चाँद पर सबसे पहले कौन गया था? जानेदोस्तों, पिछले 100 वर्षों के दौरान मनुष्य के साहस और विज्ञान के मिलाप ने हमें कई अद्भुत नजारे दिखाए हैं। moon knight पर पूरा विश्व मानता है कि उनमें सबसे रोमांचक क्षण वो था जब चंद्रमा sheri moon zombie की सतह पर इंसान ने अपना पहला कदम रखा था। लेकिन क्या आपको पता है chand par sabse pahle kon gaya tha और कब? तो बता दे, चाँद की सतह पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति अमेरिकी अंतरिक्ष-यात्री नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) थे। चांद पर अपना पहला कदम उन्होंने 21 जुलाई, 1969 को रखा था।Tik Tok Video Earn Money App टिकटॉक पर वीडियो बनाकर कमाई करने का तरीका(Opens in a new browser tab)

 

अपोलो 11 अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के अपोलो अभियान का वह महत्वपूर्ण चरण था, जिसके तहत आदमी चांद पर पहुंचा। चंद्रमा पर उतरने की वह ऐतिहासिक उड़ान 16 जुलाई, 1969 को प्रारंभ हुई एवं 24 जुलाई, 1969 को रात 9 बजकर 30 मिनट पर समाप्त।How to Apply Indian Passport Online Tips Step by Step in Hindi ऑनलाइन भारतीय पासपोर्ट कैसे आवेदन करें(Opens in a new browser tab)

 

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चांद पर पहला व्यक्ति - नील आर्मस्ट्रांग

 

 

उस चंद्र अभियान में आर्मस्ट्रांग के साथ दो और अंतरिक्षयात्री – sheri moon zombie बज़ एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स भी थे।sheri moon zombie  नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन चंद्रमा की सतह पर उतरे। तीसरे यात्री कोलिन्स कमांड माॅडयूल में चंद्रमा की परिक्रमा करते रहे।How to open blocked websites easily PC & Mobile ? How to use VPN ? ब्लॉक की गई वेबसाइट को आसानी से कैसे खोलें(Opens in a new browser tab)

 

 

 

 

 

21 जुलाई, 1969 की सुबह 8 बजकर 25 मिनट sheri moon zombie पर आर्मस्ट्रांग ने निम्न शब्दों के साथ चांद की सतह पर अपने sheri moon zombie कदम रखे – “मानव का छोटा कदम, मानवता की विशाल छलांग है।”How to open blocked websites easily PC & Mobile ? How to use VPN ? ब्लॉक की गई वेबसाइट को आसानी से कैसे खोलें(Opens in a new browser tab)

 

 

 

 

 

इसके 19 मिनट बाद एल्ड्रिन भी चंद्रमा पर उतरे। sheri moon zombie उन्होंने चंद्र यान के स्टैंड में लगी एक प्लेट चंद्रमा पर छोड़ दी, जिस पर लिख था: ‘जुलाई 1969 में यहां पृथ्वी के मानव ने सर्वप्रथम अपने पैर रखे।’ और यह भी कि ‘यहां हम समूची मानवता की शांति के लिए आए हैं।’ नीचे तीनों अंतरिक्ष यात्रियों एवं अमेरिकी राष्ट्रपति के हस्ताक्षर भी थे।

वर्ष 1969 में इतिहास रचने वाले उन तीन sheri moon zombie अंतरिक्ष यात्रियों की अपूर्व जाँबाजी ने मनुष्य के मन पर अपनी अमिट छोड़ी है। मानव और विज्ञान के इतिहास में यह अद्भुत क्षण था। तो आइए जानते है उन तीन चंद्रयात्रियों के विषय में कुछ और बातें –

 

 

 

 

 

नील आर्मस्ट्रांग – चंद्र सतह छूने वाले पहले व्यक्ति

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आइए, सबसे पहले आर्मस्ट्रांग के बारे में जान लेते है; क्योंकि वे ऐतिहासिक अपोलो-11 यान के कमांडर तो थे ही, चंद्रमा को स्पर्श करने वाले पृथ्वी के पहले मानव भी थे।

नील आर्मस्ट्रांग 5 अगस्त, 1930 के दिन अमेरिका के ओहियो राज्य की ऑगलाइज़ काउंटी में जन्मे थे। बचपन से ही नील को नीले-नीले आसमान में उड़ना बहुत अच्छा लगता था। छह साल की छोटी-सी उम्र में एक फोर्ड ट्राइमोटर विमान में क्या सैर की, कि उड़ना उनकी लत बन गई। नतीजा ये कि सोलहवें जन्मदिन पर उनके पास कार चलाने का लाइसेंस तो नहीं था, मगर विमान पायलट का लाइसेंस जरूर था।

 

1947 में नील ने जब ब्लूम हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म की तो उस पूरे स्कूल में यह माना जाता था कि असफल होना तो नील जानते ही नहीं। उनके सहपाठी प्यार से कहते थे – “नील… यानी देखा, सोचा, हो गया!”

