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वायरलेस चार्जिंग, ऐसी कोई नई या यूनीक तकनीको नहीं है जिसे हम पहली दफा ही देख रहे हों। पैनासोनिक के इलेक्ट्रिक रेजर ने इसे बहुत समय से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा और भी बहुत से डिवाइसेस में इसे काफी समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है। हालाँकि इसके बहुत स्थानों पर इस्तेमाल होने के बाद अगर इसे किसी स्मार्टफोन में शामिल किया जा रहा है तो यह अपने आप ने एक नई तरह ही खोज ही कही जायेगी, क्योंकि आजकल के दौर में स्मार्टफ़ोन किसी भी व्यक्ति के लिए एक सबसे जरुरी वस्तू बन गया है। हालाँकि वायरलेस चार्जिंग को लेकर सभी के मन में कई बड़े सवाल होते हैं कि आखिर इसे कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है और यह क्या है, एक सबसे बड़ा सवाल है। यह सवाल महज मेरे मन में ही नहीं है बल्कि हम सब के मन में जबसे हमने सुना कि इसे स्मार्टफोंस में भी इस्तेमाल किया जा रहा है, सभी के मन में है। इसके अलावा एक सवाल और है कि आखिर आपको क्यों अपने अगले स्मार्टफोन में यह तकनीको क्यों चाहिए। तो आइये इन सभी सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं।

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क्या है वायरलेस चार्जिंग?

यहाँ सबसे पहला सवाल जो आता है वह यह है कि आखिर वायरलेस चार्जिंग है क्या? उसके बाद बाकी सभी सवाल आते हैं। तो आपको बता दें कि वायरलेस चार्जिंग कोई जादू नहीं है इसके लिए आपको फिर भी वायर की जरूरत होगी है। हालाँकि अंतर महज इतना होता है कि आपको इस वायर को डायरेक्ट अपने फोन से कनेक्ट करने की जरूरत नहीं होती है इसके अलावा आप इसे एक चार्जिंग बेस से कनेक्ट करते हैं। यह चार्जिंग बेस किसी भी साइज़ और शेप का हो सकता है। यह एक कार डैश की तरह होता है। जैसे ही आप अपने फोन को इस बेस पर सही जगह रखते हैं तो यह अपने आप ही काम करना शुरु कर देता है।What is Share Market & How it Works

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इसका सबसे बड़ा उदाहरण महज यही हो सकता है कि आप अपने डेस्क पर काम कर रहे हैं, और इसी डेस्क पर आपको एक बेस रखा मिल जाए, इसके अलावा आप इस समय अपने फोन पर ज्यादा कुछ कर भी न रहे हों तो आप अपने फोन को चार्ज कर सकते हैं। जब आपको अपने फोन को इस्तेमाल करना हो तो आपको किसी वायर को इससे अलग करने की जरूरत नहीं है बस आप इसे यहाँ इस बेस से उठाएं और काम करना शुरू कर दें। हालाँकि वायरलेस चार्जिंग क्विक चार्ज की तरह तेज नहीं होती है। हालाँकि इससे चार्जिंग करना बहुत ही सरल जरुर हो जाता है। और यहीं आपको इसके महत्त्व के बारे में पता चलता है।Production of Rice and Rice Mill Business Tips in Hindi

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वायरलेस चार्जिंग कैसे करती है काम?

वायरलेस चार्जिंग दो डिवाइसों के बीच कम पावर संकेतों को संचारित करने के लिए दो गुंजयमान आगमनात्मक युग्मक का उपयोग करती है। यह विशेष रूप से सामान्य वायर्ड कनेक्शन की तरह एक दूसरे को छूने के बिना बिजली संचारित करने के लिए डिज़ाइन की जाती है। बेस स्टेशन, जो अपनी बिजली की आपूर्ति के माध्यम से दीवार में प्लग किया गया है, में एक ट्रांसमीटर कॉइल है और आपके फोन में एक रिसीवर कॉइल है। इसके अलावा सिग्नल की तरंग तब नियंत्रित होती है और आवर्ती चार्जिंग शुरू होती है।Hostel & PG Plan for business in Hindi

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आगमनात्मक चार्ज उन दो विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए विद्युत चुम्बकीय कॉइल का उपयोग करता है, जो दो उपकरणों के बीच एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करते हैं। इसमें एक जटिल प्रक्रिया शामिल है जो चुंबकीय क्षेत्र को संभावित और दोलन के अंतर के माध्यम से बिजली का उत्पादन करने की अनुमति देती है। आपके एंड्रॉइड डिवाइस में कुंडली बैटरी चार्जिंग सर्किट से भी जुड़ा है, और आपकी बैटरी को चुंबकीय क्षेत्र द्वारा प्रेरित ऊर्जा का उपयोग करने पर चार्ज किया जा सकता है।

