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वाश बेसिन का इस्तेमाल हाथ मुहँ धोने, टूथब्रश करने के लिए किया जाता है। यही कारण है की सिर्फ घरों में ही नहीं बल्कि ऑफिस एवं सार्वजनिक शौचालयों में भी इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है । कोई भी बिल्डिंग चाहे वह कमर्शियल बिल्डिंग हो या किसी का घर हो में कई सारे वाश बेसिन को इंस्टाल करने की जरुरत होती है । Washbasin Manufacturing Business Plan in Hindi खैर वाश बेसिन के बारे में हमें ज्यादा इसलिए बताने की जरुरत नहीं है क्योंकि इसका इस्तेमाल तो आप भी अपने नित्य कर्मों को करने के लिए ऑफिस और घर दोनों में करते होंगे। सिर्फ यही नहीं यात्रा के दौरान या घर से बाहर रहने के दौरान जब भी आपको लघु शंका पर जाने की आवश्यकता होती होगी। तो उसके तुरंत बाद हाथ धोने के लिए आप वाश बेसिन का इस्तेमाल करते होंगे।

 

 

Washbasin Manufacturing Business Plan in Hindi

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 वाश बेसिन Manufacturing Business Plan in Hindi

वाश बेसिन की यदि हम बात करें तो यह सिरेमिक सेनेटरी वेयर के श्रेणी में आता है और इनका इस्तेमाल आम तौर पर साफ़ सफाई एवं स्वच्छता रखने के उद्देश्यों के लिए किया जाता है। सिरेमिक एक ऐसी सामग्री है जिसमें अपक्षय, रासायनिक क्षरण, यांत्रिक शक्ति और घर्षण के प्रतिरोध जैसे कई तरह के गुण विद्यमान होते हैं। लेकिन आजकल सेनेटरी वेयर की बात करें तो वे सिर्फ सिरेमिक सामग्री से ही नहीं बनाये जाते हैं, बल्कि कई अन्य सामग्रियों से भी बनाये जाते हैं। इसके बावजूद सिरेमिक से बने वाशबेसिन अन्य सामग्री से बने वाशबेसिन की तुलना में अच्छे एवं किफायती होते हैं। सिरेमिक वाशबेसिन की कई विशेषताएँ जैसे घर्षण प्रतिरोध, विभिन्न रंगों में उपलब्धता और चमकदार सतह इन्हें समाज के बीच काफी लोकप्रिय बनाती हैं। यही कारण है की लोग ज्यादातर तौर पर सिरेमिक से निर्मित वाशबेसिन खरीदना ही पसंद करते हैं।

वाश बेसिन के इस्तेमाल और बाज़ार   

अब पहले जैसे दिन तो है नहीं की आपको हाथ धोने या टूथब्रश करने के लिए घर के आँगन में लोटा लेकर जाना पड़े। हालांकि ग्रामीण भारत में आज भी ऐसा कुछ दृश्य दिखाई दे सकता है, लेकिन शहरों में तो लोगों को हर सुविधा घर के अन्दर ही चाहिए होती है। आम तौर पर वाशबेसिन का इस्तेमाल मुहँ हाथ धोने और टूथब्रश करनते समय किया जाता है ।

लेकिन वाशबेसिन सिर्फ घरों में ही नहीं बल्कि सभी प्रकार की बिल्डिंग में स्वच्छता और साफ़ सफाई बनाये रखने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। इसलिए घर, ऑफिस, अस्पताल, स्कूल, शॉपिंग मॉल सिनेमा, थिएटर इत्यादि सभी जगहों पर वाशबेसिन के उपयोग देखे जा सकते हैं।

इतना ही नहीं अब ग्रामीण भारत में बनने वाली हर प्रकार की रिहायशी या अन्य बिल्डिंग में भी वाशबेसिन का इस्तेमाल करने लगे हैं। यही कारण है की संभावना जताई जा रही है की इनकी माँग भविष्य में और भी बढती जाएगी।

भारत की जनसँख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है और इसके अलावा संयुक्त परिवारों का विघटन होने के कारण भी लोगों को नए नए घर बनाने की आवश्यकता हो रही है। इसलिए देश में हर साल कई नई रिहायशी कॉलोनीयों का निर्माण हो रहा है।