 

 

 

 

 

इसके बाद उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए पर्ड्यू विश्वविद्यालय में प्रवेश किया, मगर कुछ समय पढ़ाई को रोक देश के लिए कोरिया युद्ध में हिस्सा लिया और एक एयर मेडल व दो गोल्ड स्टार पदक जीते।

 

इंजीनियर बन कर नील ने 1995 में ‘नासा’ में प्रवेश लिया और पायलट, इंजीनियर व अंतरिक्ष-यात्री के तौर पर कई कामों को सफल अंजाम तक पहुंचाया। रिसर्च पायलट के तौर पर नील ने जेट, रॉकेट, हेलीकॉप्टर और ग्लाइडर किस्म वाले 200 प्रकार के मॉडल उड़ाए, जिनमें 4000 मील प्रति घंटे रफ्तार वाला एक्स-15 एयरक्राफ्ट भी शामिल था। इन सभी उड़ानों में रोमांच का अहसास तो होता है, मगर खतरा भी लगातार बना रहता है। मगर नील आर्मस्ट्रांग मन के सचमुच स्ट्रांग सिद्ध हुए… हर बार।

 

 

 

 

 

अपनी हाजिर-दिमागी, आत्मविश्वास, ज्ञान और निर्भीकता के कारण उन्होंने हर मुश्किल को जीता। इतना ही नहीं, दो बार उन्होंने साक्षात यमराज का सामना किया और उन्हें पछाड़ा।

 

जी हाँ, एक बार जेमिनी-8 व दूसरी बार अपोलो-11 की उड़ान के दौरान! जेमिनी-8 का कमांड नील के हाथों में था, मगर तकनीकी खराबी इतनी जबर्दस्त थी कि यान ‘राॅल’ और ‘टम्बल’ करने लगा। ऐसी विकट हालत में भी धैर्य और हाजिर दिमागी से नील ने मुश्किलों पर नियंत्रण पा लिया था, और इसी कारण बाद में उन्हें अपोलो-11 की बागडोर सौंपी गई।

मगर जब वह बज़ एल्ड्रिन के संग लूनर मॉड्यूल ‘ईगल’ में चंद्रमा पर उतरने वाले थे, अचानक कंप्यूटर बार-बार रुकावट डालने लगा, तो नील ने सारे कंट्रोल स्वयं के हाथ में ले लिए और यान को चंद्रमा की सतह पर सफलता से उतार लिया।

 

 

 

 

 

 

उस समय ईगल के लैंडिंग टैंक में सिर्फ 15 सेकंड के लिए ईंधन बचा था। इसका मतलब यह हुआ कि अगर ईंगल अगले 15 सेकंड में न उतर पाता तो निश्चित ही चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो जाता… मगर यमराज से नील की यह पहली मुठभेड़ तो थी नहीं कि व घबरा जाते!

पृथ्वी से उड़ान भरने के 109 घंटे और 25 मिनट बाद जब नील ने चंद्रमा पर अपना पहला कदम रखा तो इस अलौकिक घटना के साथी थे संपूर्ण पृथ्वी के एक-चौथाई मनुष्य जो अपने टी.वी. अथवा रेडियो से चिपके थे। आर्मस्ट्रांग के कई वक्तव्य आज भी जन-जन की जुबान पर हैं… मसलन – ‘ह्यूस्टन, ये ट्रांक्विलिटी बेस है, ईगल उतर चुका है’; ‘मेरा यह छोटा-सा कदम पूरी मनुष्य जाति के लिए प्रगति की बड़ी छलांग है’, तथा ‘यहां चलने-फिरने में कोई दिक्कत नहीं’ आदि।

 

 

 

 

 

 

नील आर्मस्ट्रांग को दुनिया ने सिर्फ चंद्रपुरूष के रूप में ही नहीं, युगपुरुष के रूप में भी देखा-निहारा है। कुल 17 देशों ने उन्हें बड़े-बड़े सम्मान दिए मगर नील को घमंड ने छुआ तक नहीं। अपनी बहादुरी और उपलब्धियों के बारे में वे बस इतना कहते थे – “मैं लकी रहा हूं।”

बज़ एल्ड्रिन – चांद पर दूसरा कदम

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पृथ्वी से चार लाख किलोमीटर दूर पहुंच कर चंद्रमा पर चहलकदमी करने वाले दूसरे इंसान थे बज़ एल्ड्रिन। नील आर्मस्ट्रांग के 19 मिनट बाद चाँद पर कदम रखने वाले एल्ड्रिन ही सचमुच ‘ईगल’ के पायलट थे, और जाहिर है कि नील की तरह उन्होंने भी यमराज का सामना किया।