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इसे सही प्रकार से ऐसे भी समझ सकते हैं:

1. आपके एंड्राइड डिवाइस और चार्जर में प्रत्येक के पास विशेष विद्युत कॉयल हैं।
2. जब दो कॉइल्स पर्याप्त रूप से मिलते हैं, तो वे कुंडल में छोटे दोलन (कंपन) बनाने के लिए चुंबकत्व का उपयोग करते हैं और आपके फोन के अंदर कुंडली द्वारा ईएमएफ बनाया जाता है।
3. यह ईएमएफ आपके फोन में चार्जिंग सर्किट के माध्यम से छोटी मात्रा में बिजली भेजता है और बैटरी को चार्ज करता है।
4. यह काफी महँगी प्रक्रिया और चार्जिंग में काफी समय भी लेती है, और जब आप इसे अपने फ़ोन से प्लग करते हैं तो यह अधिक गर्म हो जाता है क्योंकि यह तारों को पारंपरिक तरीके से जोड़ने से कम कुशल है।

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क्यों आपको वायरलेस चार्जिंग की जरूरत आपके अगले फोन में है?

अगर हूँ चार्जिंग के स्टैण्डर्ड की चर्चा करें तो एक साधारण प्रणाली में हम किसी भी डिवाइस को किसी भी अन्य चार्जर से चार्ज कर सकते हैं, और ऐसा हम कई बार करते भी हैं। लेकिन वायरलेस चार्जिंग में ऐसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि डिवाइस के हिसाब से ही बेस का निर्माण किया जाता है, और आपका फोन वायरलेस चार्जिंग को सपोर्ट भी करना चाहिए, अगर ऐसा नहीं है तो अपने फोन को चार्ज ही नहीं कर सकते हैं, फिर आपको उसी पुरानी प्रणाली पर ही जाना होगा। और भविष्य में ऐसा होने वाला है कि सभी फोंस के साथ हमें यह तकनीकी देखने को मिलने वाली है, क्योंकि कंपनियां इस प्रणाली को अब धीरे धीरे अपने फोंस में लाती जा रही हैं, यह कुछ महँगी जरुर होती है। लेकिन आने वाले समय इसे ही इस्तेमाल में लिया जाने वाला है। एक सबसे महत्त्व पूर्ण बात यह है कि इस तरह की प्रणाली यानि वायरलेस चार्जिंग से आपके फोन में कुछ भी बदलता नहीं है। और न ही यह कुछ अलग से काम करना शुरू कर देता है लेकिन आपके उस तरीके में जरुर बदलाव आता है जैसे आप अपने फोन को इस्तेमाल

इंडिया के इंजीनियरिंग कॉलेजों में wireless energy transfer का एक सेमिनार टॉपिक होता है और साथ साथ प्रोजेक्ट्स भी इस पर बनाये जाते हैं. जब मैं भी इंजीनियरिंग कॉलेज के फाइनल इयर में था तो हमारे टीचर बताते थे कि ये तो बिल्कुल नई टेक्नोलॉजी है जो अभी पूरी तरह से develop नही हो पायी है, लेकिन शायद हम गलत थे. जबकि टेस्ला नाम के महान वैज्ञानिक ने पहले ही इसके बारे में अपने सिद्धांत दिए थे कि दो conductors के बीच में बिना किसी तार के वायरलेस energy transfer की जा सकती है. बाद में करीब 10-12 साल पहले एक smart phone manufacturing कम्पनी “Palm” ने अपने फोन में wireless charging के option दिए हुए थे. आज कल iPhone और Samsung के smart android phones में wireless charging का option आता है, जिसमें एक pad दिया होता है जिसको बिजली के socket से लगाया जाता है और उस  pad पर फ़ोन को सिर्फ रख दिया जाता है और हमारा फ़ोन बिना कोई cable लगाए charge होने लगता है. तो चलिए बात करते हैं “How does Wireless charger works in Hindi”.