बढती जनसँख्या के लिए स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सिनेमा, शॉपिंग माल, बाज़ार इत्यादि की आवश्यकता हो रही है, इस कारण वाशबेसिन की माँग बाज़ार में लगातार बढती जा रही है।

 

 

 

वाश बेसिन निर्माण बिजनेस शुरू करने के लिए जगह

ऐसे उद्यमी जो खुद का यह बिजनेस (Washbasin Manufacturing Business) शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। उन्हें इस काम को करने के लिए एक बड़ी सी जगह की आवश्यकता होती है। वह इसलिए क्योंकि एक तो इस उत्पाद को अच्छे ढंग से स्टोर करने की जरुरत होती है, ताकि किसी दबाव इत्यादि के कारण इसमें कोई टूट फूट न हो।   

इसके अलावा जहाँ पर इसका निर्माण हो रहा होता है उसके लिए भी बड़ी जगह की आवश्यकता होती है। कहने का आशय यह है की जब उद्यमी एक औद्यागिक सेटअप कर रहा होता है, तो उसे कच्चा माल रखने और उत्पादित माल को स्टोर करने के लिए अलग अलग स्टोर रूम की आवश्यकता होती है।

सिर्फ स्टोर रूम ही नहीं बल्कि एक फैक्ट्री को संचालित करने के लिए उसमें कई सारी मशीनरी को इंस्टाल किया जाता है ताकि उस मशीनरी से उत्पादन कार्य पूर्ण किया जा सके। और ये सारी मशीनरी विद्युत् से चालित होती है, ऐसे में उद्यमी को एक विद्युत् रूम और सिक्यूरिटी रूम भी बनाना पड़ सकता है।

उत्पाद को मार्किट में भेजने से पहले कई तरह के ऑफिस के कार्य जैसे कच्चे माल का हिसाब किताब, उत्पादित माल में आने वाली लागत और बिल इत्यादि बनाने जैसे कई सारे ऑफिसियल काम करने की जरुरत होती है, ऐसे में एक छोटा सा ऑफिस भी फैक्ट्री परिसर में स्थापित किया जाना जरुरी है।

इस प्रकार से देखें तो उद्यमी को वाशबेसिन बनाने की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए लगभग 5500 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि उद्यमी शहर से दूर किसी भी सस्ती जगह पर कोई बनी बनाई बिल्डिंग किराये पर लेकर भी इस तरह का बिजनेस शुरू कर सकता है। जिसका किराया हम यहाँ पर ₹40000 प्रति महीने मान के चल सकते हैं।

 

 

वाश बेसिन निर्माण के लिए लाइसेंस/पंजीकरण

भारत में कोई भी बिजनेस शुरू करने के लिए सबसे पहले उसे मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स में रजिस्टर करना पड़ता है। तो इस बिजनेस को शुरू करने के लिए भी उद्यमी को कई तरह के पंजीकरण और लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है, जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।    

  • बिजनेस रजिस्ट्रेशन के तौर पर उद्यमी प्रोप्राइटरशिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इत्यादि में से किसी एक के तहत रजिस्टर कर सकता है।
  • व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड बनाना और बैंक में चालू खाता खोल सकता है।
  • कर पंजीकरण के तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन कर सकता है।
  • स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम, नगर पालिका इत्यादि से ट्रेड लाइसेंस प्राप्त कर सकता है।
  • फैक्ट्री अधिनियम के तहत बिजनेस को रजिस्टर कर सकता है।
  • एमएसएमई के लिए बनी योजनाओं का फायदा लेने के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन कर सकता है ।
  • यदि उद्यमी अपने ब्रांड नाम के तहत वाशबेसिन बेचना चाहता है तो वह ब्रांड सुरक्षा के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन भी कर सकता है।  

इसमें से बहुत सारे लाइसेंस ऐसे हैं जिन्हें पूरी तरह से ऑनलाइन भी किया जा सकता है। सरकार द्वारा इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस के चलते बहुत सारे लाइसेंस और पंजीकरणों को ऑनलाइन कर दिए गया है।

