बहुत बार ऐसा होता है कि जब आप बैंक में फिक्स डिपाजिट या रिकरिंग डिपॉजिट इत्यादि चीजें खोलते हैं तो उन पर टीडीएस काटा जाता है। अगर आपकी आए टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो आप 15G और 15H फॉर्म भर कर के, बैंक में जमा कर सकते हैं ताकि उनके इंटरेस्ट अमाउंट पर टीडीएस नहीं काटी जाए। ( What is 15G and 15H in hindi ) – क्या होते हैं फॉर्म 15G और 15H? आज के हमारे इस लेख में हम, इसी बारे में बात करने वाले हैं कि क्या होता है फॉर्म 15G और 15H? इसके बारे में जानकारी लेने वाले हैं। इस फॉर्म को भरने का क्या फायदा है कि अगर आपने बैंक में फिक्स डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट इत्यादि चीजें खोली है और उसमें आपको ब्याज मिलता है। आप की वार्षिक आय टैक्स कटौती के दायरे में नहीं आती। तो आप इंटरेस्ट अमाउंट पर टीडीएस की कटौती ना की जाए इसके लिए यह फॉर्म भरते हैं।

 

 

 

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What is 15G and 15H in hindi – क्या होते हैं फॉर्म 15G और 15H?

Form 15G और 15H उन व्यक्ति द्वारा भरा जाता है जिनकी आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है। इसके जरिए टीडीएस कटौती से बचा जा सकता है। बैंकों में ज्यादातर ऐसा होता है कि अगर आप फिक्स डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट करते हैं तो अगर बैंक द्वारा दिए जाने वाले इंटरेस्ट रेट के आधार पर यदि ब्याज ₹10000 सालाना से ज्यादा होता है तो बैंक इस पर पीडीएस की कटौती करते हैं।

जानकार मानते हैं कि अगर किसी व्यक्ति की यह इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है तो उन्हें फॉर्म 15G और 15H भरकर के बैंक में जमा कर सकते हैं ताकि टीडीएस कटौती नहीं की जाए।

Form 15H इनकम टैक्स की धारा, 1961 के अंतर्गत सेक्शन 197A, के अंतर्गत आने वाला एक डिक्लेरेशन फॉर्म होता है। जिससे भर कर के आप यहा डिक्लेरेशन देते हैं कि आप की वार्षिक आय टैक्सेबल इनकम के दायरे में नहीं आती है।

Form 15G कौन भर सकते हैं?

Form 15G ऐसे व्यक्ति द्वारा भरा जा सकता है, जिनकी उम्र 18 वर्ष से 60 वर्ष के बीच में है। और उसने बैंक में फिक्स डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट खुलवा रखा है। जिसमें मिलने वाला सालाना ब्याज ₹10000 से अधिक है।

वह व्यक्ति अपने संबंधित बैंक में जाकर के वहां पर 15G फॉर्म भर सकता है। इस फॉर्म को भर देने से यह नहीं है कि आपका टीडीएस नहीं कटेगा लेकिन, आप या एक रिक्वेस्ट डालते हैं कि आपका टीडीएस ना कटे।

अगर आपके वार्षिक आय टैक्सेबल इनकम के दायरे में नहीं आती है तो आपको अवश्य रूप से 15G फॉर्म अपने बैंक में जाकर के जमा करने की जरूरत है।

Form 15H कौन भर सकता है?

Form 15H ऐसे व्यक्तियों द्वारा भरा जाता है जिनकी आयु 60 या 60 वर्ष से अधिक है। और उन्होंने बैंक में फिक्स डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट खुलवा रखा है और जिस में मिलने वाला ब्याज ₹10000 से अधिक है।

ऐसे सीनियर सिटीजन अपने संबंधित बैंक में जाकर के 15H फॉर्म भर सकते हैं। पर ध्यान रहे कि आपकी कुल आय टैक्सेबल इनकम के दायरे में नहीं आती हो।

आपको यहां पर यह भी ध्यान रखना है कि अगर आपने फॉर्म भर दिया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी टीडीएस नहीं कटेगी। अगर आप का वार्षिक आय टैक्सेबल इनकम के दायरे में आती है तो आपको टीडीएस अवश्य रूप में चुकाना पड़ेगा।

 

 

 

 

 

Form 15G और 15H फॉर्म कब भरना चाहिए?

  • अगर आपकी उम्र 18 साल या 60 साल के अंदर है तो आप फॉर्म 15g भर सकते हैं।
  • अगर आपकी उम्र 60 साल या उससे अधिक है तो आपको फॉर्म 15h भरना होता है।
  • अगर आपने, किसी बैंक में फिक्स डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट खुलवा रखा है और आपकी आय टैक्सेबल इनकम से कम है, तो आप यह फॉर्म भर सकते हैं।
  • पिछले साल का असिस्टेंट टैक्स जीरो होना चाहिए। व्यक्ति विशेष ने पिछले साल की इनकम टैक्स रिटर्न ना भरा हो क्योंकि उनकी इनकम टैक्स टैक्सेबल अमाउंट से कम हो।
  • इस फॉर्म को व्यक्ति को उन सभी बैंक ब्रांच में सबमिट करना होता है जहां से वह ब्याज इकट्ठा कर रहे होते हैं।
  • पहले ब्याज का भुगतान होने से पहले 15G या 15H फॉर्म जमा करने की जरूरत होती है। यह अनिवार्य नहीं है लेकिन यह बैंक से टीडीएस कटौती को रोक सकता है।
  • अगर जमा के अलावा किसी अन्य सोर्स पर इंटरेस्ट इनकम जैसे कि लोन, एडवांस, डिवेंचर, बॉन्ड आदि पर इंटरेस्ट इनकम ₹5000 से ज्यादा है तो फॉर्म आज जमा कर सकते हैं।
  • फॉर्म 15G इनकम टैक्स की धारा 1961 के अंतर्गत 197A के अंडर सब सेक्शन 1 और 1(A) के भीतर आने वाला डिक्लेरेशन फॉर्म होता है।
  • Form 15G हिंदू अविभाजित परिवार, 60 साल से कम आयु के व्यक्ति द्वारा भरा जाता है।
  • फॉर्म 15g ब्याज के पहले पेमेंट से पहले जमा किया जाना चाहिए।
  • यह फॉर्म सिर्फ उन्हीं के द्वारा जमा किया जाता है जिनकी इनकम टैक्सेबल इनकम से कम होती है।
  • व्यक्ति को भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • वित्तीय साल के द्वारा ब्याज से कुल आय ₹250000 से कम होनी चाहिए।

 

 

 

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