WHAT IS WIRELESS CHARGER/ वायरलेस चार्जर क्या है

दरअसल वायरलेस चार्जर एक ऐसी डिवाइस है जो बिना किसी तार लगाए बैटरी को charge करती है चाहे वो मोबाइल हो या smart watch (घडी) या और कुछ. इसके दो part होते हैं एक transmitter और दुसरा receiver. अगर हमें अपने मोबाइल फ़ोन को वायरलेस बनाना है तो उसको receiver की तरह काम करना पड़ेगा, जिसकी body पर या फिर बैटरी पर coils लिपटी हुई होती है और transmitter में भी coils होती है जो energy को electromagnetic induction के जरिये transfer करती है.

वायरलेस चार्जर में एक pad होता है जिसको बिजली के board से power डी जाती है और जब हम उस pad पर अपना मोबाइल रखते हैं तो उसकी बैटरी electromagnetic induction के जरिये charge होने लगती है, लेकिन इसकी charging speed इतनी ज्यादा नही होती क्युकी transmitter और receiver coils के बीच energy transfer करने में कुछ losses हो जाते हैं. अगर आपको charging speed को तेज़ करना है तो उसके लिए बड़े size की coils लगानी पड़ती हैं.

HOW DOES WIRELESS CHARGER WORKS/ वायरलेस चार्जर कैसे काम करता है

सबसे पहले तो बता दें कि वायरलेस चार्जर पूरी तरीके से वायरलेस नही होता, हाँ इसमें जिस device को आप charge करते हैं उसमें किसी तरीके का कोई cable नही लगानी पड़ती, लेकिन इसके charging pad में बिजली के board से power cable लगानी पड़ती है. वायरलेस चार्जर का सिस्टम magnetic induction के सिद्धांत पर काम करता है, जिसमें energy को transfer करने के लिए magnetism का use किया जाता है.

जब हम बिजली के बोर्ड से चार्जर को power connection देते हैं तो चार्जर में लगी coil में magnetic field generate होता है. अब ये magnetic field उसके पास वाली coil में current पैदा करता है जो कि आपके smart phone में लगी होती है और यही magnetic energy electrical energy में convert होकर मोबाइल की बैटरी को charge करने लगती है. किसी भी मोबाइल को charge करने के लिए उसमे coils होनी जरुरी हैं जो कि receiver का काम करती है, बिना coils के बैटरी charge ही नही होगी.

अगर साधारण भाषा में कहें तो जब किसी coil (चार्जर) को power दी जाती है तो उसमें magnetic इंडक्शन होने लगता है और जब भी कोई दूसरी coil (मोबाइल) उसके पास में आती है तो वो अपनी energy को दूसरी coil में transfer करने लगती है.

AVAILABLE SMART PHONES WITH WIRELESS CHARGING OPTION:

मार्किट में अब तो काफी कम्पनीयों ने अपने smart phones लांच किये हैं जिनमे wireless charging के options हैं, जैसे कि

Samsung Galaxy Note 5 और Galaxy Note 8

Samsung Galaxy S8, S8+, S7, S7 Edge

LG G6, LG V30

Apple iPhone 8, iPhone X

ऐसे और भी कम्पनी हैं जो अब अपने फ़ोन में वायरलेस चार्जिंग के option दे रही हैं. कुछ फ़ोन ऐसे होते हैं जिनकी back plate पर coil लगी होती है, किसी में बैटरी के ऊपर लगी होती है तो किसी फ़ोन के लिए अलग से भी मोबाइल cover type खरीदना पड़ता है और उस cover को मोबाइल में लगा कर भी आप वायरलेस charging का मजा ले सकते हैं.

ADVANTAGE & DISADVANTAGE OF WIRELESS CHARGER

जैसा कि हम जानते हैं कि इसमें charging के लिए कोई भी cable मोबाइल फ़ोन में नही लगनी पड़ती, तो इसका सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि अगर आप अपने ऑफिस में भी हैं तो आप अपनी टेबल पर ऐसे ही मोबाइल फ़ोन को रख कर charge कर सकते हैं और जब चाहे use कर सकते हैं आपको बार बार charging cable pin लगाने और निकालने की जरूरत नही है.

और अगर disadvantage की हम बात करें तो इसकी charging speed slow (धीमी) होती है जिससे मोबाइल की बैटरी धीरे धीरे ही charge होती है क्युकी transmitter की coil जब receiver की coil को energy transfer करती है तो energy 100% amount में transfer नही हो पाती क्युकी transfer करने कुछ losses भी होते हैं, जिससे बैटरी को कम मात्रा में पॉवर मिलती और full charge होने में ज्यादा टाइम लगता है.

5 COMMENTS

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