 

 

 

वाश बेसिन बनाने के लिए मशीनरी और कच्चा माल   

सिर्फ वाशबेसिन का ही नहीं बल्कि आप कोई भी विनिर्माण बिजनेस शुरू कर रहे हों। उसके लिए आपको कच्चे माल और मशीनरी की आवश्यकता तो होती ही है । लेकिन लोगों द्वारा अक्सर सवाल यह पुछा जाता है की वे मशीनरी और कच्चा माल कहाँ से खरीद सकते हैं। तो आपको बता देना चाहेंगे की वर्तमान में भारत में भी औद्यौगिक मशीनरी और उपकरणों का निर्माण शुरू हो गया है ।

इसलिए बहुत सारी चीजों को बनाने वाले मशीनरी और उपकरण भारत के बड़े शहरों में आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन मशीनरी और कच्चा माल खरीदारी करने से पहले खरीदारी के मूल नियमों का पालन करना जैसे कोटेशन मँगाना, उनका तुलनात्मक विश्लेषण करना, नेगोशिएशन करना, और उसके बाद फाइनल सप्लायर का चुनाव करना जैसी प्रक्रियाएं पूर्ण अवश्य की जानी चाहिए। तो आइये जानते हैं की वाशबेसिन के निर्माण में किस प्रकार की मशीनरी का इस्तेमाल किया जाता है।

  • पोर्सिलेन लाइनिंग और ग्राइंडिंग मीडिया के साथ बॉल मिल जिसकी कीमत लगभग ₹1.5 लाख हो सकती है।
  • एजीटेटर जिसकी कीमत लगभग ₹50000 तक हो सकती है।
  • स्लरी पंप जिसकी कीमत लगभग ₹3 लाख तक हो सकती है।
  • मगेनेटिक सेपरेटर जिसकी कीमत लगभग ₹4.2 लाख तक हो सकती है ।
  • एयर कंप्रेसर स्प्रे गन इत्यादि के साथ पूरा स्प्रे बूथ  जिसकी कीमत लगभग ₹70000 तक हो सकती है।
  • टेस्टिंग के लिए लेबोरेटरी उपकरण जिनकी कीमत लगभग ₹30000 तक हो सकती है ।
  • शटल भट्टियां, सिरेमिक फाइबर लाइन, आयल फायर्ड जिनकी कीमत लगभग ₹40000 हो सकती है।
  • आयल स्टोरेज टैंक और प्री हीटिंग सिस्टम जिसकी कीमत लगभग ₹50000 तक हो सकती है।  
  • स्लरी कंटेनर्स , ड्राइंग रैक और काम करने वाली मेज जिसकी कीमत लगभग ₹30000 तक हो सकती है ।

अब इस प्रकार से देखें तो वाशबेसिन मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस शुरू करने के लिए ₹11.4 लाख केवल मशीनरी और उपकरणों की खरीदारी में खर्चा करने की आवश्यकता होती है । कच्चे माल की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • चीनी मिटटी
  • बॉल क्ले/फायर क्ले
  • फेल्स्पर पाउडर
  • प्लास्टर ऑफ़ पेरिस (POP)
  • विभिन्न रंग एवं अन्य केमिकल
  • पैकेजिंग सामग्री  

वाश बेसिन निर्माण के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता

वाशबेसिन निर्माण करने के लिए उपर्युक्त बताई गई मशीनों को संचालित करने के लिए लगभग 30 KWH विद्युत् की आवश्यकता हो सकती है, इसके अलावा उद्यमी को अपनी फैक्ट्री को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए कई सारे कर्मचारियों को नियुक्त भी करना पड़ सकता है।

  • कुशल अकुशल श्रमिक – 8
  • हेल्पर्स             – 4
  • सुपरवाइजर         – 2
  • सेल्समैन            – 2
  • मैनेजर             – 1
  • अकाउंटेंट            – 1  

इस बिजनेस को अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए उद्यमी को कम से कम 18-20 कर्मचारियों को विभिन्न कार्यों को पूर्ण करने के लिए नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।

 

 

 

वाश बेसिन का निर्माण कैसे किया जाता है?