बज़ एल्ड्रिन का जन्म अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य के मोंटक्लैयर स्थान पर हुआ, दिन था 20 जनवरी 1930! ऐस्ट्रोनाॅमिक्स में पी.एच.डी. करने के बाद जब 1963 में उन्होंने नासा ज्वाइन की, तो उनके मित्रों ने भविष्यवाणी कर दी थी कि एल्ड्रिन चंद्रमा पर अवश्य उतरेंगे।

 

 

 

 

 

 

इसका पहला कारण तो यह है कि एल्ड्रिन की मां का नाम है मैरियन मून, तो मून का बेटा मूनमैन बने ऐसा तो स्वाभाविक ही माना जाएगा न? दूसरा कारण – एल्ड्रिन के पिता महान रॉकेट वैज्ञानिक रॉबर्ट गोडार्ड के शिष्य रहे।

 

11 नवंबर, 1966 को जब जेमिनी-12 अंतरिक्षयान में बज़ उड़े और जितनी सुगमता से उन्होंने बाहर निकल अंतरिक्ष की सैर कर दिखाई, तभी से उनका मूनमैन बनना समझो पक्का हो गया। सच पूछिए तो जेमिनी कार्यक्रम के इस अंतिम अंतरिक्षयान की सफलता का मुख्य श्रेय एल्ड्रिन की सूझबूझ और व्यवहारकुशलता को ही दिया गया है।

कैपकॉम (पृथ्वी पर ह्यूस्टन में मौजूद कैप्सूल कम्युनिकेटर) ने जब आर्मस्ट्रांग तथा एल्ड्रिन को चंद्रतल की विशेषताएं बताने को कहा तो एल्ड्रिन के शब्द ज्यादा काव्यमय थे। एल्ड्रिन ने कहा था – “ये दृश्य अति सुंदर, अति मनोरम हैं। दूर-दूर तक अतुलनीय स्तब्धता छाई है!”

 

 

 

 

 

 

माइकल कोलिन्स – कमांड मॉड्यूल के नियंत्रक

michael collins astronaut

माइकल चंद्रमा पर नहीं उतरे, moon knight बल्कि चंद्रमा की परिक्रमा करते रहने वाले कमांड माॅडयूल ‘कोलंबिया’moon knight  का सफल संचालन करते रहे। इस बीच माइकल ने moon knight कैपकॉम के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा और महत्व की जरूरी सूचनाएं आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन तक पहुंचाते रहे।

दो घंटे के मूनवॉक के बाद जब आर्मस्ट्रांग तथा एल्ड्रिन moon knight थक कर पाँच घंटे सोते रहे, चंद्रमा के 60 मील ऊपर चंद्र-परिक्रमा करते प्रहरी moon knight माइकल कोलिन्स सतर्क और जागरूक रहे। फिर चंद्र अनवेशेषण के बाद ‘ईगल’ moon knight के साथ सफल डाॅकिंग कर आर्मस्ट्रांग तथा एल्ड्रिन को कोलंबिया द्वारा पृथ्वी पर सुरक्षित वापस ले आए!

कोलिन्स इटली के रोम शहर में 31 अक्टूबर, moon knight 1930 को जन्मे, मगर उनकी शिक्षा-दीक्षा अमेरिका में ही हुई। विज्ञान में 1952 में स्नातक की डिग्री लेने के बाद वे एयरफोर्स में आए, फिर नासा में प्रवेश किया।

 

 

 

 

 

 

कोलिन्स ने अपोलो-11 के अपने chand sign शानदार काम से chand sign पहले जेमिनी-10 अंतरिक्षयान में भी उड़ान chand sign भरी और chand sign अपनी अंतरिक्ष-कुशलता और प्रवीणता का परिचय दिया। chand sign नासा से रिटायर होने के बाद वे वाशिंगटन स्थित ‘नेशनल एयर एण्ड स्पेस म्यूजियम’ के chand sign डायरेक्टर के soleil moon frye पद पर शानदार काम करते रहे।

आर्मस्ट्रांग, एल्ड्रिन और कोलिन्स chand sign का नाम आज soleil moon frye भी जन-जन की जुबान पर है, soleil moon frye क्योंकि दुनिया जानती है soleil moon frye कि उन्होंने अपनी जान chand sign की बाजी लगाकर चंद्रान्वेषण जैसी अनोखी कल्पना को साकार कर दिखाया। soleil moon frye

 

 

 

 

 

 

स चंद्रान्वेषण को ‘Moonshot’ chand पुस्तक के लेखकों, chand एलन शेपर्ड, डेके स्लेटन तथा जे बारब्री ने इन शब्दों में chand बयान किया chand है – chand “उनका हर कदम एक chand नया प्रयोग था; उनकी हर हलचल अपने आप में एक chand अन्वेषण थी; उनका मुड़ना-चलना-फिरना, कम गुरूत्व में उछलना-कूदना chand हर काम अपूर्व एडवेंचर से सराबोर था!”

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