोडना नहीं चाहिए। RAHIM kon the एक बार ये धागा यानी प्यार का रिश्ता टूट जाता हैं RAHIM kon the RAHIM KE DOHE IN HINDI with meaning तो वो जुड़ नहीं पाटा हैं। RAHIM KE DOHE IN HINDI with meaning अगर जुड़ भी जाए जैसे टूटे धागे में जुड़ने पर गाँठ रह जाती हैं RAHIM kon the वैसे ही प्रेम के रिश्ते में भी एक गाँठ रह ही जाती हैं।

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