उपर्युक्त बताई गई मशीनरी और कच्चे माल से किसी भी साइज़ के वाशबेसिन का निर्माण आसानी से किया जा सकता है। आम तौर पर जहाँ से उद्यमी मशीनरी और कच्चा माल खरीद रहा होता है वहीँ से वह इस प्रक्रिया की फ्री ट्रेनिंग प्राप्त कर सकता है। वाशबेसिन बनाने की संक्षिप्त प्रक्रिया इस प्रकार से है।

  • सबसे पहले वाशबेसिन को ढाँचा देने के लिए सामग्री तैयार किया जाता है, जिसे इस प्रक्रिया में स्लिप प्रेपरेशन के नाम से जाना जाता है।
  • स्लिप प्रेपरेशन हो जाने के बाद प्लास्टर मोल्ड की कास्टिंग की जाती है अर्थात यहाँ पर वाशबेसिन की बॉडी को सांचे की मदद से तैयार कर लिया जाता है।
  • कास्टिंग प्रक्रिया के बाद ड्राइंग यानिकी इसे सुखाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, यह इसलिए सुखाया जाता है ताकि यह कठोर रूप धारण कर ले।
  • जब ड्राइंग की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो उसके बाद वाशबेसिन पर वह पदार्थ लगाया जाता है जिससे उसमें चमक आ जाती है। इस प्रक्रिया को ग्लेज एप्लीकेशन कहा जाता है।
  • वाशबेसिन पर ग्लेज अप्लाई कर देने के बाद इसे सुखाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। और जब यह सूख जाता है तो फिर फायरिंग प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है ।
  • इस प्रकार से वाशबेसिन तैयार हो जाता है अंत में सोर्टिंग और पैकेजिंग की प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद यह बाज़ार में बिकने के लिए तैयार हो जाता है ।

 

 

वाशबेसिन निर्माण बिजनेस में कितनी लागत आएगी

वाशबेसिन के निर्माण बिजनेस में आने वाली लागत मुख्यत: इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी कितनी उत्पादन क्षमता के साथ इस तरह का यह व्यापार शुरू करना चाहता है। यहाँ पर हम एक ऐसी वाशबेसिन बनाने वाली फैक्ट्री की अवधारणा लेकर चल रहे हैं, जिसमें उद्यमी एक दिन में 12 घंटे काम करवा के लगभग 80 वाशबेसिन का निर्माण करेगा।

लागत का विवरणलागत रुपयों में
मशीनरी उपकरणों की खरीदारी की लागत₹11.4 लाख
तीन महीने का किराया₹1.20 लाख
फर्नीचर फिक्सिंग इत्यादि लागत₹2.5 लाख
सैलरी, कच्चा माल मिलाकर कार्यशील लागत₹5.5 लाख
कुल लागत₹20.6 लाख

Investment in Washbasin Manufacturing

आंकड़ों से स्पष्ट है की वाशबेसिन बनाने का उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमी को लगभग ₹20.6 लाख खर्चा करने की आवश्यकता होती है, जिसमें सिविल एवं कंस्ट्रक्शन कास्ट शामिल नहीं है।

 

 

 

वाशबेसिन उद्योग से कितनी कमाई होगी

इस उद्योग (Washbasin Manufacturing Business) से होने वाली कमाई भी कई कारकों पर निर्भर करती है। मान लीजिये की उद्यमी द्वारा वाशबेसिन का निर्माण कर तो दिया गया, लेकिन वह उन्हें बेच पाने में असफल होता है। तो इस स्थिति में उद्यमी इस बिजनेस से कुछ भी नहीं कमा पाएगा।

लेकिन हम यहाँ पर अनुमान यही लगा सकते हैं की उद्यमी की फैक्ट्री में जितना भी माल उत्पादित हो रहा है, उद्यमी उसे बेचने में सफल हो रहा है। तो इस स्थिति में इस बिजनेस से उद्यमी पहले ही वर्ष में लगभग ₹5.5 लाख का शुद्ध मुनाफा कमा सकता है।

 

 

 

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